Bhagwan Singh Shakya BJP UP Badaun

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FLOP **** (News Rating Point) 10.12.2016
अपहरण के बाद हत्या के आरोपी को शरण देने के पांच साल पुराने मामले में गैर जमानती वारंट जारी होने की वजह से पूर्व मंत्री भगवान सिंह शाक्य इस सप्ताह चर्चा में रहे. शुक्रवार को वह अदालत में पेश हुए. कोर्ट में एक घंटे चली सुनवाई के बाद पूर्व मंत्री को जमानत पर रिहा कर दिया गया. मामले में अगली सुनवाई नौ जनवरी को होगी. शहर के कल्यान नगर मोहल्ला निवासी प्रशांत सैनी पुत्र अर्जुन सैनी का अपहरण 28 अक्टूबर 2011 को हुआ था. जबकि 11 नवंबर को पुलिस ने उसकी लाश सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के गांव शेखूपुर के जंगल से बरामद कर ली थी. चूंकि इस कांड में पश्चिमी यूपी में अपहरण उद्योग चलाने वाले कुख्यात दीपक सिंघल ने भी हस्तक्षेप किया था. दीपक सिंघल के गैंग का गुर्गा हरीश पहाड़िया भी घटना में शामिल था. हरीश पहाड़िया को पुलिस ने पूर्वमंत्री के घर से गिरफ्तार किया था और पूर्व मंत्री अपराधी को शरण देने के आरोपी बने थे. अपहरण और हत्या के इस मुकदमे में पुलिस ने चार्जशीट लगा दी. इसके बाद पूर्वमंत्री अदालत द्वारा तलब किए गए लेकिन 19 अक्टूबर 2012 से वह लगातार गैरहाजिर चल रहे थे. बीती छह दिसंबर को उनके खिलाफ डकैती कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी कर दिया. गैरजमानती वारंट जारी होने के बाद शुक्रवार दोपहर करीब एक बजे भगवान सिंह शाक्य अदालत में पेश हुए. कोर्ट ने पूर्व मंत्री को रिहा कर दिया. अपहरण और हत्या के आरोपी को शरण देने के आरोपी भगवान सिंह शाक्य इस समय भाजपा में हैं और शेखूपुर विधानसभा सीट से टिकट मांग रहे हैं. गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद भगवान सिंह को लेकर भाजपा में खलबली मची है. जिलाध्यक्ष हरीश शाक्य के मुताबिक भगवान सिंह लोकसभा चुनाव-2014 के दौरान भाजपा में आए हैं. ये भाजपा में तो हैं, लेकिन इनके पास कोई पद नहीं है. अपहरण और हत्याकांड के कुछ दिनों बाद 2012 का विधानसभा चुनाव था. भगवान सिंह शाक्य उस वक्त शेखूपुर विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी थे. इनके घर से हरीश पहाड़िया की गिरफ्तारी के बाद पूर्वमंत्री का चुनाव काफी हद तक बिगड़ गया था. नतीजतन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था. अदालत से जमानत पर रिहा हुए पूर्व मंत्री भगवान सिंह शाक्य देश में इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में जनता पार्टी से विधायक बने. इसके बाद उसहैत सीट से बसपा से चुनाव जीते. इसके बाद भाजपा और बसपा की मिलीजुली सरकार में 1996 में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बने. इसके बाद वर्ष 2012 में कांग्रेस से चुनाव लड़े थे. लेकिन चुनाव हार गए थे.

(अखबारों, चैनलों और अन्य स्रोतों के आधार पर)

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