(News Rating Point) 14.01.2017
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने बसपा विधायक उमाशंकर सिंह की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी है. हालाँकि चुनाव आचार संहिता लागू हो जाने के बाद अब इस फैसले का कोई खास महत्व नहीं रह गया है. श्री सिंह को बसपा ने बलिया की रसड़ा सीट से फिर उम्मीदवार बनाया है. वही इस सीट से अभी तक विधायक थे.
राज्यपाल ने पिछले दिनों मुख्य चुनाव आयुक्त डाॅ0 नसीम जैदी को पत्र लिखा था. जिस पर आयोग ने उन्हें सदस्यता रद्द करेने पर सहमति जताई। राज्यपाल पहले भी आयोग भी चुयनाव आयोग को इस बाबत पत्र भेजते रहे हैं. मौजूदा विधान सभा का सामान्य निर्वाचन मार्च, 2012 में सम्पन्न हुआ था और निर्वाचन आयोग द्वारा चुने गए विधायकों को 6 मार्च, 2012 को निर्वाचित घोषित किया गया था।
उमाशंकर सिंह वर्ष 2009 से सरकारी ठेके लेकर सड़क निर्माण का कार्य करते आ रहे थे। उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त न्यायमूर्ति एन0के0 मेहरोत्रा ने प्राप्त शिकायत के आधार पर सरकारी कन्टैक्ट लेने के आरोप में विधायक श्री उमाशंकर सिंह को दोषी पाते हुये मुख्यमंत्री को अपनी जाँच रिपोर्ट प्रेषित की थी जिसे मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को भेज दिया था। राज्यपाल ने प्रकरण भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली के अभिमत के लिये संदर्भित कर दिया था। भारत निर्वाचन आयोग से दिनांक 03 जनवरी, 2015 को अभिमत मिलने के बाद श्री उमाशंकर सिंह ने राज्यपाल के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिये समय दिये जाने का अनुरोध किया था जिसे स्वीकार करते हुये राज्यपाल ने दिनांक 16.01.2015 को भेंट कर उनका पक्ष सुना। तत्पश्चात् राज्यपाल ने आरोपों को सही पाते हुये श्री उमाशंकर सिंह को विधायक निर्वाचित होने की तिथि 6 मार्च, 2012 से विधान सभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था।
राज्यपाल के निर्णय के विरूद्ध अयोग्य घोषित विधायक श्री उमाशंकर सिंह ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद में वाद दायर किया था, जिस पर 28 मई, 2016 को निर्णय देते हुये न्यायालय ने कहा था कि चुनाव आयोग प्रकरण में स्वयं जांच कर निर्णय से राज्यपाल को अवगत कराये और उसके पश्चात् राज्यपाल प्रकरण में संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत अपना निर्णय लें। इस प्रकरण में शीघ्रता से निर्णय करने के बारे में राज्यपाल ने निर्वाचन आयोग को गत 14 दिसम्बर को पत्र लिखा।