Anil Madhav Dave BJP MP

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HIT ***** (News Rating Point) 09.07.2016
अनिल माधव दवे वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के राज्य मंत्री होंगे. नया इंडिया ने लिखा कि अनिल माधव दवे यानि ‘जावली’ का वो रणनीतिकार जिसने मध्यप्रदेश में एक नहीं 6 चुनाव में अपनी दूरदर्शिता और प्रबंधन क्षमता का लोहा मनवाया, जिसका आगाज उन्होेंने दिग्विजय सिंह की सरकार को उखाड़ फेंकने के साथ किया था. सियासत के मोर्चे पर मध्यप्रदेश में स्थापित कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करना और सत्ता में रहते हुए बीजेपी को वापस सत्ता में लाना वो भी एक नहीं दो बार उनकी विलक्षण, सियासी सकारात्मक सोच एवं कुशल प्रबंधन की कार्यक्षमता के मोर्चे पर उनकी उपलब्धियों को बयां करता है. इस दौरान प्रदेश संगठन का नेतृत्व बदलता रहा, वह भी तब जब चुनाव की कमान उमा भारती के बाद शिवराज के पास जाकर बदलती रही. जिनके विरोधाभासी व्यक्तित्व के बावजूद अपनी योग्यता के दम पर दवे दोनों के साथ चुनाव में समन्वय बनाने में सफल रहे. ‘जावली’ से निकला चुनावी नारा आज भी लोगों के जेहन पर छाया रहा, जब 2003 में मिस्टर ‘बंटाधार’ का जुमला कांग्रेस के लिए परेशानी का सबक बना. आखिर शीर्ष नेतृत्व खासतौर से मोदी ने उनकी सुध ली और विलक्षण को पहचाना. प्रधानमंत्री ने उन्हें अपनी कैबिनेट में शामिल करने का संकेत देकर वो सम्मान दिया जिसके वो हकदार थे और सूबे की राजनीति में उन्हें दूसरों से अलग रखता था. हाल ही में राज्यसभा के लिए एक बार फिर नवाजे गये दवे का दबदबा अब दिल्ली की राजनीति में देखने को मिला. जिनके खाते में उपलब्धियों के नाम पर बहुत कुछ है लेकिन संघ के इस निष्ठावान और समर्पित स्वयंसेवक ने जो धमाका किया है, उसका असर मध्यप्रदेश की राजनीति में देखने को इंतजार रहेगा. ऐसे में सवाल खड़ा होना लाजमी है कि सांसद रहते मध्यप्रदेश की राजनीति में अभी तक उपेक्षा के शिकार हुए अनिल माधव दवे की यह नयी पारी बीजेपी की अंदरूनी राजनीति खासतौर से सूबे की सियासत में क्या गुल खिलाती है. जहां से पहले से ही सुषमा स्वराज, सुमित्रा महाजन, उमाभारती, नरेन्द्र तोमर, थावरचंद गेहलोत जैसे दिग्गज दिल्ली में अपना दबदबा बनाये हुए है.. प्रकाश जावड़ेकर पहले ही मंत्री बनकर राज्यसभा में मध्यप्रदेश से भेजे जा चुके हैं. दूसरी ओर दिल्ली में संगठन की राजनीति में कैलाश विजयवर्गीय सबसे पाॅवरफुल महामंत्री के तौर पर अमित शाह की टीम का हिस्सा बने हैं तो प्रभात झा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. दवे की गिनती ऐसे चिन्तक और विचारक के तौर पर होती है, जिन्होंने खुद चुनाव नहीं लड़ा लेकिन माइक्रो मैनेजमेंट की दम पर कईयों को चुनाव जीताकर विधायक, सांसद बनवाने में बड़ी भूमिका निभाई.

(अखबारों, चैनलों और अन्य स्रोतों के आधार पर)
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