जानिए कैसा है नई संसद का वास्तु शिल्प, 28 मई को नरेंद्र मोदी करेंगे उद्घाटन

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नटवर गोयल
लखनऊ। विनायक दामोदर सावरकर के जन्मदिन पर 28 मई को संसद की नई इमारत देश को समर्पित होने जा रही है। भारतीय सांस्कृतिक धरोहरों और कला को समेटे हुए ये आधुनिक तकनीक का संगम यह नया भवन अतुलनीय होगा। कई ऐसी सुविधाएं होंगी, जो दुनिया के किसी भी संसद भवन में नहीं होंगी। पर्यावरण के लिहाज से भी यह भवन बेहद संतुलित होगा। आइए आपको नए संसद भवन सेंट्रल विस्टा के बारे में बताते हैं।
नए संसद भवन में लोकसभा का कक्ष राष्ट्रीय पक्षी मोर की तरह है। लोकसभा का यह गुबंद स्पष्ट दिखाई पड़ेगा। जबकि राज्यसभा कक्ष राष्ट्रीय पुष्प कमल की तरह बनाया गया है। राज्यसभा का गुबंद अंदर से देखने पर बिलकुल कमल की पुष्प की तरह दिखेगा। नया संसद भवन कुल 64,500 वर्ग मीटर एरिया में बन रहा है। यह इमारत 4 मंजिला होगी। नए संसद भवन को बनाने में कुल 971 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। नए संसद भवन में जाने के 6 रास्ते होंगे। एक एंट्रेंस पीएम और प्रेसिडेंट के लिए होगा। एक लोकसभा के स्पीकर, एक राज्यसभा के चेयरपरसन, सांसदों के प्रवेश के लिए 1 एंट्रेंस और 2 पब्लिक एंट्रेंस होगा।
पुराने भवन में सभी सांसदों की उपस्थिति में बैठने में बड़ी समस्या होती थी। दरअसल पुराने भवन में लोकसभा और राज्यसभा की अगली सीट पर दो लोगों को बैठने की व्यवस्था है। पीछे ये क्रमानुसार बढ़ती चली जाती है। ऐसे में सबसे पीछे की एक बेंच पर सीट पर बैठे लोगों की संख्या दहाई आंकड़ों में पहुंच जाती है। इसमें बीच में बैठे किसी सांसद को बाहर निकलना होता था तो बहुत दिक्कत होती थी। नए संसद भवन में सांसदों को इन बातों से निजात मिल जाएगा। नए संसद भवन में दो—दो लोग को एक साथ बैठने की सीट बनाई गई है। एक बेंच पर आगे से लेकर पीछे तक केवल दो ही सांसद बैठेंगे। इससे उन्हें बैठने से लेकर बाहर निकलने तक में कोई दिक्कत नहीं होगी।


नए भवन में एक संविधान कक्ष भी बनाया गया है। इस संविधान कक्ष में देश के सांस्कृतिक धरोहरों को प्रदर्शित किया जाएगा। इसके अलावा सदस्यों के लिए पुस्तकालय, डाइनिंग रूम और पार्किंग की भी व्यवस्था रहेगी। नए भवन में सौ फीसदी यूपीएस पावर बैक अप रहेगा। रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम और वाटर रिसाइकलिंग सिस्टम भी लगाया गया है। नया संसद भवन पूरी तरह से पेपर लेस होगा। सांसदों को सदन में कामकाज करने के लिए प्रत्येक सीट के साथ डिसप्ले बोर्ड लगा मिलेगा। यह एक मिनी कंप्यूटर की तरह होगा। जो संसद के इंट्रानेट से जुड़ा होगा। नई बिल्डिंग में एक बड़ा कॉस्टीट्यूशन हॉल होगा, जिसमें भारत की लोकतांत्रिक विरासत की झलक दिखाई देगी। इस भवन के लोकसभा कक्ष में स्पीकर के स्थान के पास सेंगोल स्थापित किया जाएगा, जिस आजादी के समय लॉर्ड माउंट बेटन ने पंडित जवाहर लाल नेहरू को दिया था लेकिन उसके बाद ये सेंगोल गुमनामी में था।

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नए भवन का निर्माण कार्य 10 दिसंबर 2020 को शुरू किया गया था, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी आधारशिला रखी थी। वहीं संसद की पुरानी बिल्डिंग 1927 में बनकर तैयार हुई थी और तकरीबन 100 साल पुरानी हो चुकी है। नए भवन में लोकसभा चेंबर में जहां एक साथ 888 सदस्य सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है। वहीं राज्यसभा के चेंबर में एक साथ 384 सदस्य बैठ सकेंगे। पुरानी बिल्डिंग में संयुक्त सत्र का आयोजन सेंट्रल हॉल में किया जाता था, लेकिन नए इमारत में इसका आयोजन लोकसभा चेंबर में किया जाएगा, जिसमें जरूरत पड़ने पर एक साथ 1224 सांसद बैठ सकेंगे। भारत में अभी लोकसभा में 543 और राज्यसभा में 245 सीटें हैं।
नए संसद भवन में मीडिया के लिए दो गैलरी उपलब्ध कराई गई है। इसमें प्रत्येक गैलरी में 70-70 मीडियाकर्मी बैठ सकते हैं। जबकि पुराने संसद भवन में मीडिया के लिए केवल एक गैलरी थी। इसमें 99 सीटें उपलब्ध थी। इतना ही नहीं पुराने भवन में मीडियाकर्मी को लिखने के लिए आगे के दो कतार को छोड़ कोई सहायक डेस्क नहीं होता है। नए संसद भवन में कुल 120 आफिस होंगे। जिसमें कमिटी रूम, मिनिस्ट्री आफ पार्लियामेंट्री अफेयर्स के आफिस, लोक सभा सेक्रेट्रिएट, राज्य सभा सेक्रेट्रिएट, पीएम आफिस आदि होंगे।
वास्तुकार बिमल पटेल द्वारा बनाए गए नए भवन में 3 दरवाजे हैं, जिन्हें ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार के नाम से जाना जाएगा। सांसदों को बैठने के लिए पुराने संसद भवन की तरह केंद्रीय कक्ष नहीं मिलेगा। नए संसद भवन में केंद्रीय कक्ष नहीं बनाया गया है। नए संसद भवन सांसदों को बैठने के लिए अत्याधुनिक सुविधायुक्त लॉंज मिलेगा। इसमें बैठकर वह आपस में बातचीत या अपने कामकाज निपटा सकते हैं। नए संसद भवन में समितियों की बैठक के लिए छह कक्ष बनाए गए है। प्रत्येक कक्ष अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। इसमें भी सभी सीटों के साथ डिस्प्ले बोर्ड लगा रहेगा। ताकि बैठक के दौरान संबंधित जानकारियों के लिए संसद सदस्यों को परेशानी न हो।
नया संसद भवन पूरी तरह से भूकंपरोधी होगा और इसमें लेटेस्ट डिजिटल टेक्नोलॉजी पर काम होगा।नए संसद भवन के लिए यह प्रोजेक्ट टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड ने तैयार किया है. HCP डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने इस नए भवन का डिजाइन तैयार किया है।

पुराने भवन के बारे में
पुराने संसद भवन का निर्माण 1921—1927 के दौरान हुआ था, जिसके वास्तुकार ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस थे। लेकिन सच तो यह था कि पुराने भवन का आकार मध्य प्रदेश के मुरैना में मितावली-पड़ावली के चौसठ योगिनी मंदिर जैसा था।

देखें मुरैना के 64 योगिनी मंदिर का 360 डिग्री दृश्य :

पुरानी संसद की इमारत लगभग छह एकड़ क्षेत्र में फैली हुई है। भवन के 12 दरवाजे हैं, जिनमें से पाँच के सामने द्वार मंडप बने हुए हैं। पहली मंजिल पर खुला बरामदा हल्के पीले रंग के 144 खंभों की कतार से सुसज्जित हैं। इनमे से प्रत्येक की ऊँचाई 27 फुट है। इस भवन का निर्माण भारतीय सामग्री से और भारतीय श्रमिकों द्वारा किया गया था।
(लेखक ऑल इंडिया वैश्य फेडरेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री हैं। आधुनिक और प्राचीन वास्तुकला में विशेष रुचि रखते हैं।)

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