सीमित संख्या के बावजूद, महिला बनना चाहते है ट्रांसजेंडर, हिंदुस्तान अख़बार में “बदलाव” पर विशेष

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एनआरपी डेस्क।

लखनऊ। पुरुष ट्रांसजेंडर में भी महिला बनने की चाहत बढ़ रही है। ये महिलाओं जैसी सुंदरता और शारीरिक बनावट चाहते हैं। शारीरिक रूप से तो पुरुष हैं, लेकिन इनकी चाल ढाल, आवाज और व्यवहार महिलाओं जैसा ही है। इसी वजह से घरवालों ने इनसे दूरी बना ली है। प्रदेश के 8 जिलों के 15 थर्ड जेंडर पिछले तीन माह में पीजीआई की ट्रांसजेंडर क्लीनिक पहुंचे हैं। इनकी उम्र 18 से 30 वर्ष के बीच है। इन सभी ने जेंडर बदलवाने की इच्छा जताई है। इस बदलाव के लिए डॉक्टरों ने दो ट्रांसजेंडरों के ऊपर हार्मोन थेरेपी भी शुरू कर दी है। संस्थान का दावा है कि उत्तर भारत के सरकारी चिकित्सा संस्थान की यह पहली ट्रांस जेंडर क्लीनिक है। देश में करीब पांच लाख ट्रांस जेंडर हैं। पीजीआई के इंडोक्राइनोलॉजी विभाग की प्रमुख व ट्रांसजेंडर क्लीनिक की नोडल डॉ. प्रीति डी. का कहना है कि ट्रांसजेंडर समुदाय को समाज में स्वास्थ्य संबंधी देखभाल को लेकर चुनौती का सामना करना पड़ता है। ऐसे में इनके लिये यह क्लीनिक बहुत मददगार साबित हो रही है। वो खुलकर अपनी बात वं समस्या रख पाते हैं। अब तक 15 ट्रांसजेंडर आए हैं। यह लखनऊ, हरदोई, गोण्डा, सुलतानपुर समेत आठ जिलों के रहने वाले हैं। इनमें अधिकांश पुरुष ट्रांसजेंडर हैं। इनमें दो परिवार के साथ आए हैं। शेष अन्य घर से बाहर रहते हैं। इन्होंने जेंडर बदलने पर सहमति जतायी है। दो ट्रांसजेंडर में जेंडर बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इनकी हार्मोन थेरेपी शुरू की गई है। ये सभी सामान्य बैकग्राउंड के है। 2 को छोड़कर अन्य सभी 13 ट्रांसजेंडर घरों को छोड़ चुके है।

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