नवल कान्त सिन्हा
(News Rating Point) 22.02.2017
मतलब अब तो लड़ाई अजब हो गयी है. उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में ये क्या हो रहा है. अखिलेश यादव कह रहे हैं कि तुम मुझे वोट दो, मैं तुम्हे कब्रिस्तान दूंगा तो नरेंद्र मोदी जी कहने लगे हैं कि तुम मुझे वोट दो, मैं तुम्हे श्मशान दूंगा. और पूरे देश के नेताओं से लेकर मीडिया तक इसी को लेकर हाय-तौबा मची हुई है. मतलब ये कि किसी को जीने वालों की फ़िक्र नहीं हैं, सभी की चिंता मुर्दों को लेकर है.
ऐसा नहीं है कि चुनाव इतने भर में सिमट गया है. मुद्दे और भी हैं. जैसे की आज़म खां की भैंस. अमर सिंह खुद को सांड बोल रहे हैं तो आज़म खां कह रहे हैं कि अमर सिंह को जानवरों से जैसा वफादार होना चाहिए. बीजेपी को तो अरसे से गाय की चिंता है. लेकिन अखिलेश यादव लायन सफारी के शेरों की बात करते हुए अचानक गुजरात के गधे तक पहुँच गए. कहने लगे हैं कि अमिताभ बच्चन को गुजरात के गधों का प्रचार नहीं करना चाहिए. और इस विवाद से एक विवाद और जन्म ले चुका है कि जिसका अमिताभ ने विज्ञापन किया, वो गधे हैं भी या नहीं. अखिलेश विरोधी बोल रहे हैं कि वो गधे नहीं हैं, वो घुड़खर हैं. अब इस जानवर के साइंटिफिक नाम पर जाएँ तो इसका नाम एकीअस हेम्नुओस खुर है. इससे तो पता नहीं चलता कि ये गधा है कि घोड़ा. हाँ हिंदी में घुड़ मतलब घोड़ा और खुर मतलब गधा होता है. मै तो कहता कि जिन्हें गधा मानना है वो गधा माने और जिन्हें घोड़ा मानना है वो घोड़ा माने लेकिन प्लीज़ राजनीति में जनता के मुद्दे उठायें, गधो के आत्मसम्मान के नहीं.