Ahmad Hasan Samajwadi Party

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FLOP *** (News Rating Point) 21.02.2014
शायद ही कोई ऐसा दिन होगा जिसमें उत्तर प्रदेश की चरमराई चिकित्सा व्यवस्था की खबरों ने अखबारों में जगह ना पायीं हों. अस्पतालों की दुर्व्यस्था से लेकर स्वाइन फ़्लू को रोकने की उपाय तक कोई एक भी ऐसा मोर्चा नहीं था, जिसमे इस विभाग ने नेकनामी बटोरी हो. केवल राजधानी लखनऊ की अस्पतालों की ख़बरों का जिक्र करें तो बेहाल चिकित्सा व्यवस्था की पोल खुलती नज़र आती है. कहीं भी ऐसा नहीं लगा कि स्वास्थ्य मंत्री ने इसे सुधारने में कोई बड़ी पहल की हो. 14 फरवरी नवभारत टाइम्स- बलरामपुर अस्पताल का मामला- सीएम को किया गुमराह, जो था नहीं उस पर किया एक्शन…. उन्हें बताया गया कि इसके लिए सीएमएस जिम्मेदार है पर सीएमएस पहले ही प्रमोशन की वजह से पदमुक्त किये जा चुके थे. अब अस्पताल से कौन सा सीएमएस हटाया गया यह सस्पेंस बन गया. 16 फरवरी अमर उजाला- स्वास्थ्य विभाग के लचर कार्यप्रणाली को देखते हुए मुख्यमंत्री को खुद मोर्चा संभालना पडा. 16 फरवरी दैनिक जागरण- ऑपरेशन के बाद प्रसूता की मौत, हंगामा- मोहनलालगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर एक प्रसूता की मौत के बाद परिवारीजनों ने जमकर हंगामा किया. पति की तहरीर पर पुलिस ने ऑपरेशन करने वाले सर्जन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा है. 16 को ही लखनऊ अमर उजाला ने माई सिटी की लीड बनायी- पेट में लगी चोट, इलाज के लिए ट्रामा से पीजीआई तक दौडाया, अंत में मौत.
17 फरवरी को नवभारत टाइम्स ने छापा- हज़ारों पैरासिटामाल टेबलेट कूड़े में मिले, बलरामपुर अस्पताल के पीछे फेंकी गयीं पांच हज़ार से ज़्यादा टेबलेट. हालांकि एक्सपायरी डेट की थी दवाएं लेकिन इन्हें बायोमेडिकल वेस्ट में दिया जाना चाहिए था. 17 फरवरी हिंदुस्तान- सिविल अस्पताल में एक्सरे जांच में देरी पर मरीज बिफरे. 19 फरवरी दैनिक जागरण- दुआ करो ! दवा जल्दी मिल जाए- कहने को तो सिविल अस्पताल में औषधि वितरण के लिए आठ काउंटर बनाए गए हैं, लेकिन किसी भी काउंटर पर मरीज को बीमारी संबंधित पूरी दवा नहीं मिल पाती है. एक मर्ज की दवा लेने के लिए मरीज को विभिन्न काउंटरों पर भटकना पड़ता है. इलाज की यह प्रक्रिया ओपीडी में आने वाले मरीजों के लिए किसी आफत से कम नहीं है. 19 फरवरी को स्वाइन फ़्लू पर विधानसभा में हंगामा हुआ और अगले दिन जबरदस्त तरीके से अखबारों में अहमद हसन का विभाग छाया रहा. दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान ने इसी लीड बनाया. इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा- Govt. has casual approach towards swine flu. हाँ, एक-दो खबरें जरूर ऐसी रहीं, जिसने अहमद हसन को राहत दी होगी जैसे 16 फरवरी अमर उजाला ने लिखा- सरकारी डॉक्टर अब अस्पतालों से गायब नहीं हो सकेंगे. दरअसल, सरकार डॉक्टरों की उपस्थिति चेक करने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था बनवा रही है. इसके लिए ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार करवा रही है, जिससे स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय पर बैठकर पता लगाया जा सकेगा कि सीएचसी-पीएचसी पर डॉक्टर मौजूद हैं या नहीं.

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