(News Rating Point) 29.04.2015.
ये कैसा क़ानून कि अब तक क़ानून मंत्री हैं !!! सचमुच जिस मुहब्बत और चाव से दिल्ली की लोगों ने अरविन्द केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनाया था और जिस चरित्र के लिए अरविन्द केजरीवाल पहचान बनी थी, उसकी मिट्टी पलीद होती नज़र आ रही है… कुछ ही दिन तो बीते हैं आम आदमी की सभा में किसान की मौत को… और अब दिल्ली की क़ानून मंत्री जीतेंद्र सिंह तोमर की चर्चा में हैं…
देश का शायद ही कोई ऐसा चैनल होगा या फिर अखबार जिसमे इनके फर्जी डिग्री की कहानी न छापी हो लेकिन अरविन्द केजरीवाल हैं कि मानते नहीं… उन्होंने मंत्री से अब तक केवल स्पष्टीकरण माँगा है… ईटीवी बिहार के अनुसार, तिलका मांझी भागलपुर यूनिवर्सिटी ने जितेंद्र के लॉ की डिग्री को फर्जी बताया है. दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर की गई जांच में तिलकामांझी यूनिवर्सिटी ने कहा कि जितेन्द्र सिंह तोमर की लॉ की डिग्री का कोई रिकॉर्ड नहीं है. यूनिवर्सिटी ने दिल्ली हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया गया कि कानून मंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता जितेन्द्र सिंह तोमर की ओर से पेश लॉ का प्रोविजनल सर्टिफिकेट फर्जी है. साथ ही कहा गया है कि यूनिवर्सिटी में जितेंद्र सिंह तोमर नाम से कोई सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया है. जांच में पता चला है कि तोमर ने 18 मई 2001 के रजिस्टार राजेंद्र प्रसाद सिंह के हस्ताक्षर से जारी लॉ का प्रोविजनल सर्टिफिकेट नंबर 3687 को अपना दिखाया है. यह सर्टिफिकेट संजय कुमार चौधरी के नाम से जारी है.
दैनिक भास्कर ने लिखा कि इस पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तोमर से स्पष्टीकरण मांगा है. वहीं, कांग्रेस और बीजेपी ने ‘आप’ सरकार के कानून मंत्री का इस्तीफा मांगा है. ज़ी न्यूज़ की वेबसाईट ने लिखा कि इस खुलासे के बाद तोमर की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. केजरीवाल सरकार में अभी कानून का महकमा संभाल रहे तोमर की दिल्ली मंत्रिमंडल से विदाई हो सकती है. अदालत ने उत्तर प्रदेश के डाक्टर राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय से भी जवाब मांगा था जहां से विधि मंत्री ने विज्ञान में स्नातक करने की बात कही थी. इस खबर को तमाम चैनलों ने भूकंप की खबरों के बीच में प्रमुखता से दिखाया. टाइम्स ऑफ़ इंडिया, द हिन्दू समेत तमाम अंग्रेज़ी-हिन्दी की अखबारों ने इस खबर को प्रमुखता से लिया. बीबीसी हिंदी ने लिखा कि भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी ने सवाल उठाया है कि ऐसे व्यक्ति को क़ानून मंत्री कैसे बना दिया गया? लेखी ने कहा, “तोमर अभी तक पद पर कैसे बने हुए हैं?” क़ानून मंत्रालय के अलावा तोमर के पास पर्यटन और कला एवं संस्कृति मंत्रालयों का भी प्रभार है. हिंदुस्तान ने छापा कि कांग्रेस ने मंगलवार को दिल्ली के कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की. कांग्रेस नेता अजय माकन ने ट्विटर पर लिखा, ”आम आदमी पार्टी (आप) के दिल्ली के कानून मंत्री की कानून की डिग्री फर्जी पाई गई है. उन्हें तुरंत बर्खास्त कर खाली सीट पर नए सिरे से चुनाव कराया जाए!’’ देशबंधु ने लिखा कि दिल्ली सरकार के कानून मंत्री जीतेंद्र सिंह तोमर ने आज दो टूक कहा है कि उनकी डिग्री 100 फीसदी सही है और वह अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे. डिग्री विवाद के बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि यह राजनीतिक साजिश है और मेरे ऊपर लगाए गए सारे आरोप निराधार हैं. उन्होंने कहा कि यदि मैंने कुछ गलत किया होता, तो नियमित तौर पर कार्यालय नहीं आता. बहुत जल्द मैं विश्वविद्यालय से सारे रिकॉर्ड सामने लाऊंगा और पूरी स्थिति स्पष्ट करूंगा.
लेकिन उसके आगे की खबर अमर उजाला ने छापी. अमर उजाला के अनुसार, दिल्ली सरकार के कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की एलएलबी ही नहीं बीएससी की डिग्री भी फर्जी पाई गई है. फर्जी डिग्री लेने का खेल सबसे पहले यहां साकेत महाविद्यालय से शुरू हुआ है. जांच के बाद अवध विश्वविद्यालय ने जनवरी में ही बीएससी की डिग्री को फर्जी करार दे दिया था. विधानसभा चुनाव के दौरान दिल्ली विधानसभा चुनाव-2015 के दौरान त्रिनगर विधानसभा सीट से आप पार्टी के उम्मीदवार के रूप में उतरे जितेंद्र सिंह तोमर पुत्र बलबीर सिंह तोमर की स्नातक डिग्री फर्जी होने का आरोप लगा था. यह डिग्री वर्ष 1988 में डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय से संबद्ध का.सु. साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय अयोध्या से जारी बताई गई थी. गाजियाबाद के मोदीनगर तहसील क्षेत्र के रावली कलां निवासी प्रदीप पुत्र वेदप्रकाश ने डिग्री की जांच के लिए अवध विवि प्रशासन को पत्र लिखा. कुलपति के निर्देश पर परीक्षा नियंत्रक एएम अंसारी ने गोपनीय विभाग से जनवरी में जांच कराई थी. जांच में जितेंद्र सिंह तोमर की बीएससी द्वितीय वर्ष, अनुक्रमांक-31331, वर्ष 1988 की उपाधि, अंकपत्र व अनुक्रमांक को पूर्णतया फर्जी पाया गया था. परीक्षा नियंत्रक ने 22 जनवरी को पत्रांक-लो.अ.वि./ उपाधि/ 02/2015 पर शिकायतकर्ता को पत्र भेज अवगत कराया था. (नवल कान्त सिन्हा)