14.02.2015 (News Rating Point- FLOP*****)
लोकसभा चुनाव के बाद से राजनीति का सबसे चतुर खिलाड़ी जिसे समझा जा रहा था वो मीडिया के निशाने पर रहा. अखबारों, टीवी चैनलों, वेबसाइट्स, सोशल वेबसाइट्स सब जगह अमित शाह को आलोचना का शिकार होना पडा. लगातार सभी माध्यमों में बीजेपी की गलतियां गिनाई जाती रहीं. 9 फरवरी को अमर उजाला में खबर छपी- संघ को भी भाजपा नेतृत्व की रणनीति पर ऐतराज, बेदी, अति आत्मविश्वास और नकारात्मक प्रचार, उम्मीद से पीछे रहने के मुख्य कारण… जिसमे कहा गया- संघ का आकलन है कि स्थानीय नेताओं को नजरअंदाज कर अचानक किरण बेदी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ लगातार नकारात्मक प्रचार के चलते पार्टी की चुनावी संभावना गड़बड़ाई है. 10 फरवरी को दिल्ली मतगणना पर सभी चैनलों में अमित शाह की रणनीति के जबरदस्त आलोचना हुई. 12 फरवरी को अमर उजाला के दिल्ली संस्करण में पेज 1 टॉप पर हिमांशु मिश्र की खबर थी- हार की अंदरूनी रिपोर्ट में भाजपा नेतृत्व पर सवाल-कृष्णगोपाल-रामलाल की रिपोर्ट ने गिनाए हार के 18 कारण. रिपोर्ट के अनुसार ये हैं हार के कारण- चुनाव से सिर्फ कुछ दिन पहले बिना व्यापक सलाह के बेदी को सीएम उम्मीदवार बनाना हार का बड़ा कारण, शीर्ष नेतृत्व में संवादहीनता और एकतरफा संवाद, पिछले चुनाव में जिताने वाली टीम में बदला, ठीक तरह से तैयारी न होना और नकारात्मक प्रचार, नेताओं के अहं, एकतरफा संवाद व रणनीतिक खामी का भुगतना पड़ा खामियाजा- भाजपा और संघ ने भी मान लिया है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में संवादहीनता, रणनीति बनाने में शामिल वरिष्ठ नेताओं का अहं और एकतरफा संवाद भाजपा को ले डूबा. किसी भी चैनल, अख़बार और तमाम वेबसाइट्स अमित शाह को फ्लॉप साबित करती नज़र आयी. इतना ही नहीं गोविन्दाचार्य ने भी जले पर नमक छिडका. गोविन्दाचार्य की बाईट जहां-जहां चली वो अमित शाह की रेटिंग कम करती चली गयी. सप्ताह के अंत में कश्मीर में गठबंधन और आसाम के 74 स्थानीय निकायों में 38 में जीत हासिल करने की खबर ने जरूर अमित शाह को राहत की साँस दी होगी.