एनआरपी डेस्क।
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कहा कि कांशीराम की शिष्या व उत्तराधिकारी होने के नाते उनके पदचिह्नों पर चलते हुए मैं अपनी आखिरी सांस तक हर कुर्बानी देकर पार्टी मूवमेंट को आगे बढ़ाने का संघर्ष जारी रखूंगी, ताकि बहुजन समाज के लोग राजनीतिक गुलामी व सामाजिक विचार के जीवन से मुक्त होकर अपने पैरों पर खड़े हो सके। इसे आगे बढ़ाने के लिए स्वार्थ, रिश्ते-नाते महत्वहीन हैं। मेरे लिए बहुजन हित सर्वोपरि है। अपने समभी अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से बाहर करने के बाद उनके इस बयान के सियासी मायने तलाशे जा रहे हैं। मायावती ने रविवार को जारी बयान में आगे कहा कि बसपा डॉ. आंबेडकर द्वारा शुरू किए गए बहुजन समाज के आत्मसम्मान व स्वाभिमान के कारवां की सतर तक पहुंचाने तथा कांशीराम द्वारा सब कुछ त्याग कर स्थापित की गई पार्टी और उसका मूवमेंट है।