Azam Khan Samajwadi Party

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14.02.2015 (News Rating Point- FLOP*)
​इस हफ्ते ​हालांकि उनके लिए खबरों के लिहाज़ से कुछ ख़ास नहीं था लेकिन आज़म खां तो फिर आज़म खां​ हैं​. विवादों से उनका पुराना नाता है. 7 फरवरी को खबर छपी रामपुर का सरकारी शोध संस्थान अब आज़म के पास. कई अखबारों ने इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया. लेकिन निगेटिव मूड में. इस खबर को लिखा गया कि ये मुलायम के बर्थडे का रिटर्न गिफ्ट है. अखबारों ने लिखा-100 रूपये सालाना पर 30 साल के लिए 1500 गज की बेशकीमती जमीन दी गयी.
11 फरवरी को अमर उजाला ने लिखा- आजम को सरकारी शोध संस्थान देने का राजभवन ने लिया संज्ञान- राजभवन को इस मामले की कई शिकायतें भी मिली हैं. इन्हीं शिकायतों के आधार पर राजभवन ने सरकार से जांच कराकर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. प्रदेश सरकार ने मात्र 100 रुपये सालाना की दर से 30 वर्ष के लिए सरकारी शोध संस्थान आजम खां के ट्रस्ट को दिया है. उसी दिन अमर उजाला ने ही छापा- आजम की सुरक्षा में लगे नौ सिपाही हटाए- उनके बदले में नौ नए सिपाहियों को लखनऊ रवाना कर दिया गया है. सिपाहियों को हटाए जाने की वजह फ्लीट का पीछे छूट जाना बताया जाता है. एक खबर आज़म खान के पक्ष में छपी— आजम अड़े, नहीं जाएंगे हज सेवक- हज सेवकों की रवानगी को लेकर आजम हज कमेटी ऑफ इंडिया की शर्तों को मानने को तैयार नहीं हैं. राज्य हज कमेटी के अध्यक्ष व  अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मो. आजम खां का कहना है कि हज सेवक के रूप में ऐेसे लोग जाएं, जो यात्रियों की सेवा कर सकें. उनके मुताबिक सरकारी कर्मचारी पैसे व कार्य का हर्जा करते हैं। इसलिए गैर सरकारी जरूरतमंद व खिदमत करने की चाह रखने वालों को मौका मिले. लेकिन ट्रस्ट को लेकर राज्यपाल के बयान को आज़म बर्दाश्त नहीं कर पाए. एनबीटी ने लिखा- कि आज़म का कहना है कि राज्यपाल की टिप्पड़ियों से मुसलमान डरे हुए हैं. चिट्ठी में अयोध्या पर गवर्नर की टिप्पड़ी को राजनीति से प्रेरित बताया. हिन्दुस्तान अखबार ने अजित खरे की एक खबर ने उनकी खासी भद्द पीट दी. सपा एक सशक्त मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले आजम खां एक बार फिर खफा हैं. इस खबर के अंत में लिखा- कि जब वो अपनों से नाराज़ होते हैं तो​ उनका रुख सत्याग्रही जैसा हो जाता है मसलन बैठकों में न जाना लेकिन जब सियासी विरोधियों से खफा होते हैं तो उनकी जुबान से तीखे व्यंग्य-बाण चलते हैं.