FLOP ***** (News Rating Point) 14.11.2015
बिहार में एक चर्चा आम थी कि नीतीश अगर लालू से अलग लड़ते, तो उनकी जीत बड़ी होती, लेकिन चुनाव परिणाम के बाद यही सवाल भाजपा से किया जाने लगा है. अख़बारों ने लिखा कि कि भाजपा की नैया तो उसके मांझी ने ही डुबो दी. भाजपा अगर अपने सहयोगियों के बिना चुनाव में आती, तो शायद इससे बेहतर परिणाम आते. मांझी की छवि का भाजपा को फायदा से ज्यादा घाटा हुआ. नतीजों ने यह साफ किया है कि जीतन राम मांझी से बीजेपी ने कुछ ज्यादा ही उम्मीदें लगा ली थी. सीट बंटवारे के वक्त मांझी अपनी ‘हम’ पार्टी को 20 सीटें देने से नाराज थे और इसलिए अपने 5 और कैंडिडेट को बीजेपी के सिंबल पर चुनाव लड़वाया. लेकिन मांझी बस अपनी ही एक सीट जीत पाए हैं. ‘हम’ के 20 में से मांझी को छोड़कर कोई नहीं जीता. चुनाव से पहले मांझी जहां खुद को सीएम का दावेदार बता रहे थे, वहीं नतीजों ने साफ कर दिया है कि मांझी अपने उस ‘वोट बैंक’ को बीजेपी को ट्रांसफर नहीं करवा पाए, जिसका दावा वह कर रहे थे.
(अखबारों, चैनलों और अन्य स्रोतों के आधार पर)