अशोक सिंघल का निधन

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17.11.2015 (NRP)

विश्‍व हिंदू परिषद के संरक्षक अशोक सिंघल का आज निधन हो गया। 89 वर्ष के सिंघल ने गुडगांव के मेदांता अस्‍पताल में अंतिम सांस ली। सिंघल दिल और किडनी की समस्‍या के चलते अस्‍पताल में भर्ती किए गए थे। सिंघल को शुक्रवार रात मेदांता-द मेडिसिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां उनको आईसीयू में वेंटीलेटर पर रखा गया था। संजय मित्तल के नेतृत्व में चिकित्सकों का एक दल उनका इलाज कर रहा था। सिंघल के निधन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर शोक व्‍यक्‍त किया। उन्‍होंने लिखा कि अशोक सिंघल अपने आप में एक संस्‍था थे।
इससे पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह, सिंघल का हालचाल जानने के लिए शनिवार को अस्पताल पहुंचे थे। अस्पताल पहुंचने वाले अन्य लोगों में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और वीएचपी नेता प्रवीण तोगड़िया भी शामिल रहे। सिंघल को लगभग 15 दिन पहले भी अस्पताल में भर्ती किया गया था, लेकिन उनकी हालत में कुछ सुधार के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी। उन्हें शुक्रवार को तबीयत बिगड़ने के बाद दोबारा अस्पताल में भर्ती कराया गया।
अशोक सिंघल का जन्म 15 सितंबर 1926 को आगरा में हुआ था और उन्होंने हिंदू विश्व विद्यालय से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की, लेकिन अपने ग्रेजुएशन के समय ही संघल आरएसएस के संपर्क में आए और फिर प्रचारक बन गए। प्रचारक रहते हुए उन्होंने ने देश के कई प्रदेशों में संघ के लिए काम किया और प्रांत प्रचार के पद तक पहुंचे, लेकिन उन्हें साल 1981 में विश्व हिंदू परिषद में भेज दिया गया
जब-जब राम मंदिर आंदोलन की बात होगी तब तब वीएचपी के संरक्षक अशोक सिंघल का नाम भी आएगा। अशोक सिंघल ही वो शख्सियत थे, जिन्होंने देश और विदेश में विश्व हिंदू परिषद को एक नई पहचान दिलाई। विश्व हिंदू परिषद में एक समय ऐसा आया कि संघ से प्रचारक के बाद वीएचपी में बतौर महासचिव आए अशोक सिंघल वीएचपी की पहचान बन गए।
राम मंदिर आंदोलन को भले ही बीजेपी के बड़े नेताओं से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन असल में अशोक सिंघल के प्रयास के चलते ही राम मंदिर आंदोलन का विस्तार पूरे देश में हुआ। 1989 में अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास के बाद अशोक सिंघल ने राम मंदिर आंदोलन को हिंदुओं के सम्मान से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई और देश भर में आंदोलन के लिए लोगों को एक जुट किया। अशोक सिंघल के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं कि वो उन्हें शास्त्रीय गायन के भी जानकार थे और उन्होंने पंडित ओमकार ठाकुर से हिंदुस्तानी संगीत की भी शिक्षा ली थी।

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