14.02.2015 (News Rating Point- FLOP*****)
सियासत में धोखेबाजी का इतिहास लिखा जाएगा तो शायद उसमे जीतन राम मांझी का भी नाम हो. नितीश कुमार ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि वह जिसे पिट्ठू समझ कर सत्ता सौंप रहे हैं, वह ही उनके लिए मुसीबत की जड़ बन जाएगा. यह सही है कि सियासत में कोई ना दोस्त होता है और न दुश्मन लेकिन जिस तरह से जीतन राम मांझी का नाम मीडिया में छाया रहा, यह कहावत सही बैठती है- बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा. इस पूरे सप्ताह नितीश कुमार और जीतन राम मांझी के टकराव की खबर दिल्ली चुनाव के बाद की देश की सबसे बड़ी खबर थी. जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री पद से हटाये जाने की कोशिशों की खबरों ने अंग्रेज़ी और हिन्दी मीडिया दोनों जगह प्रमुखता से जगह पायी. इंडियन एक्सप्रेस से लेकर सामना तक सब जगह कई बार ये खबर लीड बनी. सोशल वेबसाईट पर भी जीतन राम मांझी की जबरदस्त आलोचना हुई. सीएम की कुर्सी तक आता है कमीशन का बयान देकर मांझी ने अपनी और फजीहत करा ली.