(News Rating Point) 13.04.2016
लखनऊ. आशियाना दुष्कर्म कांड की पीड़िता ने 11 बरस बाद बुधवार शाम जब सुना कि मुख्य आरोपी गौरव शुक्ला को सत्र न्यायालय ने दोषी करार दे दिया है, तब उसके होठों पर जख्मों पर मरहम लगने से अहसास हुआ। दैनिक जागरण ने लिखा कि पीड़िता ने सामाजिक संस्था एडवा के आफिस में मिलने पहुंचे मीडियाकर्मियों व अन्य लोगों से दिल की बात की। आशियाना कांड के आरोपी गौरव शुक्ला को कोर्ट द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद एडवा कार्यालय में मिठाई बांटती सामाजिक कार्यकर्तापीड़िता के साथ उसकी कानून लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहीं एडवा की प्रांतीय अध्यक्ष मधु गर्ग ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक दिन है। कई साल से हर दिन इसी दिन का इंतजार कर रहे थे। मधु गर्ग ने कहा कि 11 साल लग गए इस कानूनी लड़ाई में। बड़ा सवाल यह भी है कि ऐसे ही कितनी और पीड़िता लड़ पाती हैं। ऐसे मामलों में लोगों को समयबद्ध इंसाफ मिलना चाहिए। इससे पूर्व एडवा कार्यालय में कार्यकर्ताओं ने इंसाफ की जीत नारे लगाए और मिठाई बांटी। दूसरी ओर कोर्ट पहुंची सांझी दुनिया की सचिव प्रोफेसर रूपरेखा वर्मा ने कहा कि इस दिन के लिए काफी दिनों से संघर्ष चल रहा था। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद पीड़िता को आखिरकार इंसाफ मिला।
पूर्व कुलपति एलयू व सांझी दुनिया की संस्थापक रूपरेखा वर्मा ने नवभारत टाइम्स से कहा कि घटना के दिन जैसे ही मुझे सूचना मिली मैंने तय कर लिया की पीड़िता को हर हाल में न्याय दिलाना है। आरोपित दबंग और अमीर थे जबकि पीड़िता एक गूदड़ बीनने वाले की बेटी थी। ऐसे में न्याय मिल पाने की उम्मीद बहुत कम थी। उसे बार-बार ऐसे सवालों के जवाब देने पड़े जिसका सामना कोई महिला नहीं करना चाहती। एडवा व सांझी दुनिया के लोगों को भी इस केस की पैरवी से रोकने का पूरा प्रयास किया गया। 2007 में हम पर कोर्ट में हमला कराया गया, लेकिन न तो किशोरी ने हिम्मत हारी और न ही हमने। हम हमले के अगले ही दिन केस की डेट लगे बिना इसलिए कोर्ट में गए ताकि हमलावर समझ लें कि वह हमारे इरादे को हमले से डिगा नहीं सकते हैं। हमें धमकाने के लिए घर पर चिट्ठी फेंकी गई। परेशान करने वालों ने अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हुए लिखा था कि क्यों बच्चों के पीछे पड़ी हैं आप लोग। खैरियत इसी में है कि हट जाइये, लेकिन हम नहीं हटे। हम पर जब-जब हमला हुआ या धमकियां मिलीं तब-तब हम और भी मजबूत हुए। यूं कहिए कि किशोरी को न्याय दिलाने की हमारी जिद बढ़ती गई। अब हमें उस पल का इंतजार है, जब कोर्ट सजा सुनाएगी। बाकी आरोपितों को सजा मिल गई लेकिन अंतिम आरोपित गौरव शुक्ला को सजा दिलवाना बहुत कठिनाई भरा रहा।
एडवा की प्रदेश अध्यक्ष मधु गर्ग ने नवभारत टाइम्स से कहा कि हमले और धमकियों के साथ आरोपित को जुवेनाइल साबित करने के लिए फर्जी डॉक्यूमेंट बनवाकर हमें पीछे धकेलने का प्रयास किया गया। हमें धमकियां भी मिलीं, लेकिन न तो किशोरी का विश्वास टूटा और न ही संगठनों के पदाधिकारी पीछे हटे। एक गवाह को भी तोड़ने का भरसक प्रयास किया गया। उसे आरोपितों ने खरीदने की कोशिश की थी। अगर वह कामयाब हो जाते तो शायद वह इस केस का टर्निंग प्वाइंट हो जाता, लेकिन हमने वहां भी हिम्मत नहीं हारी और अदालत के जरिए ही उन्हें जवाब दिया। दोषियों ने जहां पैंतरा खेला, हमने उन्हें उसका वैसा ही सटीक जवाब दिया। स्कूलों की खाक छानी और दस्तावेज जुटाकर अदालत में पेश किए। आखिर में हमारी मेहनत रंग लाई।