Azam Khan Samajwadi Party

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FLOP ** (News Rating Point) 21.03.2015
समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और मंत्री आज़म खां के लिए तो लगता है कि उनका जन्म से ही विवादों से नाता है. इस फेसबुक पोस्ट के लिए एक युवक को जेल भिजवाने के लिए आजम खां चर्चा में रहे. साथ ही शाही इमाम मौलाना अहमद बुखारी ने भी आज़म खां पर हमला बोला…

फेस बुक पर कैबिनेट मंत्री आजम खां का फर्जी बयान पोस्ट करने वाले बरेली के युवक को धार्मिक उन्माद फैलाने समेत कई गंभीर धाराओं में जेल भेज दिया गया है. बुधवार को रामपुर में उसके छात्र और नाबालिग होने की दिन भर चर्चा रही तो एसपी को आगे आना पड़ा. उन्होंने युवक के कक्षा ग्यारह का छात्र होने की बात का खंडन करते हुए उसे बालिग करार दिया है. एसीजेएम की अदालत में कल उसकी जमानत अर्जी पर सुनवाई होगी. एसपी ने साधना गोस्वामी ने बताया कि तीन दिन पहले कैबिनेट मंत्री आजम खां के नाम से बरेली के युवक गुलरेज उर्फ विक्की ने फेस बुक पर फर्जी बयान पोस्ट कर दिया था.
– दैनिक जागरण
A Class XI student from Bareilly was arrested by Rampur police for sharing an “objectionable” post on Facebook against senior Samajwadi party leader and state Urban Development Minister Azam Khan.
– Indian Express
विधानसभा में बुधवार को संसदीय कार्यमंत्री आजम खां ने पीस पार्टी के डॉ. अय्यूब अहमद पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि अय्यूब जैसे लोगों ने भाजपा-आरएसएस को लाभ पहुंचाया है. इन आरोपों से तिलमिलाए अय्यूब वेल में आ गए. उन्होंने कहा कि आजम विदेशों में कारखाने चलाने के आरोप साबित कर दें तो वह सदस्यता छोड़ देंगे अन्यथा आजम इस्तीफा दे दें. अय्यूब के वेल में आने पर सपा के जियाउद्दीन रिजवी भी वेल में आ गए और उन पर महंत आदित्यनाथ का एजेंट होने का आरोप लगाया.
– अमर उजाला
जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना अहमद बुखारी ने संसदीय कार्य व अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री आजम खां पर फिर हमला बोला है. उन्होंने नाम तो एक बार ही लिया लेकिन कई आरोप जड़े. कहा, यह शख्स (आजम) है तो मुसलमान लेकिन मुसलमानों का पक्का दुश्मन है. रामपुर में इमरजेंसी जैसे हालात बना रखे हैं. कोई हिंदू अगर अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री होता तो मुसलमानों का ज्यादा भला कर देता.

– नवभारत टाइम्स
The controversy arising out of the ar rest of a Class XI student for allegedly uploading an “objectionable“ Facebook post against Samajwadi Party strongman Azam Khan reached the Supreme Court on Thursday , with the top court agreeing to hear a plea for staying all proceedings against the boy.
– Times of India
Student held for FB post against Azam gets bail.
– The Indian Express
The Supreme Court on Friday issued a notice to the Uttar Pradesh government, seeking an explanation over the arrest of a Class XI student for allegedly posting “objectionable” comments on Facebook against Samajwadi Party leader and state minister Azam Khan.
– The Indian Express
राज्य सरकार का तीन साल का कार्यकाल इस तरह के ढेरों उदाहरणों से भरा पड़ा है. जब आजम रूठे तो पूरी सरकार उनके दर पर पहुंच गई. किसी मामले में पहले थोड़ी ना-नुकर की भी, लेकिन बाद में कदम पीछे खींच लिए. कभी-कभी तो यह भ्रम भी पैदा होने लगा कि सूबे में सरकार किसकी चल रही है, ‘अखिलेश यादव की या आजम खां की.’मार्च 2012 में अखिलेश सरकार ने सत्ता संभाली और जुलाई में आजम के गुस्से ने सरकार को अपना फैसला वापस लेने पर मजबूर कर दिया. दरअसल मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आजम से मेरठ का प्रभार ले लिया. आजम का गुस्सा आसमान में पहुंच गया. भेज दिया खत मुख्यमंत्री के नाम, ‘अगर मैं एक जिला नहीं संभाल सकता तो गाजियाबाद व मुजफ्फरनगर का काम कैसे संभालूूंगा. प्रदेश कैसे संभालूंगा. अच्छा होगा हमें मंत्रिमंडल से भी हटा दिया जाए’. सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने मामला संभाला. आजम से बात की. सरकार ने अपना फैसला पलटा. तब माने आजम. सरकार बनने के कुछ ही दिन बाद मुख्यमंत्री आवास पर रोजा इफ्तार हुआ. आजम लखनऊ में मौजूद होते हुए भी उसमें नहीं गए. मीडिया ने पूछा तो बोले, इबादत अकेले में होती है.
– अमर उजाला
प्रदेश के कैबिनेट मंत्री आजम खान के नाम से फेसबुक आपत्तिजनक कमेंट पोस्ट करने के आरोप में 11वीं के स्टूडेंट की गिरफ्तारी का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. कोर्ट में याचिका दाखिल कर यूपी पुलिस से जवाब तलब करने की मांग की गई है, जिस पर सुनवाई के लिए कोर्ट ने शुक्रवार, 20 मार्च, की तारीख तय की है. उधर, स्टूडेंट को रामपुर की एक अदालत ने गुरुवार को जमानत दे दी.
– अमर उजाला
लोकायुक्त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा ने नगर विकास मंत्री आजम खान के खिलाफ जौहर संस्थान की भूमि उनके निजी ट्रस्ट को देने की जांच बंद कर दी है. लोकायुक्त ने ये फैसला यह जानने के बाद लिया है कि ट्रस्ट को भूमि देने का निर्णय कैबिनेट का था। लोकायुक्त ने कहा कि कैबिनेट के फैसले की जांच उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है। इसलिए इस प्रकरण की जांच बंद कर दी गई है.
– अमर उजाला

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