(News Rating Point) 26.04.2016
प्रमुख सचिव स्टाम्प एवं निबंधन मंत्री अनिल कुमार अपने विभाग के मंत्री के साथ विवाद की वजह से चर्चा में हैं. हिन्दुस्तान, नवभारत टाइम्स समेत कई अखबारों ने इस खबर को प्रमुखता से छापा. हाल में विभाग के 33 लिपिकों को प्रभारी सब रजिस्ट्रार के पद पर तैनात करने के प्रमुख सचिव के फैसले को राजा भईया ने अवैध करार दे दिया. इसके अलावा अपर महानिरीक्षक निबंधन (एडीशनल आईजी) के दो पदों पर प्रमुख सचिव ने कार्मिक विभाग से डीपीसी करवाकर पांच नाम तय करवाने का जो फैसला लिया, वह भी विभागीय मंत्री को रास नहीं आया. जबकि फरवरी माह में इस फाइल पर सीएम से अनुमोदन लिया जा चुका है. हालांकि प्रमुख सचिव अनिल कुमार ने सीएम के अनुमोदन के बाद अपने विभागीय मंत्री से अनुमोदन लेने के लिए उनके पास भी फाइल भेजी मगर मंत्री ने फाइल पर यह लिख दिया कि सीएम से अनुमोदन वाला अंश फाइल में नहीं है, इसलिए वह अंश भी भेजा जाए. इन दोनों ही मामलों पर विभाग के अन्य अफसर अब प्रमुख सचिव अनिल कुमार के साथ लामबंद हैं. नाम न छापने की शर्त पर अफसरों ने बताया कि प्रमुख सचिव के दोनों ही फैसले नियमों के मुताबिक हैं. चूंकि लोक सेवा आयोग में सब रजिस्ट्रार की नई भर्तियों पर रोक लगी हुई है और 25} बाबुओं को कोटे से सब रजिस्ट्रार बनाने का प्रावधान है इसलिए रोक की वजह से इन बाबुओं को प्रभारी रजिस्ट्रार बनाया गया है. जहां तक अपर महानिरीक्षक निबंधन के दो पदों पर भर्ती का सवाल है तो जब मुख्यमंत्री का अनुमोदन मिल चुका तो फिर विभागीय मंत्री के स्तर पर इस मामले में क्यों अड़ंगा लगाया जा रहा है.
अनिल कुमार का कहना है कि लिपिकों को प्रोन्नति नियम से हुई. मंत्रीजी के दफ्तर से अड़गेबाजी की जा रही है. यह प्रक्रिया मंत्री के नहीं, प्रमुख सचिव के स्तर पर पूरी होती है. अपर महानिरीक्षक निबंधन (एडी. आईजी) के दो पदों के डीपीसी में सीएम की ओर से फाइल पर अनुमोदन हो गया तो मंत्री के यहां भेजने की परंपरा नहीं है. फिर भी मैंने नियुक्ति एवं कार्मिक से कहा, वह सीएम के अनुमोदन वाला अंश मंत्री जी को उपलब्ध करा दे. जबकि मंत्री की पीआरओ ज्ञानेन्द्र सिंह का कहना है कि प्रमुख सचिव ने 33 बाबुओं को प्रभारी सब रजिस्ट्रार बना दिया. इसके लिए न लोक सेवा आयोग से, न ही सीएम से अनुमोदन लिया. मंत्री जी का कहना है कि प्रमुख सचिव को अनुमोदन लेकर ही यह फैसला करना चाहिए था. यह अवैध कृत्य है.