Bharat Singh BJP UP

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HIT *** (News Rating Point) 09.05.2015
​बलिया के सांसद भारत सिंह संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री के सामने अपनी बात बेबाकी से रखने के चलते चर्चा में रहे. पूरे देश के चैनलों हिंदी-अंग्रेज़ी अखबारों इस खबर को प्रमुखता से लिया. दैनिक जागरण ने लिखा कि सरकार जहां एक साल की उपलब्धि का खाका तैयार करने में जुटी है वहीं भाजपा सांसद मुखर होने लगे हैं. यहां तक कि पीएम की मौजूदगी में भाजपा सांसद अपना असंतोष जाहिर करने लगे हैं. बुधवार को पार्टी संसदीय दल की बैठक में बलिया के सांसद भरत सिंह ने आवाज उठा दी और कहा, ‘जमीन पर काम नहीं हो रहा है, और लोग सवाल पूछते हैं. हम उन्हें क्या जवाब दें? ’ कथित तौर पर सांसद ने मंत्रियों की ओर से पूरा सहयोग और समर्थन न मिलने की भी शिकायत की. बैठक तत्काल खत्म कर स्थिति को संभाला गया. 1बुधवार को संसदीय दल की बैठक कुछ खास थी. बैठक से पहले नाश्ते के इंतजाम भी था. दरअसल यह सुनिश्चित किया जाना था कि पार्टी के सभी सदस्य दिल्ली में मौजूद रहें ताकि लोकसभा में जीएसटी संशोधन विधेयक और बाद में राज्यसभा में बांग्लादेश के साथ भूमि समझौते के संविधान संशोधन को पारित कराया जा सके. बैठक में भी इस बाबत सभी सदस्यों को सतर्क किया गया, लेकिन अंत पार्टी के लिए बहुत सुखद नहीं था. सूत्र बताते हैं कि भरत सिंह ने कुछ बोलने की इच्छा जाहिर की. पीछे से उनकी आवाज नहीं पहुंच रही थी इसलिए माइक भी उपलब्ध करा दिया गया, लेकिन उनके सवाल कटु थे. बताते हैं कि प्रधानमंत्री के कामकाज की प्रशंसा करते हुए उन्होंने यह असंतोष जता दिया कि नीचे तक काम नहीं पहुंच रहा है. उनका रोना था कि उनके क्षेत्र में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना तक का काम नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि मंत्रियों के यहां शिकायत करने पर भी तीन-चार महीने तक कार्रवाई नहीं होती है. राज्य प्रशासन यह बताता है कि पैसे की कटौती हो गई है. ऐसे में सांसद क्या प्रदर्शन करें? बताते हैं कुछ सांसदों ने उन्हें बिठाने की कोशिश की, जबकि कुछ ने भरत सिंह की आवाज में अपनी भी आवाज मिला दी. उनका कहना था कि एक साल में उनके पास अपने क्षेत्र में दिखाने को कुछ नहीं है. डेली न्यूज़ एंड एक्टिविस्ट ने लिखा कि भाजपा की संसदीय दल की बैठक में उत्तर प्रदेश के सांसद ने बात उठायी कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना प्रदेश में हकीकत में नज़र नयी आ रही है. Deutsche Welle ने लिखा कि यह बात विपक्षी नेता कहें तो स्वाभाविक लगेगी लेकिन यदि अगर सत्तारूढ़ पार्टी के सांसद भी सरकार की आलोचना के सुर में बोलने लगें, तो स्पष्ट है कि समस्या गंभीर हो चली है.

(अखबारों, चैनलों और अन्य स्रोतों के आधार पर)

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