आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता गोपाल राय दिल्ली अरविंद केजरीवाल सरकार में परिवहन और ग्रामीण विकास मंत्री हैं. गोपाल राय के फेसबुक पेज के अनुसार विवरण इस प्रकार है-
भ्रष्टाचार-मुक्त भारत के लिये प्रारम्भ जन लोकपाल आन्दोलन में सड़क से लेकर संसद तक के संघर्ष में सक्रिय। 5 अप्रैल 2011 से शुरू hue आन्दोलन में अन्ना हजारे के साथ आपने 5 दिनों तक अनशन किया। अगस्त आन्दोलन में अहम् भूमिका निभाई। इसके बाद आन्दोलन को मजबूत कर्णे के लिये 18 राज्यों का देशव्यापी दौरा किया। सरकार व संसद द्वारा वादा के बावजूद जन लोकपाल ण बनने के खिलाफ 25 जुलाई से अरविन्द केजरीवाल, मनीष सिसोदिया आदि के साथ अनशन पर रहे।
गोपाल राय का जन्म 10 मइ 1975 को ग्राम गोबरीडीह, निकट सिपाह इब्राहिमाबाद बाजार, थाना मधुबन, जिला मऊ (उ.प्र.) में एक किसान परिवार में हुआ। आप के पिता का नाम श्री विजयशंकर राय तथा माता का नाम श्रीमति सत्यावती राय है। आपने गृह जनपद से ही प्रारंभिक शिक्षा, प्राइमरी पाठशाला गोबरीडीह, मीडिल शिक्षा, किसान लघु माध्यमिक विद्यालय मुरारपुर, हार्इस्कूल व इंटरमीडिएट की शिक्षा, तरुण इंटर कालेज कुंडा कुचार्इ से प्राप्त की।
इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के पश्चात आर्इ.ए.एस. अधिकारी बनने के सपने के साथ आप स्नातक के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय में दाखिला लेकर पढ़ार्इ के साथ आर्इ.ए.एस. की तैयारी में जुट गये। पर इसी दौरान 1992 में देश के अंदर चारो तरफ मनिदर-मसिजद तथा आरक्षण, समर्थन व विरोध के नाम पर शुरू हुर्इ मानवीय कत्लेआम की घटनाओं तथा देश की एकता के विखंडन के हालात ने आप के मन को इतना विचलित कर दिया कि आपने आर्इ.ए.एस. बनने के सपने को तिलांजलि देकर आजीवन समाज व राष्ट्र की एकता के लिए काम करने का संकल्प ले लिया। इस संकल्प को आगे बढ़ानेे के लिए आप आल इंडिया स्टूडेंटस एसोसिएशन के सक्रिय कार्यकर्ता बन गये। संगठन के कार्यों को पूरे प्रदेश में गति देने के लिए स्नातक के पश्चात आप लखनऊ पहुंचे तथा वहीं लखनऊ विश्वविद्यालय से परास्नातक की शिक्षा ग्रहण की। इस दौरान आप संगठन के प्रदेश महासचिव तथा राष्ट्रीय पार्शद चुने गये। पूरे प्रदेश में ”दंगा नहीं रोजगार चाहिए, जीने का अधिकार चाहिए आंदोलन तेज हुआ। आंदोलन के दौरान कर्इ बार जेल गये। आंदोलन के साथ आपने ”छात्रसंघ है छात्रों का-गुण्डों की जागाीर नहीं के आवाहन के साथ वि.वि. छात्रसंघ अध्यक्ष के चुनाव में भी हिस्सेदारी की।
बाद में इस संगठन से मतभेद बढ़ने पर अलग होकर भारतीय छात्रसंघ की स्थापना किये तथा इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी को सम्भालने लगे। परास्नातक के पश्चात कानून की शिक्षा भी लखनऊ विश्वविद्यालय से ही प्रारंभ की।
1997 में समाज व राष्ट्र की एकता के लिए काम करने के साथ ही आपने विश्वविद्यालय में मंहगी शिक्षा, बढ़ते अपराधीकरण, पढ़नेवाले छात्रों को छात्रावासों में गुण्डों द्वारा जबरदस्ती परेशान किये जाने तथा बढ़ते भ्रष्टाचार के खिलाफ आम छात्रों के साथ मिलकर आंदोलन प्रारंभ किया। ज्ञापन, धरना, प्रदर्षन के पश्चात भी कोर्इ कार्यवाही न होने पर छात्रों के साथ आप आमरण अनशन पर बैठ गये। एक सप्ताह तक चले अनशन के पश्चात सरकार को झुकना पड़ा, 14 अपराधियों को विश्वविद्यालय से निष्कासित किया गया तथा कुलपति को हटाकर भ्रष्टाचार की जांच प्रारंभ हुई। आंदोलन की जीत से छात्रों के अंदर खुशी की लहर दौड़ पड़ी लेकिन इसके लिए आप की जिंदगी दाव पर लग गयी।
हार से बौखलाये भ्रष्टाचारियों व अपराधियों के गिरोह ने आपको जान से मारने की योजना बना ली। 18 जनवरी 1999 को आपको धोखे से गर्दन में गोली मारी गयी। गोली रीढ़ की हडडी आकर फंस गयी। आप जिंदा तो बचे मगर गर्दन के नीचे का हिस्सा पूरी तरह निष्क्रिय हो गया मानो जिंदा लाश।
लखनऊ मेडिकल कालेज में महीनों चले इलाज के पश्चात सुधार की धीमी गति को देखकर डाक्टरों ने इन्हें घर लेजाकर एक्सरसाइज कराने की सलाह दी। इसके पश्चात आपको लखनऊ से गांव लाया गया। गांव में कर्इ महींनों चली एक्सरसाइज के पश्चात स्वास्थ्य में सुधार होने लगा। स्वास्थ्य में कुछ सुधार होते ही मन में समाज के लिए जीने की भावना प्रबल हो उठी। बिस्तर पर पड़े-पड़े ही आपने सिपाह बाजार से मझवारा जाने वाली 8 कि.मी. खराब सड़क से हजारों लोगों की दुर्दशा को देखकर सड़क निर्माण के लिए जनसंघर्श का संचालन प्रारंभ कर दिया। गांव से लेकर मऊ, आमगढ़ व लखनऊ तक चले अभियान के पश्चात अंततोगत्वा सड़क का निर्माण हुआ। शायद जिले की यह अकेली पिच सड़क होगी जिसे जनसंघर्श की बदौलत बनाया गया।
न सिर्फ ग्रामीण विकास बलिक सामाजिक एकता की भावना भरने के लिए आजादी की लड़ार्इ में 15 अगस्त 1942 को कुर्बानी देने वाले मऊ जिले सिथत मधुबन के शहीदों की साझी शहादत-साझी विरासत की याद को पुनर्जीवित करने की मुहिम को तेज किया। इतना ही नहीं मधुबन के शहीदों की सरकारी सूची में से भी प्रशासनिक लापरवाही के कारण छोड़ दिये गये दो शहीदों के नाम को बाजार सिथत स्मारक शिलापटट पर दर्ज कराने के लिए संघर्श किया, फिर भी जब प्रशासन के कान में जूं नहीं रेगीं तो स्वयं जनता के सहयोग से वर्शो से उपेक्षित शहीदों का नाम स्मारक शिलापटट पर लिखवा दिया।
मऊ जिले की यह विडंबना है कि पूरे पूर्वांचल में काफी विकास के शोर के बीच इस जिले के शैक्षणिक पिछड़ेपन की बात दब गयी, जबकि सच्चार्इ यह है कि जिले में विज्ञान, कामर्स, कानून, कृशि, इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैनेजमैंट, कम्प्युटर आदि की शिक्षा के लिए कोर्इ सरकारी संस्थान नहीं है जिसमें गरीब किसान के बेटे-बेटियां पढ़कर अपना भविश्य सुधार सकें।
बीच में समाज के लिए संघर्श के साथ अपने स्वास्थ्य को ठीक करने की चुनौती भी हर समय मौजूद थी। स्वास्थ्य में सुधार तो हो रहा था पर दूसरे के सहारे के बगैर कुछ भी करना मुशिकल था। आप पुन: स्वास्थ्य सुधार के लिए लखनऊ पहुचें। वहां लम्बे समय तक आयुर्वेद कालेज में भर्ती होकर इलाज कराया। वहां से दिल्ली में एम्स मडिकल संस्थान पहुचें और वहां से केरल में जाकर आयुर्वेद संस्थान में पंचकर्म चिकित्सा का सहारा लिया। 7 वर्शों तक इलाज के पश्चात भी पूरी तरह सुधार नहीं हो सका। गर्दन में आज भी गोली फंसी हुर्इ है। स्वास्थ्य में कुछ सुधार होने के पश्चात आपने 2002 से युवा भारत के साथ जुड़कर युवा आंदोलन को आगे बढ़ाने का प्रयास किया।
2007 में 1857 की पहली जंगे आजादी की 150 वीं वर्षगांठ तथा शहीद भगत सिंह के जन्म सदी के अवसर पर राष्ट्रीय कार्यक्रम की तैयारी के लिए दिल्ली पहुंचने पर जब पता चला कि हमारी सरकार हर 26 जनवरी व 15 अगस्त को जिस इंडिया गेट पर सलामी देती है उस पर हमारे आजादी के शहीदों का एक भी नाम नहीं है तो आपने शरीर के दु:ख दर्द को दरकिनार करके अधूरी शरीर को लेकर ही मधुबन से शुरू हुए शहीदों के सम्मान व उनके अरमान को पूरा करने की लड़ार्इ को पूरे देश के शहीदों के सम्मान व उनके पूर्ण आजादी के अरमानों को पूरा करने के लिए 31 मर्इ 2007 को दिल्ली लालकिले के दीवान-ए-आम में अपने साथियों के साथ मिलकर ‘तीसरा स्वाधीनता आंदोलन की स्थापना किया। सितम्बर 2007 से युवाओं में देशभकित की भावना भरने के लिए ‘तीसरा स्वाधीनता स्वर हिन्दी मासिक पत्रिका का प्रकाशन व संपादन प्रारम्भ किया। शहीदों के अपमान के खिलाफ आपने 9 अगस्त 2009 से 23 अगस्त 2009 तक तीसरा स्वाधीनता आंदोलन के बैनर तले संसद भवन के पास दिल्ली में जंतर-मंतर पर 15 दिनों तक अनशन किया। आपने देश के 15 राज्यों में ‘ शहीदों को सम्मान, भ्रष्टाचार पर लगाम के नारे के साथ यात्रा किया।
इसके पश्चात भ्रष्टाचार-मुक्त भारत के लिये प्रारम्भ hueजन लोकपाल आन्दोलन मेन सदक से लेकर संसद तक के संघर्ष मे सक्रिय।
• पता – 377, गली नं.2ए, माता मनिदर मार्ग, मेन रोड, मौजपुर, दिल्ली-53
• मो. – 9871215875
• र्इ-मेल : gopalrai1975@gmail.com
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