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किसी न किसी बहाने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी अपने विभाग से जुडी ख़बरों ने कभी उन्हें मुस्कुराने का मौक़ा दिया और कभी फजीहत कराई.
दैनिक जागरण ने 22 फरवरी को छापा- केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने भारत के बहुभाषी होने का स्वागत करते हुए कहा कि यह मूल्यवान संपत्ति और विरासत है. देश का बहुभाषी होना तारीफ के काबिल है. मातृभाषा दिवस पर महिलाओं के एथिराज कालेज को संबोधित करते हुए ईरानी ने कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश की सैकड़ों मातृभाषाएं देश की समृद्ध भाषाई विरासत को दर्शाती हैं. हमारे देश में हजार से भी अधिक मातृभाषाएं बोली जाती हैं. यह सिर्फ संख्या नहीं बल्कि गौरव महसूस करने की वजह है. उन्होंने कहा कि बहुभाषी देश होने को सराहना चाहिए. उदाहरण के तौर पर प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और कवि सुब्रहमन्या भारती ने तीस से अधिक भाषाएं सीखी थीं क्योंकि उन्हें ये सभी जुबानें अच्छी लगती थीं. फिर भी उनकी मातृ भाषा तमिल उन्हें उन सभी भाषाओं में सबसे मधुर लगती थी.
वेबसाईट वन इंडिया ने 26 फरवरी को पोस्ट किया- संसद में उस वक्त मोदी सरकार के लिए असहजग स्थिति पैदा हो गई थी जब भाजपा के ही एक सांसद में अपनी सरकार की कार्यपणाली पर सवाल उठा दिया. शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी को उस वक्त लोकसभा में असहज स्थिति का सामना करना पड़ा जब पार्टी के एक सांसद ने मिड डे मील की गुणवत्ता पर सवाल उठा दिए. प्रभात खबर ने लिखा- सत्ताधारी बीजेपी के एक सांसद ने अपने सवाल से लोकसभा में पार्टी और मानव संसधान मंत्री स्मृति ईरानी को बैकफुट पर ला दिया. झारखंड के गिरिडीह से बीजेपी सांसद रवींद्र कुमार पाण्डेय ने कहा कि मिड मील जहरीला है. सांसद की इस टिप्पणी पर मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने कड़ा ऐतराज जताया. ईरानी ने इस बात को कबूला कि मिड डे मील की क्वॉलिटी को लेकर शिकायतें आ रही हैं. लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान सांसद रवींद्र कुमार पाण्डेय ने कहा कि झारखंड के कई हिस्सों के स्कूलों में मिड डे मील के रूप में बीमार करने वाला भोजन दिया जा रहा है. तो नयी दुनिया ने अपनी वेबसाईट पर लिखा- यूनेस्को की ओर से अंतरराष्ट्रीय धरोहर घोषित किए जा चुके वैदिक मंत्र जाप और अध्ययन की विधा को संरक्षण देने के लिए अब केंद्र सरकार ने कमर कसी है. इसके तहत वर्षों तक इसका पूर्णकालिक अध्ययन करने वाले छात्रों और अध्यापन संस्थानों (वैदिक पाठशालाओं) को विशेष तौर पर वित्तीय मदद उपलब्ध करवाई जाएगी. साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर इसकी परीक्षा के मानक तय करने और राष्ट्रीय मान्यता वाले प्रमाणपत्र जारी करने की भी व्यवस्था की जा रही है. तीन सदस्यीय समिति गठित- मानव संसाधन विकास मंत्रालय के वरिष्ठ सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि वैदिक अध्ययन की परंपरा को संजोने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है. मंत्री स्मृति ईरानी ने इस समिति को नियमित रूप से अपनी बैठकें कर सिर्फ एक महीने के अंदर ही अपनी रिपोर्ट देने को कहा है. इस समिति में उज्जैन के महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान, तिरुपति के श्री वेंकटेश्वर वेद विश्वविद्यालय और वीरावल के सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपतियों को शामिल किया गया है.