भाभी अमेरिकी प्रेसिडेंट, भैया यूपी के सीएम !

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नवल कान्त सिन्हा
(News Rating Point) 04.07.2016
हमारा सीएम कैसा हो, ओबामा भैया जैसा हो… न-न… ये कोई मज़ाक थोड़े है. सोलह आने सच है… अपनी यूपी की राजनीति का सच… अमेरिका में उन्हें खबर भी नहीं होगी लेकिन बराक ओबामा यूपी की सियासत में कूद पड़े हैं. मायावती से लेकर अमित शाह तक सबकी जुबान पर बराक ओबामा का ही नाम है. बात शुरू करते हैं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से, जिन्होंने यूपी की राजनीति में बराक ओबामा को इंट्रोड्यूस किया. हाल ही में बाराबंकी में बूथ सम्मेलन में जुटे भाजपा कार्यकर्ताओं को ज्ञान देते हुए शाह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर हमलावर हो गए. बात तो कर रहे थे कैराना की लेकिन बराक ओबामा तक जा पहुंचे. कह डाला- “मुख्यमंत्री को शर्म आनी चाहिए कि उनसे कानून व्यवस्था नहीं संभल रही है. क्या उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था अमेरिका के ओबामा आकर संभालेंगे?” तो बहन मायावती जी खफा हो गयीं. उन्होंने अखिलेश यादव से लेकर नरेंद्र मोदी तक की क्लास ले ली. उन्होंने खराब कानून व्यवस्था का ठीकरा दोनों पर फोड़ दिया. कहा कि क्या इसे सुधारने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा जिम्मेदार हैं.
तो भैया यूं ही ख्याल आया कि अपने मोदी जी के दोस्त बराक ओबामा यूपी के मुख्यमंत्री हो जाएँ तो कितना अच्छा रहेगा. बसपा-भाजपा का तनाव तो उनके सत्ता संभालते ही ख़त्म हो जाएगा. रही अखिलेश भैया की बात तो उन्हें भी रोज़-रोज़ की किचकिच से मुक्ति मिल जायेगी. कभी पापा डांट रहे हैं कि बड़ों की इज्ज़त करो. कभी चाचा सरकार हिलाए हुए हैं. कोई माफिया को पार्टी में उठाये ला रहा है तो कोई कह रहा है पापा ने कहा था. कभी रामपुर रूठा है तो कभी नोयडा का मूड खराब है. अक्सर हवाई जहाज में रहने वाले चाचा की तो क्या बात, उनकी राजनीति तो अमेरिका तक फ़ैली है. डोनाल्ड ट्रंप उनको हिलेरी को पैसा देने के लिए कोस रहा है. पता नहीं अखिलेश भैया समझते हैं या नहीं कि अमर सिंह अंकल किस ऊंचे लेवल की राजनीति कर रहे हैं. नेताजी ने सांसद बनाया है. क्या क़र्ज़ न उतारें ? ज़रा एंगल देखिये- पूरी दुनिया के मुस्लिम डोनाल्ड ट्रंप से नफरत करते हैं तो यूपी के भी करते होंगे. अब चाणक्य नीति सुनिए- दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है. यानी जो डोनाल्ड ट्रंप का दुश्मन हुआ, वो मुसलमानों का दोस्त हुआ. और उत्तर प्रदेश में कौन है वो….. अमर सिंह अंकल.अब बताइये कि अल्पसंख्यक वोटों की राजनीति करने वाले नेताजी के लिए तो खुशी की बात हुई कि ये अमर कथा अपनी पार्टी की है.
इसीलिए तो कह रहा हूँ कि जब यूपी की राजनीति का अंतर्राष्ट्रीयकरण हो ही गया है तो ओबामा जी के यूपी में आने में क्या दिक्कत है. अब कोई ये न कहे कि अमेरिकी राष्ट्रपति का पद छोड़ वो उत्तर प्रदेश काहे आयेंगे. जिन्हें समस्या है, वो जान लें लेकिन अगले साल जनवरी में उनका पद जा रहा है और उसके बाद ही उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री चुना जाना है. खाली बैठ कर क्या करेंगे. आयें यूपी में राज करें. जब यूपी के नेता याद कर रहे हैं, पांच कालीदास मौजूद है तो बिल क्लिंटन के प्रेस सेक्रेटरी रहे जो लोखार्ट का मकान लीज़ पर लेने की क्या जरूरत ! वैसे क्लिंटन भैया का नाम आया तो लगा कि वो क्या बुरे हैं. उनका तो अमर सिंह अंकल की वजह से समाजवादी नाता भी हुआ. अमर सिंह अंकल क्लिंटन परिवार के फाउंडेशन को इतना माल दे चुके हैं कि मेरे खयाल से वो अब तक दिल से समाजवादी हो गए होंगे. और फिर हिलेरी भाभी अगर अमेरिका की प्रेसीडेंट बन गयीं तो क्या अच्छा लगेगा कि क्लिंटन भैया कुछ न करें ! अखिलेश भैया को चाहिए कि अमर सिंह अंकल से कहें कि बिल अंकल को मनाएं. इतने चाचा हैं, एक चाचा और सही. सिगार पीने-पिलाने का शौक छोड़ दीजिये तो क्लिंटन अंकल में कोई कमी भी नहीं. और फिर सत्ता अपने पास होनी चाहिए, सीएम बनना कम्पलसरी थोड़ी है. नेताजी गवाह हैं इस बात के. सोनिया आंटी ने भी तो यही किया था. रही बात उनके अमेरिकी होने की तो जब हम इटली को अपना सकते हैं तो अमेरिका में क्या बुराई. अखिलेश भैया, आप भी तो यूपी की खुशी चाहते हैं. सोचिये अपने यूपी की जनता को कितना अच्छा लगेगा कि जब भाभी अमेरिकी प्रेसिडेंट होंगी और भैया यूपी के सीएम ! और कौन जाने उसके बाद हम यूपी वालों को परम आदरणीय मोनिका लेविंस्की जी से भी हंसी-ठिठोली का मौक़ा मिले.

[box type=”info” head=”नोट”]सिर्फ हास्य-व्यंग्य है, दिल पर न लें… किसी का कलेजा दुखाना कभी किसी हास्य-व्यंग्य का मकसद नहीं हो सकता, सचमुच… फिर भी बुरा लगा तो- हमसे भूल हो गयी हमका माफी दई दो… नहीं तो फोन कर दो, मेल कर दो- आइंदा आपसे बचकर चलेंगे भैया…[/box]

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