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HIT *** (News Rating Point) 28.05.2016
यूपी के मुख्यमंत्री अपनी संवेदनशीलता और मानवीयता के लिए अक्सर चर्चा में रहते हैं. इस सप्ताह भी एक खबर ने उन्हें सकारात्मक नज़रिए से चर्चा में बनाये रखा. दैनिक जागरण ने लिखा कि संवेदनशील. सजग व जिम्मेदार. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोमवार को अपनी फ्लीट निकलने को खाली कराई गयी सड़क को एक एम्बुलेंस के लिए ‘ग्रीन कारीडोर’ में तब्दील कराकर इन शब्दों का मान रख लिया. जिससे डॉ.रत्नेश्वर चौधरी को समय से इलाज मिल गया. बिहार के अररिया निवासी व अररिया कालेज से सेवानिवृत प्रोफेसर डॉ.रत्नेश्वर चौधरी अपने पड़ोसी रंजीत कुमार के साथ सोमवार की सुबह बागडोगरा से दिल्ली के लिये गो एयरवेज के हवाई जहाज पर सवार हुए. दिल्ली में मौसम की खराबी के चलते जहाज लखनऊ भेजा गया. तीन बजकर 45 मिनट पर जहाज अमौसी हवाई अड्डे पर उतरा, जहां रत्नेश्वर ने नाश्ता किया. अपने दोस्त से बातचीत के साथ ही किताबें व अखबार पढ़े. जहाज यहां से उड़ान भरता, इससे पहले ही वह मूर्छित हो गए. रंजीत ने जहाज के क्रू मेम्बरों को जानकारी दी और आनन-फानन में उन्हें एम्बुलेंस से उन्हे लोक बंधु अस्पताल भेजा गया. प्रारम्भिक उपचार के बाद डॉक्टरों ने उन्हें केजीएमयू ले जाने की सलाह दी और समाजवादी एम्बुलेंस से लारी कार्डियोलॉजी के लिए रिफर कर दिया. एम्बुलेंस कानपुर रोड पर पहुंची ही थी कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का काफिला आ गया. मुख्यमंत्री की नजर एंबुलेंस पर पड़ गयी, उन्होंने सुरक्षा अधिकारियों को एंबुलेंस को आगे निकालने और बिना रुकावट के समय से केजीएमयू तक ले जाने का हुक्म दिया. सुरक्षा अधिकारियों ने चंद सेकंड के अंदर मुख्यमंत्री की फ्लीट निकालने के लिए सन्नाटे वाली सड़क को ‘ग्रीन कारीडोर’ में तब्दील कराकर एम्बुलेंस को अपनी फ्लीट के आगे-आगे चलाया. डॉ.रत्नेश्वर के साथी रंजीत कुमार ने बताया कि लारी कार्डियोलाजी पहुंचने पर डॉक्टर मुस्तैद मिले. तब उन्हें पता चला कि लालबत्ती वाली जिन गाड़ियों को धीमा कर उनकी एम्बुलेंस निकाली गयी थी, वह मुख्यमंत्री का काफिला था.
(अखबारों, चैनलों और अन्य स्रोतों के आधार पर)