Amit Shah BJP

0

HIT 1/2* (News Rating Point) ​14.03.2015​
पीडीपी पर फजीहत, डैमेज कंट्रोल और नयी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की वजह से भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह चर्चा में रहे. अमित शाह के लिए सबसे जरूरी था कश्मीर में मुफ़्ती मुहम्मद सईद को कंट्रोल करना जो एकतरफा फैसले लिए जा रहे थे और भाजपा के हिस्से में फजीहत के सिवा कुछ नहीं ला रहा था. विपक्ष से लेकर शिवसेना तक भाजपा को निशाने पर रखे रहीं. यहाँ तक कि आरएसएस नेता भी संतुष्ट नज़र नहीं आ रहे थे.
अमर उजाला ने 9 मार्च को लिखा- शिवसेना ने भाजपा के खिलाफ पीडीपी के बहाने नया मोर्चा खोला है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र में विवादित शीर्षक के तहत पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नेता और जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी की है. साथ ही पीडीपी से गठबंधन कर जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना भी की है. शिवसेना ने लिखा है कि पीडीपी से गठबंधन कर भाजपा ने अपने लिए मुसीबत मोल ले ली है.​ इससे एक दिन पहले ​8​ मार्च को दैनिक जागरण ने शीर्षक लगाया- भाजपा पर बरसी शिवसेना. अमर उजाला ने 10 मार्च को शीर्षक लगाया- मसर्रत आलम की रिहाई पर डैमेज कंट्रोल में जुटी भाजपा. अखबारों ने कश्मीर पर लिखा- मुख्यमंत्री की ओर से फैसले लेने में भाजपा को विश्वास में न लिए जाने से पार्टी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. भाजपा ने मिशन कश्मीर के तहत पहली बार सत्ता में आने का फैसला किया था, लेकिन जिस प्रकार से गठजोड़ सरकार का संदेश प्रदेश तथा देशभर में जाना चाहिए था, वह दांव पार्टी को उलटा पड़ता नजर आने लगा है. भाजपा सूत्रों का कहना है कि यदि इसी प्रकार चलता रहा तो पूरे देश में भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. मसर्रत की रिहाई का मामला अधिक तूल पकड़ा तो इससे कानून-व्यवस्था की स्थिति भी बिगड़ सकती है. अमर उजाला ने 11 मार्च को लिखा- कट्टर अलगाववादी मसर्रत आलम की रिहाई के मामले में अपनी किरकिरी कराने के बाद भाजपा नए खुलासे के कारण बैकफुट पर आ गई है. अब मामले से उबरने के लिए उसने अपना गुस्सा मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद पर निकाला है. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने खुद मुफ्ती से बात कर दो टूक कहा है कि आगे से ऐसा कोई भी कदम गठबंधन के भविष्य के लिए ठीक नहीं होगा. पार्टी ने मुफ्ती को चेतावनी दी है कि वह इस तरह के विवादित कदम न उठाएं और साझा न्यूनतम कार्यक्रम का पालन करें. ताजा रिपोर्टों में कहा गया है कि मसर्रत की रिहाई की तैयारी मुफ्ती सरकार के पहले से हो रही थी और प्रक्रिया फरवरी में शुरू हुई थी। इस दरम्यान राज्य में राज्यपाल शासन था और सत्ता परोक्ष रूप से केंद्र यानी भाजपा के हाथ में थी. टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने 11 मार्च को लिखा- BJP has warned J&K chief minister Mufti Mohammad Sayeed against any further provocations like the release of separatist leader Masarat Alam, underlining that breach of the red line can have serious consequences for the coalition. The ultimatum was set by BJP chief Amit Shah after a meeting with party legislators from J&K, and will be formally conveyed to Sayeed on Wednesday by J&K deputy CM Nirmal Singh and party general secretary Ram Madhav​.प्रभात खबर- जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से भेंट कर अलगाववादी नेता मसरत आलम की रिहाई के बाद राज्य की परिस्थितियों से उन्हें अवगत कराया.​

दैनिक जागरण ने लिखा- अलगाववादी मसर्रत आलम की रिहाई के बाद केंद्र सरकार के सख्त रुख का असर दिखने लगा है. केंद्र राजनीतिक कैदियों की रिहाई रोकने के लिए मुफ्ती मुहम्मद सईद सरकार पर दबाव बनाने में सफल रहा है. जम्मू-कश्मीर के गृह सचिव सुरेश कुमार ने मंगलवार को आश्वासन दिया कि आगे से किसी आतंकी या राजनीतिक कैदी को रिहा नहीं किया जाएगा. ​सूरत से प्रकाशित लोकतेज ने लिखा- सूत्रों के मुताबिक मुफ्ती मोहम्मद सईद ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और फिर गृह मंत्री राजनाथ सिंह से फोन पर बात की है. मुफ्ती ने कहा है कि कोई भी अलगाववादी बिना दोनों पार्टी की सहमति से पहले नहीं छोड़ा जाएगा. दैनिक जागरण ने ही एक अन्य खबर में लिखा – अलगाववादी मसर्रत आलम की रिहाई के बाद केंद्र सरकार के सख्त रुख का असर दिखने लगा है. केंद्र राजनीतिक कैदियों की रिहाई रोकने के लिए मुफ्ती मुहम्मद सईद सरकार पर दबाव बनाने में सफल रहा है. जम्मू-कश्मीर के गृह सचिव सुरेश कुमार ने मंगलवार को आश्वासन दिया कि आगे से किसी आतंकी या राजनीतिक कैदी को रिहा नहीं किया जाएगा. न्यूज चैनल ‘टाइम्स नाउ’ के मुताबिक आरएसएस कट्टरपंथी अलगाववादी नेता की रिहाई पर बीजेपी की भूमिका से खुश नहीं है. संघ ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को संदेश भिजवाकर साफ कहा है कि पार्टी अपने सिद्धांतों से समझौता न करे.देशबंधु- लगता है भाजपा से गठबंधन कर सत्ता में आए जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मु​​फ्ती मोहम्मद सईद ने भाजपा की नाक में दम करने की ठान रखी है. नयी दुनिया ने लिखा- कट्टरपंथी मसर्रत आलम की रिहाई के एकतरफा फैसले से नाराज भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद से भेंट कर कड़े शब्दों में एतराज जताया है. उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, राम माधव ने बुधवार देर शाम जम्मू में मुख्यमंत्री आवास पर मुफ्ती के साथ करीब सवा घंटे चली बैठक में स्पष्ट किया कि राज्य में गठबंधन की कामयाबी के लिए जरूरी है कि न्यूनतम साझा कार्यक्रम के दायरे में रहकर सरकार चलाई जाए. दैनिक जागरण ने लिखा- राम माधव की मुफ्ती से मुलाकात को इस लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि मसर्रत को जेल से रिहा किए जाने के बाद दोनों पार्टियों में मतभेद की खबरे आ रही थी. इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी इसे लेकर अपनी नाराजगी जताई थी.
अपनी नयी कार्यकारिणी के लिए भी अमित शाह ने सुर्खियाँ बटोरी. सभी अखबारों ने इसे प्राथमिकता पर कवर किया. जनसत्ता ने लिखा- भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने गुरुवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी का पुनर्गठन कर इससे केंद्रीय मंत्रियों स्मृति ईरानी, नजमा हेपतुल्ला और हेमा मालिनी को हटा दिया जबकि सुरेश प्रभु और बिरेंद्र सिंह इसमें स्थान पाने वाले नए लोगों में शामिल हैं. शाह ने कार्यकारिणी में सभी शीर्ष नेताओं अटल बिहारी वाजपेयी, नरेंद्र मोदी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली और वेंकैया नायडू को बरकरार रखा है. इस 178 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी में केंद्रीय मंत्री वीके सिंह, राव इंद्रजीत सिंह और सुब्रमण्यम स्वामी को भी स्थान मिला है. राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक अप्रैल के पहले हफ्ते में बंगलुरु में हो सकती है. पश्चिम बंगाल में भाजपा के उदीयमान नेता और गायक बाबुल सुप्रियो को विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया है. फिल्म अभिनेत्री और चंडीगढ़ से पार्टी की सांसद किरण खेर को भी इसी श्रेणी में स्थान मिला है. कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री बिरेंद्र सिंह, रक्षा राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह के अलावा पूर्व सेना प्रमुख वीके सिंह को भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह दी गई है. भाजपा शासित सभी आठ राज्यों के मुख्यमंत्रियों और जम्मू कश्मीर समेत दो राज्यों के उपमुख्यमंत्रियों के अलावा पार्टी के 24 पूर्व मुख्यमंत्री और तीन पूर्व उपमुख्यमंत्री राष्ट्रीय कार्यकारणी के स्थायी निमंत्रित सदस्य हैं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here