HIT ** (News Rating Point) 06.08.2016
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की दावेदार शीला दीक्षित को लोकायुक्त अदालत ने विज्ञापन घोटाले में निर्दोष करार देते हुए उनके खिलाफ चल रही जांच को बंद कर दिया. शीला दीक्षित पर सरकारी विज्ञापन जारी करने में नियमों की अनदेखी कर निजी कंपनी को लाभ पहुंचाने और सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगा था. लोकायुक्त जस्टिस रेवा खेत्रपाल ने केंद्रीय राजस्व महालेखाकार (एजीसीआर) की रिपोर्ट और इस मामले में लोकायुक्त की मदद के लिए नियुक्त अधिवक्ता की रिपोर्ट के आधार पर यह फैसला दिया है. उन्होंने कहा है कि अब तक पेश दस्तावेजों से आरोप साबित नहीं हो रहे हैं, वहीं मामले में शिकायतकर्ता कई बार आग्रह के बाद भी साक्ष्य पेश करने के लिए सामने नहीं आ रहे हैं. वर्ष 2012 में दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ अशोक कुमार नामक शख्स ने लोकायुक्त में शिकायत की थी. शिकायत में डीएवीपी के पैनल में नहीं होने के बावजूद मैसर्स वेद पाहुजा एंड एसोसिएट्स को नियुक्त करने और दरों को लेकर मोलभाव नहीं करने का आरोप लगाया था.
(अखबारों, चैनलों और अन्य स्रोतों के आधार पर)