Arun Jaitley BJP

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HIT *** (News Rating Point) 05.03.2016
वित्त मंत्री अरुण जेटली इस सप्ताह आम बजट की वजह से चर्चा में रहे. अखबारों ने लिखा कि जेटली ने अपने तीसरे बजट में भारत पर फोकस किया है. बजट भाषण में वह करीब आधे समय तक वह कृषि और ग्रामीण भारत की बात करते दिखे. उन्होंने इंडिया यानी मध्य वर्ग, कॉर्पोरेट और ऊंची कमाई वाले लोगों के साथ विदेशी निवेशकों को बहुत ज्यादा तरजीह नहीं दी. इस बजट में इकोनॉमी पर राजनीति ज्यादा हावी है. यही वजह है कि इसे पॉलिटकल इकोनॉमी को साधने की रणनीति वाला बजट कहा जा रहा है. बजट पेश करने के साथ ही इस पर प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया. स्वाभाविक तौर पर सत्ता पक्ष ने इसे बेहतरीन बजट बताया जबकि विपक्ष दिशाहीन करार दिया. लेकिन महत्वपूर्ण यह है कॉर्पोरेट जगत ने संभल कर प्रतिक्रिया दी. कुछ प्रतिक्रिया पर नज़र डालिए-
यशवंत सिन्हा, पूर्व वित्त मंत्री –
अरुण जेटली बजट में पास हुए हैं. वित्त मंत्री ने वो सारी बातें रखी हैं जिनकी आज के वक्त में जरूरत थी. हर क्षेत्र के लिए कुछ न कुछ है. ग्रामीण क्षेत्र और कार्पोरेट के लिए भी है. जो बहुत अमीर हैं उनसे थोड़ा लेकर गरीबों के लिए दिया गया है. ये अच्छी बात है.
राहुल गांधी, कांग्रेस-
सरकार के बजट में दृष्टि और दृढ़ विश्वास दोनों का अभाव है. इस बजट में सरकार के पिछले दो सालों में किए गए विफल वादों के खातों की नई लिस्ट है. पिछले दो सालों के बजट में मोदी सरकार अपने वादे पूरे करने में पूरी तरह से फेल हुई है.
पीयूष गोयल, बिजली मंत्री-
मैं समझता हूं कि आज के परिपेक्ष्य में इतना ट्रांसफॉर्मेंशनल बजट पेश किया है कि वो देश को नए आयाम पर ले जाएगा. देश की पूरी 125 करोड़ जनता की मांग को ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्री ने बजट पेश किया है. वित्त मंत्री मेरी तरफ उदार रहे हैं कि 2018 तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य दिया है. मैं उम्मीद करता हूं कि 2018 के पहले हर गांव तक और 2019 तक हर घर तक बिजली पहुंच जाएगी.
रेल मंत्री सुरेश प्रभु –
2016 का बजट देश को विकास के नए रास्ते पर ले जाएगा.
बिजयंत पांडा, बीजेडी-
बहुत बड़ा बजट है, ग्रामीण सेक्टर के लिए फंडिंग काफी बढ़ाई गई है. ग्राम सड़क योजना के लिए 19 हजार करोड़ दिया जा रहा है. इंफ्रांस्ट्रक्चर में काफी खर्चा किया जा रहा है. नियमों में सरलीकरण कर रहे हैं, निवेशक इसको रिस्पांड करेंगे.
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी-
इसमें न तो कोई विजन है न कोई विचार है. कोई नई दिशा नहीं दिखाई है देश की अर्थव्यवस्था को. इसमें सिर्फ धन्नासेठों के लिए है, गरीब औऱ कुचलों के लिए कुछ नहीं है.
मोहनदास पाई –
राजकोषीय घाटे की वजह से मैं बजट को 10 में से 8 नंबर दूंगा, पर मुझे लगता है कि ये और बेहतर हो सकता था.
योगेंद्र यादव-
हम पूरी तरह निराश हैं. किसान सरकार से किसी बड़ी राहत की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन कोई घोषणा नहीं हुई. फसल बीमा योजना की घोषणा नाकाफी है.
नेता उमर अब्दुल्ला, नेशनल कॉन्फ्रेंस-
सूटबूट वालों के फायदे पर ध्यान न देकर सरकार और जेटली ने बड़ी ही चालाकी से विपक्ष के काम को मुश्कि‍ल बना दिया है.

(अखबारों, चैनलों और अन्य स्रोतों के आधार पर)

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