एनआरपी डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अपराधियों का दुस्साहस चरम पर पहुंचता दिख रहा है। बीते 24 घंटे राज्य के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रहे। एक के बाद एक 14 हत्याएं हुईं, और वो भी अलग-अलग जिलों में कुछ आपसी रंजिश में, कुछ साजिशन और कुछ बेखौफ हमलों में। हत्या की इन वारदातों ने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। उत्तर प्रदेश में बीते 24 घंटे में 14 से अधिक लोगों की हत्या ने प्रदेश और देश में सनसनी फैला दी है। एक और जहां योगी सरकार कानून व्यवस्था दुरुस्त होने का दावा करती है, वहीं बीते 24 घंटे में हुई सनसनीख़ेज़ वारदातों में ने यूपी पुलिस और सरकार की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है। सबसे बड़ी चुनौती तो सरकार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश पुलिस के मुखिया कार्यवाहक डीजीपी प्रशांत कुमार की है, जिनका जिनके रिटायरमेंट को महज़ कुछ रोज ही बचे है। ऐसी स्थिति में चर्चा इस बात की भी है कि क्या क्या प्रशांत कुमार को एक्सटेंशन यानी सेवा विस्तार मिलेगा या नहीं। या फ़िर प्रशांत कुमार कोई नई भूमिका में नजर आएंगे। जबकि बीते 24 घंटे की वारदातों ने सरकार समेत प्रशांत कुमार की भी नींद ज़रूर उड़ा दी है। बीते 24 घंटों में 14 लोगों की हत्याओं से सवाल है कि क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बुलडोजर का ख़ौफ़ खत्म हो चुका है? क्या उत्तर प्रदेश पुलिस का इकबाल खत्म हो चुका है? या फिर पुलिसिंग व्यवस्था को नए सिरे से रीसाइक्लिंग करने की जरूरत है। सबसे बड़े राजनीतिक प्रदेश में हो रही आपराधिक वारदातों से यूपी का सियासी पारा 7 वें आसमान पर है। लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद, अलीगढ़ और पूर्वांचल समेत तमाम जगहों पर न सिर्फ लोगों की हत्याएं हुई बल्कि 24 घंटे में 14 लोगों की हत्या की चर्चा विपक्ष से साथ – साथ आम जनमानस में भी है। यही वजह है कि ताबड़तोड़ आपराधिक वारदातों की वजह से कार्यवाहक डीजीपी प्रशांत कुमार की रेटिंग में कॉफी गिरावट देखने को मिली है।