एनआरपी डेस्क
लखनऊ। घनी आबादी वाले इलाकों में कचरा प्रबंधन न होने से निराश्रित कुत्तों की संख्या बढ़ रही है। इस पर ध्यान देने के लिए शासन की तरफ से दिशा-निर्देश भी दिए गए, लेकिन हकीकत यह है कि नगर निगम के जिम्मेदार इस पर ध्यान नहीं दे रहे। वहीं जिन क्षेत्रों में बकरा, मुर्गा, भैंस 1 या अन्य पशु काटे जाते हैं, वहां सड़कों पर पड़े अवशेष और कच्चा मांस खाने से कुत्ते अधिक हिंसक हो जाते हैं। इसी तरह नानवेज की दुकानों के आसपास भी कुत्तों के झुंड दिखते हैं, जो अक्सर लोगों के लिए खतरे का सबब बनते हैं। नियम है कि अगर आप निराश्रित कुत्ते को भोजन देते हैं तो समय और स्थान का ध्यान रखा जाना चाहिए। यानी जिस समय बच्चों और बुजुर्गों की आवाजाही कम हो उस समय ही निराश्रित कुत्तों को भोजन दिया जाना चाहिए, लेकिन देखा गया है कि पशु प्रेमी कभी भी और कहीं भी कुत्तों को भोजन दे देते हैं, जिससे कुत्ते आक्रामक हो जाते हैं और राहगीरों पर हमला कर देते हैं।