FLOP **** (News Rating Point) 16.05.2015
समझा जा सकता है कि जब खुद के विभाग के अधिकारी ही अपने विभागीय मंत्री के खिलाफ आरोप लगाने लगें तो उस मंत्री की छवि पर क्या असर पड़ेगा. इस सप्ताह होमगार्ड विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने विभागीय मंत्री ब्रह्माशंकर त्रिपाठी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर उन पर गंभीर आरोप लगाए. उत्तर प्रदेश के प्रमुख हिंदी अखबारों ने इस खबर को तवज्जो दी. अमर उजाला ने लिखा कि अधिकारियों ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मंत्री को बर्खास्त करने की मांग की है. वहीं, राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और यूपी के राज्यपाल राम नाईक को भी पत्र भेजा है. इस पत्र में मंत्री ब्रह्माशंकर त्रिपाठी के खिलाफ कई शिकायतें की गई हैं. इनमें भ्रष्टाचार से लेकर नियमों के उल्लंघन और कैबिनेट के निर्णय के उलट लिए गए फैसलों का जिक्र किया गया है. पत्र में कहा गया है कि हाईकोर्ट के आपत्ति जताने के बाद भी बगैर मुख्यमंत्री के अनुमोदन के तीन क्लास वन अधिकारियों आरके चौरसिया, एके शुक्ला और प्रमोद पाल को निलंबित कर दिया गया. जिला कमांडेंट संवर्ग के सुनील कुमार और विनीत तिवारी को निलंबित कर दिया गया. वर्ष 2005-2006 में होमगार्ड्स विभाग का मंत्री रहने के दौरान चतुर्थ श्रेणी के 525 स्थायी कर्मियों व लगभग पांच हजार होमगार्ड की भर्ती में नियमों की अनदेखी और वसूली के आरोप भी लगाए गए हैं. हिन्दुस्तान ने हेडिंग लगाई – होमगार्ड मंत्री की काली कमाई की कराई जाए लोकायुक्त जांच- अधिकारी बोले, मंत्री को बर्खास्त करें मुख्यमंत्री. दैनिक जागरण ने लिखा कि अधिकारियों ने उनकी संपत्ति की जांच कराने के साथ ही उन्हें हटाने की मांग की है. उन पर रूल्स ऑफ बिजनेस का खुला उल्लंघन कर कदाचार और वसूली करने समेत कई गंभीर आरोप लगाए हैं. इस सिलसिले में मंत्री ब्रह्मशंकर त्रिपाठी से बातचीत की गई तो उनका कहना था कि अगर विभागीय अधिकारी इस तरह अनुशासनहीनता करेंगे तो मैं क्या कहूं. उन्होंने चुनौती दी कि अगर मेरे ऊपर लगाए आरोप साबित हो जाएं तो राजनीति छोड़ दूंगा. इस खबर को अखबारों ने फालो भी किया. अमर उजाला ने लिखा कि होमगार्ड मंत्री और विभागीय अधिकारियों के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है. मंत्री की कार्यप्रणाली का विरोध कर रहे अफसरों ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को एक और पत्र भेज कर मंत्री पर स्थानांतरण नीति के उल्लंघन के आरोप लगाए हैं. कहा गया है, मंत्री ने अपर्याप्त आधार पर कासगंज के जिला कमांडेंट सुनील कुमार को निलंबित किया. जब बहाल किया तो सुनील कुमार के अस्वस्थ होने के बावजूद कासगंज में तैनात किया गया. नवभारत टाइम्स ने लिखा कि कमांडेंट सुनील कुमार प्रथम का आरोप है कि होमगार्ड मंत्री मनमानी के आगे मुख्यमंत्री और कोर्ट के निर्देश भी ताक पर हैं. सुनील कुमार के मुताबिक कांसगज से उनका तबादला लखनऊ ट्रेनिंग सेंटर में हो गया. उनकी पत्नी ने मुख्यमंत्री के यहां भी आवेदन किया था. वहां से भी उनकी लखनऊ में तैनाती का निर्देश हो गया. इसके बावजूद विभागीय मंत्री ने उनका तबादला फिर से कासगंज कर दिया. उनका लखनऊ का चार्ज अपने करीबी अफसर को दे दिया, वहीं डिविजनल कमांडेंट रणजीत सिंह और कमांडेंट विनीत चंद्र तिवारी का आरोप है कि मंत्री नई भर्तियों के लिए उन पर दबाव बना रहे हैं.
(अखबारों और अन्य स्रोतों के आधार पर)