FLOP *** (News Rating Point) 21.02.2014
आज़म खां तो फिर आज़म खां हैं. इस बार मशहूर हुए हैं राज्यपाल राम नाइक से भिड़कर, उनके खिलाफ बयानबाजी और चिट्ठीबाज़ी कर. इस पूरे सप्ताह उनकी चर्चा राज्यपाल की खिलाफत के लिए होती रही. स्थिति यहाँ तक पहुँची कि आज़म के चलते पूरे विपक्ष के निशाने पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और सरकार भी आ गयी. 15 फरवरी को हिन्दुस्तान ने छापा- राज्यपाल से खतरा: आज़म. टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने छपा- Guv acting like a political activist, says Azam – Samajwadi Party leader and UP urban development minister Azam Khan on Saturday claimed that he had been receiving threats to his life. Addressing a press conference at his home town of Rampur, he blamed the state governor for setting off a wave of hatred against Muslims.
नवभारत टाइम्स ने पेज एक लीड लगाई- आज़म-गवर्नर में बड़ी तकरार. 16 को अमर उजाला में राज्यपाल छपे- सूबे के कैबिनेट मंत्री आजम खान के शब्द बाणों से राज्यपाल राम नाईक आहत हैं. ताजनगरी में आयोजित नेशनल जर्नलिस्ट मीट में शामिल होने आए राज्यपाल ने कहा कि आजम खां उन पर टिप्पणी करके संविधान के सिद्धांतों को चोट पहुंचा रहे हैं. यह मुख्यमंत्री को देखना चाहिए कि उनके मंत्री किस तरह का व्यवहार कर रहे हैं. तमाम अखबारों में ऐसी खबरे छपती रहीं- आजम खां ने पिछले दिनों राज्यपाल को पत्र लिख कर कहा था कि आपसे प्रदेश के सारे मुसलमान परेशान हैं. राज्यपाल ने इस आरोप को तथ्यहीन करार दिया है. साथ ही आजम खां पर पलटवार करते हुए कहा है कि उन्हें मिलने से पहले मंत्री का पत्र मीडिया तक पहुंच गया था और ऐसा खुद मंत्री ने किया था. साथ ही राज्यपाल ने कहा कि वह संवैधानिक पद पर हैं इसलिए इससे ज्यादा नहीं बोल सकते.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया- Governor Ram Naik on Sunday described the recent statement of senior minister Azam Khan about him as an attack on the Constitution and totally unjustified. On Saturday, Azam had said that he was getting threat calls, especially after Naik’s `uncharitable’ remarks against him. इंडियन एक्सप्रेस- Naik behaving like a ‘kar sevak’: Azam. दैनिक जागरण- राज्यपाल राम नाईक ने नगर विकास मंत्री आजम खां द्वारा उनसे अपनी और अपने परिवार की जानको खतरा बताए जाने पर कोई प्रतिक्रिया देने से इन्कार कर दिया. राज्यपाल ने कहा कि उन्हें जो कुछ कहना था, वह पहले ही कह चुके हैं और अब आजम खां पर कुछ और कहने की जरूरत नहीं समझते. 16 और 17 फरवरी को आप का अहंकार. समाचार प्लस में अमिताभ अग्निहोत्री ने आज़म खां प्रकरण और राज्यपाल से तल्खी पर समाजवादी पार्टी को काफी खरी-खरी सुनायी. एक डिबेट में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी और हिलाल नकवी ने भी आजमा खां के खिलाफ अपनी बातें रखीं. जबकि सपा नेता सीपी राय को अपना बचाव करना मुश्किल हो रहा था. 17 फरवरी को ज़ी संगम, न्यूज़ नेशन ने चलाया- बीजेपी ने आज़म से की इस्तीफे की मांग. 18 को नवभारत टाइम्स ने लिखा- विधान सभा सत्र में सरकार की चुनौतियों पर नवभारत टाइम्स ने लिखा- सरकार के मंत्री और अफसर बनेंगे मुद्दा- उसमे आज़म खां का भी जिक्र था-जौहर ट्रस्ट का मुद्दा भी उठाएगा विपक्ष.
जावेद उस्मानी का शपथ ग्रहण समारोह में आजम राजभवन तो गए पर गवर्नर से नहीं मिल- इस खबर ने भी अखबारों में जगह पायी. आज़म के राज्यपाल से तकरार की अमर सिंह और स्वामी प्रसाद मौर्या ने भी आलोचना की. 19 को दैनिक जागरण में छपा- प्रणव के दर पर जाएगा नाइक आज़म विवाद- संसदीय कार्य व अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद आजम खां ने राज्यपाल राम नाईक के साथ टकराव को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के दरबार में ले जाने का निर्णय किया है. अमर उजाला ने छापा- आजम के मुद्दे पर विपक्ष ने नहीं चलने दी कार्यवाही- राज्यपाल के खिलाफ काबीना मंत्री आजम खां की बयानबाजी से नाराज भाजपा ने बुधवार को मोर्चा खोल दिया. बजट सत्र के पहले दिन भाजपा विधायकों ने न केवल सदन का बहिष्कार किया बल्कि आजम खां की मंत्री पद से बर्खास्तगी की भी मांग की. बसपा ने भी सवाल उठाया कि राज्यपाल और आजम खां में चल रहे लेटर वार के बीच अभिभाषण का क्या तुक है. 19 फरवरी को दैनिक जागरण ने छापा. कांग्रेस विधानमंडल दल नेता प्रदीप माथुर ने कहा- जनहित में सोचें आज़म 20 फरवरी को दैनिक जागरण की एंकर स्टोरी- आजम खां के विरुद्ध शिकायत का परीक्षण- जौहर शोध संस्थान की जमीन मौलाना जौहर ट्रस्ट को महज सौ रुपये सालाना के लीज रेंट पर देने के खिलाफ दाखिल शिकायत का लोकायुक्त ने परीक्षण शुरू कर दिया है. शिकायतकर्ता नूतन ठाकुर को तत्कालीन प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक कल्याण देवेश चतुर्वेदी का शपथ पत्र दाखिल करने के लिए आठ मार्च तक का समय दिया गया है. जबकि नवभारत टाइम्स सहित अन्य अखबारों ने पेज एक पर लिखा कि लोकायुक्त जस्टिस मेहरोत्रा को जौहर संस्थान केस की जांच का अधिकार नहीं है.