एनआरपी डेस्क
गोरखपुर: आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी, प्राकृतिक चिकित्सा, योग और सिद्धा। एक परिसर में इन सभी पद्धतियों की शिक्षा संग उपचार की व्यवस्था। आयुष की सभी विधाओं का यह संगम गौरक्षनगरी को नई पहचान देगा। गुरु गोरखनाथ और योगानंद की जिस धरा ने दुनिया को योग का ज्ञान दिया, वह अब आयुष का वरदान देगी। मंगलवार को भटहट के पिपरी में महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय लोक को समर्पित करते हुए, महामहिम द्रौपदी मुर्भु ने असीम संभावनाओं वाले इस संस्थान को लेकर ऐसी ही आशा जताई। विश्व समुदाय के लिए इसे भारत की सौगात बताकर उन्होंने इस राज्य विश्वविद्यालय को क्यों वैश्विक फलक पर उभारा, वह इसकी भव्यता और विशेषता पर दृष्टिपात कर समझा जा सकता है।
इसे प्रदेश का पहला आयुष विश्वविद्यालय होने का गौरव तो इसकी स्थापना के साथ ही प्राप्त हो गया, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की परिकल्पना ही कुछ ऐसी थी जिसने इसे राष्ट्रीय परिदृश्य में विशिष्ट बना दिया। यहां के कुलपति डा. केआर रेड्डी के मुताबिक, आयुष की विभिन्न विधाओं को समर्पित देश भर में दूसरा अन्य कोई विश्वविद्यालय ऐसा नहीं है जहां सभी पद्धतियों की पढ़ाई और उनसे उपचार की व्यवस्था हो। आयुष की परिभाषा के अनुरूप यहां उसकी हर विधा में पढ़ाई, अनुसंधान से लेकर उपचार की व्यवस्था मुख्यमंत्री की अभिनव सोच और उनकी दूरदृष्टि से ही संभव हुई। राज्य में आयुष की अलग-अलग विधाओं से जुड़े कालेजों के नियमन की व्यवस्था पहले उस विधा के विश्वविद्यालयों के पास थी। राज्य के इस पहले आयुष विश्वविद्यालयके अस्तित्व में आने के बाद प्रदेश के सभी राजकीय और निजी आयुष कालेजों का नियमन अब यहीं से ही होता है। यहां आयुष की सभी विधाओं की ओपीडी का संचालन हो रहा है। समग्रता में देखें तो यह अपने तरह का इकलौता चिकित्सा विश्वविद्यालय कहा जा सकता है।