अखिलेश यादव के हमले पर ब्रजेश पाठक का पलटवार मीडिया की सुर्खियां बना

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नितिन श्रीवास्तव
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच नोकझोंक और तकरार पूरे देश में चर्चा का विषय बनी। आमतौर पर शालीन तरीके से बोलने वाले ब्रजेश पाठक बुधवार को कड़े तेवर में नजर आए। उन्होंने सदन से लेकर सड़क तक अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी के खिलाफ कड़े तेवर अपनाए। उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर मंगलवार को विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव की ओर से किये गए हमले पर बुधवार को सदन में पलटवार करते हुए उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि समाजवादी सरकार ने स्वास्थ्य विभाग को लूट का अड्डा बनाया था। स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर वह अब तक 272 अस्पतालों का निरीक्षण कर चुके हैं और आगे भी रोज करते रहेंगे। अस्पतालों में हाजिरी लगाकर गायब रहने वाले डाक्टर समाजवादियों के चेले हैं। पाठक ने कहा कि मंगलवार को नेता प्रतिपक्ष ने सड़कछाप से भी बदतर भाषा का इस्तेमाल किया।

प्रश्नकाल के बाद उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि मंगलवार को नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने स्वास्थ्य विभाग को लेकर प्रदेश को गुमराह किया था जिस पर वह अपना वक्तव्य देना चाहते हैं। डिप्टी सीएम ने शायराना अंदाज में सपा प्रमुख पर निशाना साधते हुए कहा, “नफरत की एक बूंद ही माहौल बदनुमा कर गई, जहां से आया है ये झूठ और फरेब का जहर, वो दरिया कैसा होगा।” उन्होंने आगे कहा, “इन्होंने किसी अस्पताल का चित्र लगाया था। लेकिन जब मैंने तत्काल वहां का चित्र मंगाया तो पता चला कि ये सपा सरकार के वक्त का चित्र लगाकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं।”

ब्रजेश पाठक ने कहा, “ओम प्रकाश राजभर ने इन्हें सही आइना दिखाया था। जिन्होंने कहा था कि सरकार एसी कमरों से नहीं चलती है। मैं पूरे प्रदेश को इस बात का भरोसा दिलाता हूं। हमारे पास यूपी में 3650 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। जबकि 167 जिला अस्पताल और 873 सीएचसी हैं। इसके अलावा सब सेंटरों की संख्या 20 हजार से ज्यादा है। मैं हर जगह जाऊंगा और सभी को चेक करूंगा।”


उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर किया जा रहा है। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के बजट में इजाफा किया गया है। वर्ष 2016 में स्वास्थ्य विभाग का बजट 14 हजार आठ सौ 11 करोड़ रुपये था। जिसे बढ़ाकर 29 हजार एक सौ 65 करोड़ रुपये किया गया है। सपा कार्यकाल में चिकित्सा शिक्षा विभाग का बजट करीब एक हजार नौ सौ 14 करोड़ रुपये था। इसे बढ़ाकर नौ हजार सात सौ 10 करोड़ रुपये किया गया। भाजपा सरकार ने न सिर्फ बजट बढ़ाया। बल्कि बजट में बंदरबांट और भ्रष्टाचार पर नकेल कसी। निगरानी तंत्र बढ़ाया।

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