निष्कासित नौ सपा युवा नेताओं की वापसी

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(News Rating Point) 19.01.2017

पार्टी से बर्खास्त टीम अखिलेश की सपा में बुधवार को वापसी हो गई। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की सहमति के बाद सभी निष्कासित नौ युवा नेताओं को फिर पार्टी में ले लिया गया गया। इन युवा नेताओं को शिवपाल यादव ने अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से बाहर कर दिया था।

इनमें सात युवा नेताओं को तो अखिलेश यादव को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने के बाद बहाली की मांग पर प्रदर्शन करने के आरोप में बाहर किया गया था। अखिलेश को 13 सितंबर को अचानक प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर शिवपाल यादव को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया था।

बीती 19 सितंबर को सपा से सात युवा नेताओं एमएलसी सुनील यादव साजन, आनंद भदौरिया, संजय लाठर के अलावा सपा यूथ ब्रिग्रेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौरव दुबे, प्रदेश अध्यक्ष मो. एबाद, युवजन सभा के प्रदेश अध्यक्ष बृजेश यादव, समाजवादी छात्र सभा के अध्यक्ष दिग्विजय सिंह देव को बाहर कर दिया था। इससे पहले एमएलसी अरविंद यादव को इटावा में जमीन पर कब्जे करने और अवैध शराब का कारोबार करने के आरोप में बाहर किया गया। एमएलसी उदयवीर सिंह को सपा मुखिया को अखिलेश यादव के पक्ष में पत्र लिखने के आरोप में बाहर कर दिया गया था। बुधवार को सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने इन सभी नेताओं को पार्टी में वापस लेने के आदेश जारी कर दिए।

मुलायम से माफी मांगी थी :

इन सभी युवा नेताओं ने सीएम अखिलेश यादव की सलाह पर मुलायम सिंह यादव के पास जाकर 19 नवंबर को माफी भी मांगी। मुलायम ने सभी को चुनाव में जुटने को कहा और पार्टी में वापसी के भी संकेत दिए, पर तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव इसके लिए तैयार नहीं हुए।

यूथ टीम समेत सभी संगठन बहाल :

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को युवा नेताओं की बहाली के साथ ही सभी भंग संगठनों का भी फिर से गठन कर दिया। इनमें गीता सिंह को महिला सभा का प्रदेश अध्यक्ष, आनंद अग्रवाल को समाजवादी व्यापार सभा का प्रमुख बनाने के साथ बृजेश यादव को समाजवादी युवजन सभा, प्रदीप तिवारी को समाजवादी लोहिया वाहिनी, मो. एबाद को मुलायम सिंह यादव यूथ ब्रिगेड और दिग्विजय सिंह ‘देव’ को समाजवादी छात्र सभा का प्रदेश अध्यक्ष पद पर फिर से तैनाती दे दी गई।

अरविंद सिंह बने कार्यालय प्रभारी

अरविंद सिंह को सपा प्रदेश कार्यालय का प्रभारी बनाया गया है। एसआरएस यादव भी इससे पहले कार्यालय प्रभारी रह चुके हैं। पार्टी से जुड़े महत्वपूर्ण कागजात जारी करना और पार्टी से जुड़े दस्तावेज को संकलित करना समेत कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी कार्यालय प्रभारी की होती है। अरविंद सिंह इससे पहले राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं।

38 प्रत्याशियों की जो सूची मुलायम ने अखिलेश को सौंपी थी, उसमें पहले शिवपाल का नाम नहीं था। खुद शिवपाल ही चुनाव लड़ने का मन नहीं बना पा रहे थे। इस वजह से उनके बेटे आदित्य यादव का नाम जोड़ दिया गया था। बाद में मुलायम ने ही उन्हें मना लिया। उनका नाम सीएम को दी गई सूची में दिया गया है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि शिवपाल अब सीएम अखिलेश की अगुआई में सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं हैं/ इस वजह से वह लोकदल के अध्यक्ष के भी संपर्क में हैं। (एनबीटी)

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