​ Sudhir Joshi- समझता नहीं है यार

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नवल कान्त सिन्हा

(NRP) 28.12.2015
बर्खास्त कंटेंट सम्पादक सुधीर जोशी इसी लायक ही थे. कायदे से ऐसे लोगों को गोली मार दी जानी चाहिए लेकिन क्या करें इस देश का क़ानून इजाज़त नहीं देता. बताइये वह तो पत्रकार थे, इतना भी नहीं समझते कि पत्रकारिता का मतलब आजादी नहीं होता… दरअसल वह एक मजदूर विचारक/लेखक/पत्रकार थे… तो ये तो होना ही था. जब बनिया अपने अखबार में आजादी से लिखने नहीं देता तो वह तो एक राजनीतिक दल की दुकान में थे…. ऐसा कैसे हो गया ? सही किया, बाहर किया…​ नहीं तो मैसेज खराब जाता. ये गुलाम पत्रकार अपने मन से लिखना शुरू कर देते. देश का माहौल बिगड़ता. देश में जितने दलाल पत्रकारों ने राजनीति की पूरी दुकान संभाल रखी है, उन पर तो विश्वास ही उठ जाता.
अगर आप नहीं जानते तो बता दें कि इंडियन नेशनल कांग्रेस के 131वें स्थापना दिवस पर पार्टी की मुंबई इकाई की मैगजीन में छपे नेहरू और सोनिया विरोधी लेख ने खलबली मचा दी. इस मैगजीन कांग्रेस दर्शन के कंटेंट एडिटर सुधीर जोशी थे. स्वाभाविक है कि सोमवार की सुबह से इस मुद्दे पर शुरू हुए बवाल के बाद कांग्रेस ने सुधीर जोशी को बर्खास्त कर दिया. 15 दिसंबर को पटेल की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के मकसद से इस महीने ‘कांग्रेस दर्शन’ के हिंदी संस्करण में एक लेख छापा गया. लेख में कहा गया, ‘उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के पद पर रहने के बावजूद नेहरू और वल्लभ भाई पटेल के बीच संबंध तनावपूर्ण बने रहे और दोनों ने उस वक्त कई बार इस्तीफा देने की धमकी भी दी थी.’ लेख के मुताबिक, अगर नेहरू ने पटेल की दूरदर्शिता को ग्रहण किया होता तो कई अंतरराष्ट्रीय मामलों को लेकर समस्या खड़ी नहीं होती. लेख में 1950 में पटेल के लिखे एक कथित पत्र का हवाला दिया गया है, जिसमें उन्होंने तिब्बत को लेकर चीन की नीति के खिलाफ नेहरू को आगाह करते हुए चीन को ‘एक अविश्वासी और भविष्य में भारत के दुश्मन के तौर पर बताया है.’
लेख में मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर निशाना साधने के साथ व्यक्तिगत टिप्पणी भी की गई. एक दूसरे लेख में कहा गया, ‘सोनिया सन् 1997 में कांग्रेस अध्यक्ष बनने से मात्र 62 दिन पहले पार्टी में शामिल हुई थीं.’  इसमें सोनिया गाँधी के सरकार बनाने की असफल कोशिश का जिक्र करने के साथ ही यह भी कहा गया है कि उनके पिता एक फासिस्ट सिपाही थे. जैसे ही इन लेखों पर बवाल शुरू हुआ, जर्नल के संपादक और मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम ने मान लिया कि गलती हुई है. उन्होंने कहा कि संपादकीय टीम में जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. उसके बाद मैगजीन के सामग्री संपादक सुधीर जोशी को बर्खास्त कर दिया गया.

 

[box type=”info” head=”नोट”]सिर्फ हास्य-व्यंग्य है, दिल पर न लें… किसी का कलेजा दुखाना कभी किसी हास्य-व्यंग्य का मकसद नहीं हो सकता, सचमुच… फिर भी बुरा लगा तो- हमसे भूल हो गयी हमका माफी दई दो… नहीं तो फोन कर दो, मेल कर दो- आइंदा आपसे बचकर चलेंगे भैया…[/box]

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