आईएएस ऋतु माहेश्वरी की फजीहत, हिरासत में पेश करने का आदेश, मीडिया में बड़ी खबर बनी

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लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अवमानना के एक मामले में नोएडा की मुख्य कार्यपालक अधिकारी (Noida authority CEO) ऋतु महेश्वरी ( ritu maheshwari) के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है। कोर्ट ने नोएडा के सीजेएम को आदेश के पालन की जिम्मेदारी सौंपी है और कहा है कि 13 मई को पुलिस ऋतु माहेश्वरी को 48 घंटे में गिरफ्तार कर हाईकोर्ट में पेश करे। जस्टिस सरल श्रीवास्तव की कोर्ट ने यह आदेश दिया है। किसी भी अधिकारी के लिए यह एक शर्मनाक खबर की तरह है।
ऋतु माहेश्वरी की यूपी की नौकरशाही में हनक मानी जाती है। उनके विभाग से ही उनके रसूख को समझा जा सकता है। लेकिन इस खबर ने उनकी न्यूज़ रेटिंग को अर्श से फर्श पर पहुंचा दिया है। शुक्रवार को ज्यादातर टीवी चैनलों और पोर्टल्स ने इस खबर को लिया। शनिवार को सभी प्रमुख अखबारों ने इसे छापा। नवभारत टाइम्स, टाइम्स ऑफ इंडिया, हिंदुस्तान ने इस खबर को पेज एक पर जगह दी।
भूमि अधिग्रहण से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा हारने के बावजूद नोएडा विकास प्राधिकरण ने अदालती आदेशों का पालन नहीं किया। जिसके खिलाफ किसान की ओर से अवमानना याचिका दायर की गई थी। इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऋतु महेश्वरी को खुद अदालत में हाजिर होने का आदेश दिया था। मामले में गुरुवार को सुनवाई हुई तो सीईओ हाजिर नहीं हुईं। इस पर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए सीईओ के खिलाफ नॉन बेलेबल वारंट जारी किया है।

क्या है पूरा मामला
नोएडा के सेक्टर-82 में अथॉरिटी ने 30 नवंबर 1989 और 16 जून 1990 को ‘अर्जेंसी क्लोज‘ के तहत भूमि अधिग्रहण (Land acquisition) किया था। जिसे जमीन की मालकिन मनोरमा कुच्छल ने चुनौती दी थी। वर्ष 1990 में दायर मनोरमा कुच्छल की याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 19 दिसंबर 2016 को अपना फैसला सुनाया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ‘अर्जेंसी क्लॉज’ के तहत किए गए भूमि अधिग्रहण को रद्द (Land Acquisition Canceled) कर दिया था। मनोरमा कुच्छल को नए भूमि अधिग्रहण अधिनियम (New Land Acquisition Act) के तहत सर्किल रेट से दोगुनी दरों पर मुआवजा देने का आदेश दिया था। इसके अलावा प्रत्येक याचिका पर 5-5 लाख रुपये का खर्च आंकते हुए भरपाई करने का आदेश नोएडा विकास प्राधिकरण को सुनाया था।
प्राधिकरण सुप्रीम कोर्ट में भी हार गई
इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ नोएडा विकास प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट में भी नोएडा विकास प्राधिकरण मुकदमा हार गई। इसके बावजूद इलाहाबाद हाईकोर्ट के पुराने आदेश का पालन नहीं किया।
लिहाजा, मनोरमा कुच्छल ने नोएडा विकास प्राधिकरण के खिलाफ अवमानना याचिका दायर कर दी। इस अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए 27 अप्रैल 2022 को अदालत ने आदेश पारित किए है।

सुनवाई में हाजिर नहीं हुईं ऋतु माहेश्वरी
रितु माहेश्वरी को अदालत ने 4 मई की सुनवाई में हाजिर रहने का आदेश दिया था। अदालत ने विगत 28 अप्रैल को सुनवाई करते हुए निर्देश दिया कि मामले की सुनवाई 4 मई को होगी।
उस दिन नोएडा मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु माहेश्वरी (Noida CEO IAS Ritu Maheshwari) खुद अदालत में मौजूद रहेंगी। दरअसल, 28 अप्रैल को हुई सुनवाई के दिन भी रितु माहेश्वरी (IAS Ritu Maheshwari) अदालत में हाजिर नहीं हुई थी।

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