(News Rating Point) 08.04.2016
बीजेपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पांच स्टेट प्रेसिडेंट की नई लिस्ट जारी की है. इसमें बताया गया कि यूपी में केशव प्रसाद मौर्य, कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा, पंजाब में विजय सांपला, तेलंगाना में डॉ. के लक्ष्मण और अरुणाचल में तापिर गाओ को पार्टी की कमान सौंपी गई है.
बीएस येदियुरप्पा ने भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिलवाए जाने के कारण वर्ष 2012 में बीजेपी छोड़ दी थी, लेकिन वर्ष 2014 में वह उस समय पार्टी में लौट आए, जब प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी के रूप में नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी के प्रचार अभियान की कमान संभाली. बीजेपी के केंद्र में सत्ता में आने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा बड़े फेरबदल के तहत नियुक्त किए गए 11 उपाध्यक्षों में भी बीएस येदियुरप्पा क शामिल किया गया था.
एनडीटीवी के अनुसार बीएस येदियुरप्पा मंत्री बनना चाहते थे, लेकिन सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने येदियुरप्पा पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से हो सकने वाले विपक्ष के वारों से बचने के लिए उस इच्छा को खारिज कर दिया. पार्टी से बाहर रहने के दौरान बीएस येदियुरप्पा ने राज्य में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए अपनी नई ‘कर्नाटक जनता पार्टी’ गठित कर ली, जिसकी वजह से राज्य की सत्ता कांग्रेस ने बीजेपी से जीत ली, और बीजेपी राज्य के उसके सबसे बड़े नेता के निकल जाने की वजह से तीसरे स्थान पर रही. कर्नाटक ही नहीं, पूरे दक्षिण भारत में बीजेपी की पहली सरकार बनाने तथा संगठन की पैठ इलाके में स्थापित करने का श्रेय बीएस येदियुरप्पा को ही दिया जाता है. उधर, बीएस येदियुरप्पा के अतिरिक्त पार्टी ने विजय सांपला को बीजेपी की पंजाब इकाई का प्रमुख घोषित किया है, जबकि उत्तर प्रदेश की कमान केशव प्रसाद मौर्य को सौंपी गई है. पार्टी ने तेलंगाना में संगठन की कमान के. लक्ष्मण को दी है, जबकि अरुणाचल प्रदेश में पार्टी का जिम्मा तापिर गाओ को सौंपा गया है.
यूपी विधानसभा के अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने पिछड़ा कार्ड खेलते हुए सांसद केशव प्रसाद मौर्या को नया प्रसाद अध्यक्ष नियुक्त किया है. 47 साल के मौर्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक के 14 साल तक पूर्णकालिक प्रचारक रहे थे. उन्होंने बचपन में चाय बेचने के साथ अखबार भी बेचने का काम किया था. मौर्या के अध्यक्ष बनाने के फैसले में प्रदेश के सामाजिक समीकरण अहम रहे. भाजपा राज्य में गैर यादव पिछड़ा नेता को सामने लाना चाहती थी, जिसमें युवा नेता मौर्या के नाम पर मुहर लगी. फूलपुर से सांसद मौर्या 2012 में सिराथू विधानसभा से भाजपा विधायक चुने गए थे.