(News Rating Point) 08.04.2015.
लगता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए विपक्ष से ज़्यादा उनके नेता ही मुसीबत बने हुए हैं. नेताओं के बड़बोलेपन और विवादित बयान लगातार सरकार की मुसीबत खड़े किये रहते हैं. पिछले कुछ दिनों से नरेन्द्र मोदी के कुछ मंत्रियों और सांसदों का जिक्र आया होगा तो किसी विवादित बयान या बड़बोलेपन की वजह से आया होगा. सबसे झकझोरने वाले बयान विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह का है. उन्होंने निकृष्टता की हद करते हुए मीडिया की तुलना ‘प्रेसटीट्यूटस’ से कर दी. यमन से भारतीय लोगों को निकालने के अभियान में लगे वीके सिंह ने टाइम्स नाउ न्यूज चैनल और उसके हेड अर्नब गोस्वामी पर भी निशाना साधा. उन्होंने जिबूती में कहा यमन अभियान पाकिस्तानी दूतावास जाने से कम रोमांचक है.
विदेश राज्यमंत्री ने एएनआई को बाकायदा बाईट भी दी और कहा कि यमन से भारतीयों को निकालने के अभियान की निगरानी का काम को पाकिस्तानी दूतावास जाने से कम रोमांचक है. जनरल वीके सिंह अभी जिबूती में हैं और यमन में फंसे भारतीयों को सुरक्षित वापस लाने के लिए चलाए जा रहे अभियान की निगरानी कर रहे हैं. यानी यमन से नागरिकों को निकालने के जिस भारतीय अभियान की पूरी दुनिया में तारीफ हो रही थी. अखबारों, चैनलों में सकारात्मक खबर आ रही थी. उसमें जनरल वीके सिंह ने पलीता लगा दिया. जनरल वीके सिंह अपने ताजा बयान को लेकर सोशल मीडिया में जबरदस्त आलोचना के शिकार हुए. दरअसल उन्होंने मीडिया पर निशाना साधते हुए आपत्तिजनक ट्वीट किया. TimesNowDisaster हैशटैग के साथ जनरल वीके सिंह ने टाइम्स नाउ चैनल के संपादक अर्नब गोस्वामी के बारे में ट्वीट किया है. जनरल ने लिखा है- दोस्तों आप #presstitutes से क्या उम्मीद कर सकते हैं? पिछली बार अर्नब ने सोचा था कि O की जगह E है.
पूर्व में सेना प्रमुख रहे वीके सिंह ने बीते पखवाडे भारत सरकार के प्रतिनिधि के रूप में पाकिस्तान दिवस पर उसके दूतावास में जाने के कार्यक्रम को उबाउ व ड्यूटी की मजबूरी बताया था, जिसकी राजनीतिक व कूटनीतिक स्तर खूब आलोचना हुई. पिछले दिनों जनरल वीके सिंह दिल्ली में पाकिस्तानी दूतावास में आयोजित पाकिस्तान दिवस के कार्यक्रम में गए थे. बाद उन्होंने इसे ड्यूटी की मजबूरी बताते हुए ड्यूटी और डिसगस्ट हैशटैग के साथ कई ट्वीट किए थे. उनके ट्वीट को लेकर काफी विवाद हुआ था. पाकिस्तान दिवस पर पाक उच्चायोग के समारोह में शामिल होने के मामले में विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह ने कहा कि इस कार्यक्रम में शामिल होकर मैंने केवल शिष्टाचार निभाया और 15 मिनट में लौट आया. मीडिया इस मुद्दे को बेवजह तूल दे रहा है. बाद में उन्हें सफाई भी देनी पड़ी थी. अब उसी पाकिस्तान दूतावास में जाने को वीके सिंह कम और ज्यादा रोमांचक काम से तौल रहे है. मीडिया को वैश्या की उपाधि देने के इस विवाद में भारतीय जनता पार्टी की खासी फजीहत हो गयी. विपक्ष ने वीके सिंह के बयान की आलोचना की तो खुद भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा को को आकर कहना पडा कि ट्वीट व्यक्तिगत होता है और पार्टी का उससे कुछ लेना-देना नहीं है.
लेकिन ऐसा नहीं है कि केवल जनरल वीके सिंह ही अपने बयानों से फजीहत करा रहे हैं बल्कि ऐसा लगने लगा है कि एनडीए सरकार के मंत्रियों और सांसदों की एक पूरी श्रंखला है. सरकार में अहम पदों पर बैठे मंत्रियों और सांसदों के विवादित बयान राजनीति की एक परंपरा से बनते जा रहे हैं. विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह के साथ केंद्रीय उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू के बडबोलेपन ने सरकार को मुसीबत में डाल दिया. केंद्रीय उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू के विवादास्पद बयान के बारे में भी जान लीजिये. उन्होंने कहा कि वह हवाई जहाज से सफर के समय माचिस की डिब्बी लेकर चलते हैं. राजू का यह बयान उनकी बेपरवाही दिखाता है. गजपति राजू ने यह भी कहा कि एक मंत्री होने के कारण हवाई अड्डों पर उनकी जांच नहीं की जाती है और इस तरह वह अपनी माचिस और लाइटर बचा लेते हैं. जबकि जब वह मंत्री नहीं थे तो ये जब्त हो जाती थी. राजू का ये भी कहना है कि उन्होंने कभी नहीं सुना कि माचिस के चलते दुनिया के किसी भी जगह सुरक्षा में कोई चूक हुई हो. राजू ने कहना था कि वह जबसे नागरिक उड्डयन मंत्री बने हैं, उनकी जांच नहीं होती है. इसलिए उनके साथ सिगरेट की पैकेट और लाइटर भी रहता है, लेकिन कोई चेक नहीं करता. उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि जांच को मिनिंगफुल बनाया जाए. ज़ाहिर हैं उनके इस बयान से देश में हवाई सुरक्षा की पोल खुलती हुई नजर आने लगी है. सरकार लिए यह शर्मनाक इसलिए और है कि यह स्वीकारोक्ति खुद मंत्री की है. अशोक गजपति राजू ने कहा कि उन्होंने ऐसा कभी नहीं सुना कि माचिस की वजह से दुनिया भर में किसी भी जगह सुरक्षा में कोई चूक हुई हो. जबकि यह जगजाहिर है कि भारत में सुरक्षा के लिहाज से हवाई जहाज में माचिस या कोई ज्वलनशील पदार्थ ले जाने की इजाजत नहीं होती. कहने की जरूरत नहीं कि मंत्री के इस बयान पर विपक्ष हमलावर हो गया. खेद का विषय यह भी था कि पिछले कुछ दिनों से सरकार तम्बाकू को लेकर फजीहत का सामना कर रही थी. उनके सांसद तम्बाकू के समर्थन में बोल रहे थे. जब फजीहत की हद हुई तो प्रधानमंत्री ने उन सांसदों के प्रति नाराजगी जताए और तम्बाकू को लेकर निर्देश दिए. इस प्रकरण के बाद केंद्रीय उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू सिगरेट पीने के किस्से जितने गर्व से बता रहे थे, वो सचमुच शर्मनाक था.
तम्बाकू की बात हुई तो भाजपा सांसद दिलीप गांधी और श्यामाचरण गुप्ता के बारे में भी सुन लीजिए. प्रधानमंत्री मोदी ने तंबाकू उत्पादों खासकर सिगरेट के पैकिटों के एक बड़े हिस्से में चेतावनी छापने को कहा है. अभी यह चेतावनी 40 पर्सेंट हिस्से पर छपती है. एक अप्रैल से इसे बढ़ाकर 85% होना था, लेकिन इस पर अमल टाल दिया गया था. इस मुद्दे पर विचार कर रही संसद की एक समिति के अध्यक्ष दिलीप गांधी कह चुके हैं कि भारत में हुई कोई रिसर्च यह साबित नहीं करती कि तंबाकू के सेवन से कैंसर हो जाता है. सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों के पैकेट पर सचित्र चेतावनी के आकार पर छिड़े विवाद से हुई किरकिरी के बाद खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हालात संभालने के लिए आगे आना पड़ा है. भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के अंतिम दिन पीएम ने स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को ऐसे उत्पादों के पैकेट के 60 फीसदी हिस्से में चेतावनी छापने की व्यवस्था करने का निर्देश दिया. इतना ही नहीं पीएम ने इससे संबंधित संसदीय समिति में तंबाकू उत्पाद के कारोबार से जुड़े सांसदों को समिति छोड़ने का भी निर्देश दिया है. इस पर हुई सरकार की किरकिरी का परोक्ष जिक्र करते हुए पीएम को नड्डा से इसका तत्काल हल निकालने के लिए कहना पडा. अपने सांसदों के बयान से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नाराजगी के बाद वेंकैया नायडू ने बीड़ी किंग और इलाहाबाद से सांसद श्यामाचरण गुप्ता और इससे संबंधित संसदीय समिति के अध्यक्ष दिलीप गांधी को दिल्ली तलब किया .
तंबाकू और कैंसर के बीच कोई संबंध नहीं होने वाले बयान के लिए राकांपा प्रमुख शरद पवार ने भाजपा सांसद दिलीप गांधी का जमकर मजाक उड़ाया है. खुद का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि तंबाकू खाना सेहत के लिए नुकसानदेह है. एनसीपी के प्रमुख शरद पवार ने अहमदनगर से भाजपा सांसद दिलीप गांधी के उस बयान की कड़ी निंदा की, जिसमें उन्होंने कहा था कि तंबाकू और कैंसर का कोई संबंध नहीं है. पवार खुद एक कैंसर पीड़ित रहे हैं. उन्होंने कहा कि ‘कुछ जनप्रतिनिधि चिकित्सा विशेषज्ञ भी हैं. उनका कहना है कि तंबाकू के कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होते. मैं मेडिकल के पेशे से नहीं हूं. लेकिन मैं इसका भुक्तभोगी हूं. मैं गुटखा खाता था जिसकी वजह से मुझे मुंह का कैंसर हो गया था. मुझे ऑपरेशन कराना पड़ा और मेरे ऊपर व नीचे के दांत हटा दिए गए.’ लेकिन अहमदनगर के ‘ज्ञान’ रखने वाले कुछ जनप्रतिनिधि कहते हैं कि तंबाकू से स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं पड़ता. बाद में सांसद दिलीप गांधी के बयान पर बीजेपी की चुप्पी को लेकर शिवसेना ने पीएम पर निशाना साधा. मुखपत्र सामना में पार्टी ने कहा कि उन्होंने सड़कों की गंदगी साफ करने के लिए हाथ में झाडू ले लिया है लेकिन लोगों के मुंहों से निकलने वाली गंदगी को कौन साफ करेगा. इसी तरह इलाहाबाद से सांसद और बीड़ी बैरन के नाम से मशहूर श्यामाचरण गुप्त ने भी तम्बाकू का समर्थन कर सरकार की फजीहत कराई. उन्होंने तो यहाँ तक कहा कि तम्बाकू नुक्सान नहीं करता है. हालांकि प्रधानमंत्री की नाराजगी के बाद उन्होंने सफाई पेश की. कहा कि जैसा प्रधानमंत्री का निर्देश होगा, वह वैसा ही करेंगे.
अब मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी का किस्सा भी सुन लीजिये. उनके एक एक्शन ने भाजपा की बेंगलुरु में हो रही कार्यकारिणी की पूरी टीआरपी छीन ली. दरअसल जिस समय भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी चल रही थी, उस समय स्मृति ईरानी गोवा घूम रहीं. इस दौरान वह फैब इंडिया कपडे लेने गयीं और ट्रायल रूम के बाहर उन्हें आपत्तिजनक स्थिति में कैमरा लगा दिख गया. सचमुच यह महिलाओं की निजता का अपमान था और एक आपराधिक कृत्य जैसा समझा जा सकता है. लेकिन खुद स्मृति ईरानी एक बड़ी मंत्री और फिर गोवा में भाजपा की सरकार. ऐसे में इस मामले पर शांतिपूर्ण तरीके से भी कार्रवाई हो सकती थी लेकिन इसको लेकर इतना हो-हल्ला हुआ कि कार्यकारिणी की कवरेज फुस्स हो गयी. लेकिन मामला यही नहीं थमा.
इस प्रकरण में भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी भी कूद पडीं. भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने गोवा में एक नामी ब्रांड के शोरूम में हुई गुप्त कैमरे की घटना पर ऐसा बयान दे दिया कि जिससे विवाद खड़ा हो गया. लेखी ने कहा है कि स्मृति ईरानी को ट्रायल रूम में हिडन कैमरा दिखाई देने की घटना को बंगलूरू में चल रही भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की कवरेज को दबाने के लिए बेवजह खींचा गया. इससे ‘दाल में कुछ काला’ लग रहा है. लेकिन जब इस ट्वीट को लेकर हंगामा हुआ तो लेखी ने कुछ ही देर बाद एक अलग पोस्ट में लिखा, ‘मेरे पिछले ट्वीट पर प्रतिक्रिया के रूप में मैं यह सोच जाहिर करती हूं कि एक स्टोरी खबर के तौर पर प्रासंगिक है और दूसरी चर्चा के विषय के रूप में. मेरा सवाल स्मृति जी को लेकर नहीं बल्कि मीडिया के जोर पर है.’ यानी यह प्रकरण बिलावजह फिर मीडिया की सुर्ख़ियों में आ गया.
इससे पहले भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह सोनिया गांधी पर अपने बयान से खुद की तो फजीहत करा चुके हैं और साथ ही पार्टी को भी समस्या में डाल चुके हैं. गिरिराज सिंह के बयान की वजह से पार्टी को बैकफुट पर आना पड़ा. साथ ही अमित शाह की चेतावनी के बाद गिरिराज सिंह को अपने बयान पर खेद भी जताना पड़ा. मोदी सरकार के बड़बोले मंत्री गिरिराज सिंह की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ बिहार के हाजीपुर में की गई बेहूदा और नस्लीय टिप्पणी से सियासी बवंडर आ गया था. नाइजीरिया ने भी चेतावनी देते हुए कहा था कि इस तरह की टिप्पणी बर्दाश्त नहीं की जाएगी. मामले के तूल पकड़ने के बीच भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की कड़ी फटकार के बाद गिरिराज ने बयान पर खेद जताया. कांग्रेस ने मंत्री गिरिराज को बर्खास्त करने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने की मांग की कर दी थी. गिरिराज ने हाजीपुर में यह कह कर विवाद खड़ा कर दिया कि अगर राजीव गांधी ने किसी नाइजीरियाई लड़की से शादी की होती, उनकी चमड़ी गोरी न होती तो क्या कांग्रेस पार्टी उनका नेतृत्व स्वीकार करती? इस दौरान गिरिराज ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ भी विवादास्पद टिप्पणी की. राहुल की गैर मौजूदगी पर चुटकी लेते हुए उन्होंने कहा कि वह लापता मलेशियाई विमान की तरह गायब हो गए हैं.
समझा जा सकता है कि एनडीए सरकार में उनके खुद के मंत्री और सांसद ऐसे काम को अंजाम दे देते हैं कि विपक्ष को कुछ करने की जरूरत नहीं. साथ ही विपक्ष को बैठे-बिठाए मुद्दा मिल जाता है. साथ ही सरकार की सकारात्मक खबरे इन विवादित बयानों के कोलाहल में दब जाती हैं.
(नवल कान्त सिन्हा)