पैसे के डील था छत्तीसगढ़ उपचुनाव, इंडियन एक्सप्रेस का खुलासा- ऑडियो टेप जारी किया

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(NRP) 30.12.2015

​क्या सितंबर 20014 में छत्तीसगढ़ के अंतागढ़ विधानसभा उपचुनाव भाजपा और कांग्रेस के बीच फिक्स था? क्या भाजपा के लिए आदिवासियों का समर्थन हासिल करना चुनौती बन गया था? क्योंकि इस उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार मंतूराम पवार ने अपना नामांकन वापस ले लिया था और भाजपा को वाकओवर मिल गया था. आज इंडियन एक्सप्रेस ने इसका खुलासा किया है कि इसकी वजह पैसे के डील थी. इंडियन एक्सप्रेस ने इसकी पुष्टि के लिए बातचीत का एक ऑडियो टेप भी जारी किया है. इसमें उस समय के कुछ मुख्य पात्रों की आवाजें हैं. जिनमें चुनाव को मैनेज करने की बातें की जा रही हैं और इस दौरान कुछ वित्तीय लेन देन भी हुआ. इसमें ज़्यादातर बातचीत अगस्त 2014 के अंतिम सप्ताह में मतदान के दिन की है.

बातचीत में इस बात पर जोर दिया जा रहा है 13, सितबंर 2014 को होनेवाले अंतागढ़ सीट से वो अपना नाम वापस ले. यह उपचुनाव विक्रम उसेंडी (भाजपा) के लोकसभा सांसद बनने के बाद हुई खाली सीट पर हुआ था.
इंडियन एक्सप्रेस का दावा है कि फिरोज सिद्दीकी ने अपनी आवाज़ की पुष्टि की है. फिरोज सिद्दीकी को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के नजदीकी माना जाता है. सिद्दीकी ने यह भी माना है कि हां कुछ वित्तीय लेन हुआ था. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार अजित जोगी, उनके पुत्र अमित जोगी, मुख्यमंत्री रमन सिंह के दामाद पुनीत गुप्ता और अमीन मेमन ने इस बात से इनकार किया है ये आवाज उनकी है. एबीपी न्यूज़ पर एक फ़ोनो में मंतूराम ने अपनी आवाज़ से साफ़ इनकार किया. जबकि एएनआई से अजित जोगी ने कहा कि वह संवाददाता और इंडियन एक्सप्रेस पर मानहानि का दावा करेंगे.
अमित जोगी और रमन सिंह के दामाद के बीच बातचीत पवार के नाम वापस लेने से पहले अगस्त महीने की है. टेप में पहले अजित जोगी के बेटे अमित जोगी और रमन सिंह के बीच बातचीत हो रही है. इसमें दोनों एक दूसरे का हाल-चाल पूछ रहे हैं और फिर कुछ डील को फाइनल करने बात हो रही है और उसके बात अमित जोगी पुनीत गुप्ता से अपने पिता अजीत जोगी की बातचीत करवा रहे हैं. पुनीत गुप्ता के साथ बातचीत में अजीत कह रहें कि -‘कोई बातचीत हुई ना, उसे फाइनल करो जल्दी.’ इसके बात अमित जोगी पुनीत गुप्ता को किसी चीज को बढ़ाने की बात कह रहें हैं, जिसमें पुनीत भी हामी भर रहे हैं. और अमित कह रहे हैं कि ‘वह 10 की उम्मीद कर रहा है लेकिन कम से कम 7 तो होनी ही चाहिए, इतना कम मत करो कि वो भाग ही जाए’ और दोनों अगले दिन मिलने की बात कर रहे हैं.
अमित जोगी और फिरोज जोगी बीच भी बातचीत होती है. इसमें फिरोज अमित से कहते हैं कि ‘सीएम हाउस से फोन आ गया है और उसे बता दिया गया है कि वह राजेश मनोत (रमन सिंह के नजदीकी मंत्री) के बंगले के पास रहे और अमित कहते हैं- ‘वो राजेश मनोत के बंगले के अंदर चले जाए.’ उसके ठीक बात अमित जोगी यह कहते हैं कि वो ‘कलक्ट्रेट में पहुंच गया है तो माल देना पड़ेगा.’ और फिरोज यह कहते हैं कि ‘मेरी बात हो गयी है और बिग बॉस से बात भी करा दी है. औऱ पेंमेंट मंगा लिया है तो अमित जोगी कहते हैं कि कुछ देना चालू करो.’ फिरोज किसी शराब ठेकेदार से पेंमेंट पहुंचाने की बात कर रहे हैं. बातचीत के दौरान फिरोज और अमीन मेमन में लेन-देन की बात हो रही है और अमीन मेमन फिरोज से कहते हैं कि वह अब 5-10 भी देता है तो कोई नहीं,… अब हम चुनाव लड़ेंगे… मंतू अब चुनाव लड़ेगा.
मंतूराम पवार औऱ फिरोज में बातचीत होती है, जिसमें फिरोज मंतू से कहते हैं कि आपको (छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष) भूपेश को निपटाना था लेकिन उसको निपटाने के लिए आपको मोहरा बना दिया, उनकी इस बात में मंतूराम भी हामी भर रहे हैं. इसमें मंतूराम कह रहे हैं कि ‘वो नाम वापस नहीं लेते, यदि यह इसे पहले पता होता औऱ मैं चुनाव जीत के दिखाता. मैंने तो जोगी परिवार की इज्जत बचाने के लिए यह किया.’ मंतूराम कह रहे हैं कि ‘वो सबसे से बात कर चुके हैं. यहाँ तक कि सीएम साहब से भी दो बार इस मसले पर बात कर चुके हैं जबकि इससे पहले कभी इस मामले पर सीएम से बात नहीं हुई औऱ सारे मसले पर हमेशा तीसरे पक्ष के माध्यम से ही बात हुई.’
फिरोज कह रहें हैं – ‘हां जोगी के जरिये ही बातचीत हुई. लेकिन आपको मिला क्या नाम वापस लेने पर… पूरा पैसा नहीं मिला ना आपको.’ जिसके जवाब में मंतूराम कहते हैं कि नहीं मिला. फिरोज सिद्दीकी मंतूराम से कहते हैं कि ‘मैं उनको बता दिया हूं कि ज्यादा देर की तो मंतूराम सारी चीजों को एक्सपोज कर देगा, मंतूराम कभी भी बिफर सकता है.’ इसके जवाब में मंतूराम भी कहते हैं कि उनका कोई कुछ नहीं बिगाड सकता. मैं आदिवासी हूं मुझे बलि का बकरा बनाया गया है, मेरी राजनीतिक करियर समाप्त हो गया है.’

क्या था इस सीट का महत्व-

अख़बार नयी दुनिया लिखता है कि कांग्रेस- 2013 के विधानसभा चुनावों में बस्तर इलाके की 12 में कांग्रेस ने 8 सीटें जीतें थी.​ यह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल का पहला चुनाव था और ऐसे में जोगी कैम्प बघेल को नीचा दिखाने के लिए यह कोशिश कर रहा था कि वह सीट हार जाए​.​ और पवार के नाम वापस लेने पर जोगी ने प्रदेश कांग्रेस लीडरशीप पर पर निशाना साधा था​.​ जबकि भाजपा वह पार्टी थी जिसने 2003 में बस्तर क्षेत्र में 11 और 2008 में 13 सीटें जीती थी लेकिन 2003 में यह घटकर 4 हो गयी​,​ जिससे जनता में यह संदेश जा रहा था कि आदिवासियों का भाजपा में विश्वास घट रहा है​.​ उपचुनाव में पार्टी में चाहती थी बिना स्टार उम्मीदवार के भाजपा उम्मीदवार चुनाव जीत जाये और अगर भाजपा चुनाव हार जायेगी तो रमन सिंह की प्रतिष्ठा बुरी तरह प्रभावित होगी​.​

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