एनआरपी डेस्क।
लखनऊ। दावा था कि तेलीबाग की हैबत मऊ झील का नजारा बदल जाएगा, जिसके बाद यहां लोग पिकनिक भी मना सकेंगे। इसमें बारिश के पानी का संचय किया जा सकेगा, लेकिन नगर निगम की लापरवाही से सात साल से अधिक समय बीतने के बाद भी काम अधूरा है। झील धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है और दूर तक मिट्टी ही मिट्टी दिखती है। एक तरफ जहां अभियंता और अधिकारी बदलते रहे तो यहाँ निर्माण एजेंसी भी बेलगाम दिखी। अफसरों की टीम ने निरीक्षण करने गई, लेकिन झौल की जमीन का विवाद लंबे समय से लटका रहा। झील को कैसे सुंदर बनाया जाए इसके लिए लेख मैन आनंद कुमार को भी बुलाया गया था, लेकिन उनके सुझाव भी झील में गोते लगाते दिखे। केंद्र सरकार को अमृत योजना-वन में हैबत मऊ मवैया झील को शामिल किया गया था। अब अमृत योजना दू भी चालू हो गई है, लेकिन 2017-18 में चालू हुई बीस करोड़ लागत बालों इस योजना में 8.6 करोड़ कर भुगतान होने के बाद भी यह सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर काम कब पूरा होगा। इस अधूरी योजना ने आसपास के निवासियों की दुश्वारियां बढ़ा दी हैं।



