FLOP **** (News Rating Point) 27.06.2015
चुनाव के लिए पर्चा दाखिल करते वक्त अपनी शैक्षणिक योग्यता की अलग-अलग जानकारी देने के मामले में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी की मुश्किलें बढ़ गई हैं. अदालत ने उनके खिलाफ दायर याचिका स्वीकार कर ली है और इसे सुनवाई के योग्य माना है. साथ ही याचिका दायर करने वाले को सुबूत पेश करने का निर्देश भी दे दिया है. मामले की सुनवाई 28 अगस्त को होगी. अदालत का रुख सामने आते ही कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने स्मृति को हटाने की मांग कर डाली और कहा कि उन्हें अपने पद पर बने रहने का नैतिक, संवैधानिक या कानूनी हक नहीं रह गया है. जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 125ए के तहत गलत शपथ पत्र भरने का दोषी पाए जाने पर उम्मीदवार को छह महीने की जेल या जुर्माना या फिर दोनों हो सकता है. स्मृति के खिलाफ स्वतंत्र लेखक अहमर खान ने याचिका दर्ज कराई थी. पटियाला हाउस स्थित मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट आकाश जैन ने अपने फैसले में स्मृति की ओर से पेश अधिवक्ता के उस तर्क को खारिज कर दिया कि यह याचिका विचार योग्य नहीं है और इसे एक निश्चित समय के बाद दायर किया गया है. इसके बाद विपक्ष खासतौर पर कांग्रेस स्मृति पर जबरदस्त तरीके से हमलावर हुई. बसपा मुखिया मायावती ने मांग की कि जैसे दिल्ली सरकार के क़ानून मंत्री पर कार्रवाई हुई है, वैसी ही कार्रवाई स्मृति ईरानी के खिलाफ की जानी चाहिए.
(अखबारों, चैनलों और अन्य स्रोतों के आधार पर)