नवल कान्त सिन्हा
(NRP) 13.01.2016
अरे कोई बताएगा कि ये मुकदमा इज्ज़त बचाने का है या इज्ज़त उतरवाने का… हां हां… मैं देश के आदरणीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के दायर मानहानि मुक़दमे की ही बात कर रहा हूँ. उन्होंने ही तो आरोप लगाया था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री आदरणीय अरविंद केजरीवाल ने उनकी इज्ज़त उतार के धर दी है. उन्होंने अपनी इज्ज़त तौली भी थी. कोर्ट से कहा था कि उनकी इज्ज़त का दस करोड़ रुपया केजरीवाल की वजह से धुल गया है. समझ गए न, उन्होंने इज्ज़त बचाने की गुहार लगायी थी. लेकिन अब तो लगने लगा है कि बड़े-बुजुर्गों ने सही ही कहा है कि बेटा कोर्ट कचहरी के चक्कर में पड़ने से बचना.
माफ़ कीजियेगा. पता नहीं, तारीख पे तारीख… तारीख पे तारीख… और उसके बाद न जाने कब न्याय हो लेकिन अभी तो धुली पड़ी है. यानी दस करोड़ की इज्ज़त का पहली ही जेटली साहब को नुकसान हो चुका है और उससे भी ज़्यादा अरविंद केजरीवाल कोर्ट में इज्ज़त उतार रहे हैं. अब बताइये जेटली साहब की ओर से दायर मानहानि के मुकदमे में मंगलवार को केजरीवाल जी ने जवाब दाखिल किया. और लेओ… अपनी सफाई तो दी ही नहीं उलटे इज्ज़त में से कई करोड़ और उतार दिए. लाहौल बिला कुव्वत… दिल्ली हाईकोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए केजरीवाल साहब ने उलटे ये बोल दिया, ‘जेटली का कोई मान ही नहीं है तो हानि कैसे हुई?’ इतना ही नहीं कोर्ट में 2000 पन्नों का इज्ज़त का फालूदा दाखिल कर दिया. यानी डीडीसीए में भ्रष्टाचार से जुड़े दस्तावेज कोर्ट में लगा दिए.
इससे अच्छा तो ममता दीदी का कार्यक्रम था. जहां कम से कम कोई किसी की इज्ज़त तो नहीं उतार रहा था. जेटली और अरविंद केजरीवाल जी ने दीदी के यहाँ एक साथ डिनर भी किया था. केजरीवाल जी ने मंच पर अरुण जेटली को देखते ही हाथ भी जोड़े थे… हम तो सोचे थे कि मुकदमा शिगूफा भर है. दोनों ही सफ़ेद कमीज़ पहनते हैं. दाग लगाने से बचेंगे लेकिन ये देखो- दिल्ली लौटते ही इज्ज़त उतारू कार्यक्रम शुरू हो गया. दरअसल जेटली साहब ने कोर्ट से कहा था कि उन्होंने डीडीसीए से एक भी पैसा नहीं लिया. केजरीवाल तथा उनके नेता उनकी करोड़ों की इज्ज़त धुल रहे हैं. और अब तक इज्ज़त में दस करोड़ का फटका लगा चुके हैं. अब बताइये जो धुल गयी, वो धुल गयी… बची इज्ज़त पर तो चूना नहीं लगना चाहिए था !!! लेकिन कोर्ट तो फिर कोर्ट है, जब तक न्याय मिलता है, तब तक काफी काम लग चुका होता है. अब सुनिए केजरीवाल जी ने कोर्ट को क्या बताया. उन्होंने तो कह दिया कि अरुण जेटली का यह कहना कि उनकी छवि सम्मानित व्यक्ति की है, बढ़ा-चढ़ाकर किया गया दावा है. इसका आधार ही नहीं है. और तो और यहाँ तक कह दिया कि 2014 के चुनाव में बीजेपी की सफलता के बावजूद जेटली 1 लाख से ज्यादा वोटों से हार गए थे. यानी भारतीय लोकतंत्र ने कभी इनके सार्वजनिक सम्मान के दावे को स्वीकार नहीं किया. आगे सुनिए- “जेटली का ये दावा बिल्कुल गलत है कि उनके सम्मान को कोई क्षति पहुंची है. यह मुकदमा इस बात पर नहीं कि उनके निजी सम्मान को क्षति पहुंचाई गई है, बल्कि इस बात पर है कि उनके सार्वजनिक सम्मान को हानि हुई है.” अब बताओ नेता की इज्ज़त भ्रष्टाचार में जाती है या इसमें कि पब्लिक नेता को लिफ्ट ही नहीं देती ? ओफ्फो टीवी से लेकर अख़बारों तक सब जगह नज़र आया केजरीवाल का जवाब… अब बताइये. पता नहीं कब तक कोर्ट तय करेगा कि इज्ज़त है कि नहीं… और पता नहीं कब तक पता चलेगा कि उनकी उतरी इज्ज़त का दाम कितना बनता है… लेकिन उससे पहले का क्या !!! अभी तो मामला इज्ज़त की दे दनादन धुलाई का है….
[box type=”info” head=”नोट”]सिर्फ हास्य-व्यंग्य है, दिल पर न लें… किसी का कलेजा दुखाना कभी किसी हास्य-व्यंग्य का मकसद नहीं हो सकता, सचमुच… फिर भी बुरा लगा तो- हमसे भूल हो गयी हमका माफी दई दो… नहीं तो फोन कर दो, मेल कर दो- आइंदा आपसे बचकर चलेंगे भैया…[/box]