(NRP) 12.01.2016
उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में समाजवादी पार्टी से बगावत करने वाले नेताओं पर आखिरकार गाज गिर गयी. पार्टी ने झीन बाबू समेत सीतापुर के चारों विधायकों को निलंबित कर दिया. इसके अलावा शाहजहांपुर में पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी का विरोध करने वाले पूर्व सांसद मिथिलेश कुमार समेत दस नेताओं और पदाधिकारियों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. मुख्यमंत्री और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सीतापुर जिला कार्यकारिणी को भी भंग कर दिया है.
सीतापुर के चारों विधायक झीन बाबू, राधेश्याम जायसवाल, अनूप गुप्ता और मनीष रावत को सपा के विधानमंडल दल तथा पार्टी से निलंबित कर दिया गया. इसके साथ ही उनके खिलाफ जांच के लिए कमेटी गठित की गयी. महेंद्र सिंह उर्फ झीन बाबू सीतापुर की सेवता, राधेश्याम जायसवाल सीतापुर शहर, अनूप गुप्ता महोली और मनीष रावत सिधौली से सपा विधायक हैं. बुधवार को जिला पंचायत पद की अधिकृत प्रत्याशी सीमा गुप्त के पति और वरिष्ठ सपा नेता शिवकुमार गुप्त मुख्यमंत्री आवास भी पहुंचे थे. इसके बाद चारों विधायकों को पार्टी से निलंबित कर दिया गया. कुछ दिन पहले सीतापुर के बिसवां विधानसभा क्षेत्र के विधायक रामपाल को भी सपा बाहर का रास्ता दिखा चुकी है. इसके अलावा शाहजहांपुर के पूर्व सांसद मिथिलेश कुमार, फतेहपुर के पूर्व विधायक केके सिंह, पूर्व राज्यमंत्री अचल सिंह, पूर्व जिलाध्यक्ष समरजीत सिंह, पूर्व जिलाध्यक्ष रामशरण यादव, पूर्व महासचिव ओमप्रकाश गिहार, मिर्जापुर के जिला पंचायत सदस्य धीरेन्द्र प्रताप सिंह, पंचदेव सिंह उर्फ नान्हक सिंह, भोलानाथ पटेल तथा श्रावस्ती के जिला पंचायत सदस्य राम अभिलाख यादव को छह साल के लिये पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है.
झीन बाबू इससे पहले अगस्त 2013 में रंगरेलियां मनाते हुए गिरफ्तार हुए थे. उन्हें गोवा पुलिस ने गिरफ्तार किया था. फिर बाद में उन्हें जमानत के बाद छोड़ा गया था. उस समय भी सपा ने उन्हें निलंबित कर दिया था. इसी तरह सीतापुर विधायक राधेश्याम जायसवाल भी झीन बाबू के साथ निलंबित हुए थे. उन पर आरोप था कि भूमि विवाद में उनके बेटों ने गोलियां चला दी थी, जिससे एक ग्रामीण घायल हो गया था. लेकिन कुछ समय बाद दोनों का निलंबन समाप्त कर दिया गया था.