Arvind Kejriwal AAP

0

FLOP ** (News Rating Point) 07.03.2015
यह सही है कि इस सप्ताह योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को बाहर का रास्ता दिखाने के बाद तय हो गया कि पार्टी में अरविन्द केजरीवाल ही सबसे शक्तिशाली हैं लेकिन सन्देश यह भी गया कि आप दूसरे दलों से अलग नहीं है. यहाँ भी विवाद और गुटबाजी पनाह लेती है और जो शक्तिशाली है, वो अपने विरोधियों को किनारे लगा देता है. चार मार्च को टीवी चैनलों पर और पांच मार्च को अखबारों में ये ही सबसे बड़ी खबर थी कि प्रशांत और योगेन्द्र बाहर और केजरीवाल बने रहेंगे संयोजक. नवभारत टाइम्स- केजरी ही संयोजक. टाइम्स ऑफ़ इंडिया- Kejri stamps dominance, rebel duo out of PAC. हिंदुस्तान- केजरीवाल का इस्तीफा नामंजूर. ऐसी खबरों के साथ केजरीवाल निर्विवादित नम्बर एक नेता हो गए लेकिन इस जंग के सड़क पर आ जाने से पार्टी की बड़ी फजीहत भी हुई. योगेन्द्र और प्रशांत के बाहर होने से पहले लगातार ख़बरें छपती रहीं. दैनिक जागरण ने लिखा- दिल्ली विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल करने के बावजूद आम आदमी पार्टी की अंदरूनी कलह खत्म होती नजर नहीं आ रही. वरिष्ठ पार्टी नेताओं के निशाने पर कोई और नहीं मुख्यमंत्री व पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल हैं.पार्टी के संस्थापक सदस्य एवं पूर्व कानून मंत्री शांति
भूषण ने केजरीवाल से पार्टी संयोजक पद छोड़ने की मांग उठाई है. व्यक्तिगत कार्य के लिए इलाहाबाद आए शांति भूषण ने ‘जागरण’ से कहा कि पार्टी में कोई भी व्यक्ति दो पद पर नहीं रह सकता है. अरविंद दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गए हैं, ऐसे में संयोजक का पद योगेंद्र यादव को मिलना चाहिए. दिल्ली में मिली जीत पर कहा कि अरविंद ने मायावती व मुलायम सिंह की तर्ज पर चुनाव लड़ा. तानाशाही रवैया अपनाते हुए ‘आप’ का संविधान ताक पर रख दिया. शांति भूषण ने कहा कि आप में कई गलत लोगों का प्रवेश हो गया है। वह अरविंद केजरीवाल के इशारे पर नाच रहे हैं. टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने दो मार्च को लिखा- Bhushan, Yadav write against `Kejriwal cult’- The crisis within AAP worsened on Sunday as two senior members ­ Prashant Bhushan and Yogendra Yadav ­ questioned the “person centric“ approach of the party surrounding Arvind Kejriwal, and warned that it had moved away from its core principles of transparency , accountability and inner party democracy . Two notes addressed to the national executive ­ one by Bhushan and the other together -sought “systemic changes“, including an internal ethics committee to probe donations, especially those of April 2014.
केजरीवाल का एक ट्वीट भी चर्चित हुआ, जिसमे उन्होंने इस प्रकरण से आहत होने की बात लिखी. अमर उजाला ने लिखा- आम आदमी पार्टी में मंगलवार को आंतरिक विवाद और गहरा गया. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि वह इस पूरे घटनाक्रम से बेहद दुखी और आहत हैं. हालांकि उनसे जुड़े लोगों ने वरिष्ठ नेता शांति भूषण और प्रशांत भूषण पर तीखे हमले किए हैं. आशीष खेतान ने ट्वीट किया कि शांति भूषण, प्रशांत और शालिनी यानी पिता, बेटे और बेटी की ये तिकड़ी पार्टी के सभी धड़ों पर अपनी पकड़ बनाना चाहती है, चाहे वह पीएसी हो, राजनीतिक मामलों की कमेटी हो या राष्ट्रीय कार्यकारिणी. केजरीवाल ने इस पूरे मामले पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि पार्टी में जो कुछ भी हो रहा है, मैं उससे बहुत दुखी व आहत हूं.  दिल्ली की जनता ने हम में जो भरोसा जताया है, यह उससे धोखा है. होली से एक दिन पहले अरविन्द केजरीवाल पर हमला बोला. उन्होंने अपने ब्लॉग में जो लिखा वह पांच मार्च को टीवी चैनल की बिग ब्रेकिंग बनी. अगले दिन अखबारों में यह खबर छाई रही. अमर उजाला ने लिखा- योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) से निकाले जाने के बाद भी आम आदमी पार्टी में जारी घमासान नहीं थमा. पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और महाराष्ट्र से बड़े नेता मयंक गांधी ने ‘बागी’ रुख अपनाते हुए दोनों संस्थापक सदस्यों के पीएसी से निष्कासन के लिए अरविंद केजरीवाल की जिद को जिम्मेदार ठहराया है. अपने ब्लॉग के जरिए दिल्ली के सीएम पर हमला करते हुए कहा कि उन्होंने धमकी दी थी कि इन दोनों के पीएसी में रहते मैं काम नहीं कर पाऊंगा. मयंक ने यह भी कहा कि उन्हें इस खुलासे का परिणाम भी भुगतना पड़ सकता है. नए घटनाक्रम पर योगेंद्र ने कहा कि अंतत: सत्य सामने आ ही जाता है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here