दिल्ली। देश का अगला राष्ट्रपति कौन होगा इसे लेकर अब पक्ष और विपक्ष के बीच राजनीति तेज हो चुकी है। विपक्ष की ओर से भाजपा के पूर्व वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी होंगे। विपक्ष की बैठक में सर्वसम्मति से यशवंत सिन्हा के नाम पर मुहर लग गई है। इस बात के कयास यशवंत सिन्हा के एक ट्वीट से लगाए जा रहे थे, जिसमें उन्होंने लिखा कि एक बड़े राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए अब मुझे पार्टी से हटकर विपक्षी एकता के लिए काम करना चाहिए। उनके इस ट्वीट के बाद इसके कई मायने निकाले जा रहे थे। आखिर कौन हैं राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के नेता यशवंत सिन्हा।
दैनिक जागरण ने लिखा कि वर्ष 1960 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयन हुआ। वर्ष 1984 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देकर जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। 1986 में महासचिव बनाए गए। वर्ष 1989 में जनता दल में शामिल हुए। चंद्रशेखर के प्रधानमंत्रित्व काल में वित्तमंत्री के पद पर रहे। वर्ष 1996 में भाजपा में शामिल हुए। 1998 में हजारीबाग से सांसद निर्वाचित हुए वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री बनें। 2002 में विदेश मंत्री बनाए गए। वर्ष 2004 में हजारीबाग संसदीय क्षेत्र से चुनाव हार गए। वर्ष 2009 के संसदीय चुनाव में वह विजयी रहे। वर्ष 2018 में भाजपा से इस्तीफा दिया। 13 मार्च, 2021 को तृणमूल कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। तृणमूल कांग्रेस के उपाध्यक्ष बनाए गए।
वर्ष 1989 में जब वीपी सिंह कैबिनेट की शपथ ली जा रही थी, सिन्हा ने शपथ लेने से इनकार कर दिया था। वह राज्यमंत्री (MoS) पोर्टफोलियो की पेशकश से नाराज थे। सिन्हा तब जनता दल का प्रतिनिधित्व करने वाले राज्यसभा सदस्य थे। वीपी सिंह ने महसूस किया कि सिन्हा राजनीति में जूनियर थे, क्योंकि सांसद के रूप में यह उनका पहला कार्यकाल था। वह पूर्व पीएम चंद्रशेखर के भी करीबी रहे। चंद्रशेखर के प्रधानमंत्रित्व काल में वह वित्त मंत्री के पद पर रहे। बाद में समाजवादी जनता का प्रभाव समाप्त होने के बाद उन्होंने भाजपा के साथ राजनीतिक पारी आरंभ की।
लालू प्रसाद से अनबन के बाद यशवंत सिन्हा को कांग्रेस में भी शामिल होने का आफर था, लेकिन भाजपा का दामन थामा। दरअसल, लालू प्रसाद की अनदेखी के बाद वह भाजपा के संपर्क में आए। दिल्ली पहुंचते ही उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी से संपर्क किया और भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। भाजपा शासन में वह पहले वित्त मंत्री और बाद में विदेश मंत्री बने। वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव में उन्हें भाजपा ने टिकट नहीं दिया। उनके स्थान पर उनके पुत्र जयंत सिन्हा को परंपरागत हजारीबाग सीट से भाजपा ने मौका दिया। कई नीतिगत मुद्दों पर मतभेद होने के कारण उन्होंने भाजपा को अलविदा कह दिया।
सिन्हा का 1998-99 का बजट सबसे पहले सुबह पेश किया गया था। उन्हें पेट्रोलियम उपकर के माध्यम से भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के वित्त पोषण को बढ़ावा देने का श्रेय भी दिया जाता है। इसके चलते पूरे भारत में राजमार्गों के निर्माण को आगे बढ़ाने और महत्वाकांक्षी स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना को शुरू करने में मदद मिली। वित्त मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने पेट्रोलियम उद्योग को विनियमित किया और दूरसंचार उद्योग के विस्तार में मदद की। उन्होंने अपनी पुस्तक कन्फेशन्स आफ ए स्वदेशी रिफार्मर में वित्त मंत्रालय के रूप में अपने कार्यकाल के बारे में विस्तार से लिखा है।
यशवंत सिन्हा का जन्म 6 नवंबर, 1937 को बिहार की राजधानी पटना में हुआ था। उनकी स्कूल और विश्वविद्यालय की शिक्षा पटना में हुई। उन्होंने 1958 में राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर किया। इसके बाद वे 1958 से 1960 तक पटना विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के अध्यापक रहे। सिन्हा 1960 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में शामिल हुए और अपने सेवा कार्यकाल के दौरान महत्वपूर्ण पदों पर 24 वर्षों से अधिक समय बिताया।