Manjil Saini, IPS, Uttar Pradesh

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(News Rating Point) 25.06.2016
लखनऊ की एसएसपी मंजिल सैनी अपने तेवर और न्यायप्रिय होने की खबर की वजह से चर्चा में आयीं. नवभारत टाइम्स ने लिखा कि पारा इलाके में रहने वाला एक परिवार पिछले छह साल से गुंडों और खाकी वालों के कारनामों का दंश झेल रहा है. परिवार की एक युवती से गैंग रेप हुआ, लेकिन गुंडों के डर और खाकी के दबाव से उसने समझौता करना ही मुनासिब समझा. बदमाशों और खाकी का गठजोड़ इस कदर हावी हो गया कि पुलिस वालों ने आरोपितों के करीबियों से लूटपाट के आरोप में चार महिलाओं समेत छह लोगों को जेल भेज दिया. जेल जाने वालों में रेप पीड़िता भी शामिल थी. जैसे-तैसे रिहा हुए, लेकिन रास्ते चलने से लेकर घर में रहना तक मुश्किल हो गया. न्याय के लिए अफसरों के चक्कर लगाए तो डीजीपी कार्यालय में सुनवाई हुई. सत्ता के करीबी माने जाने वाले तत्कालीन एसओ पारा अशोक यादव के कारनामों की फाइल एसएसपी ने देखी तो वह सन्न रह गईं. शुक्रवार की सुबह एसएसपी आवास के कैंप कार्यालय में सफाई देने की कोशिश करने वाले तत्कालीन एसओ पारा से एसएसपी मंजिल सैनी ने दो टूक कहा,’ तुम मेरे सामने से हट जाओ, तुमने पूरे महकमे को बदनाम कर दिया है.’
पीड़िता की मां का कहना है कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. बेटियां ट्यूशन पढ़ाकर जैसे-तैसे घर का गुजारा करती हैं. हम 2010 से चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई. डीजीपी कार्यालय से मदद का आश्वासन मिला और हमें एसएसपी मंजिल सैनी के पास भेजा गया. एसएसपी ने मेरी बात जिस गंभीरता से सुना, उसी से हमें तसल्ली हो गई. उन्होंने यह भी कहा कि तत्कालीन एसओ पारा ने जिस भद्दे तरीके से उनसे बात की थी, वह उसे भी कभी भूल नहीं सकती हैं. पीड़ित युवती का आरोप है कि 2010 में दो युवकों ने उसे अगवा कर उसके साथ रेप किया. तालकटोरा पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर आरोपितों को जेल तो भेज दिया, लेकिन उसके बाद से आरोपितों के भाई उसे और उसके घर वालों को समझौता करने के लिए तरह-तरह से परेशान करने लगे. हालात यहां तक पहुंच गए कि मजबूरन उसे कोर्ट में समझौता करना पड़ा. तालकटोरा पुलिस ने भी उस केस में आज तक पीड़िता का कोर्ट में बयान नहीं कराया है. वह भी आरोपितों से समझौता कराने का ही दबाव बनाती रही.
एसओ पारा अशोक यादव पर लगे आरोपों की जांच डीजीपी मुख्यालय ने एसआई संतोष कुमार सिंह को सौंपी थी. जांच में संतोष सिंह ने महिलाओं पर लगाए गए लूट के आरोप फर्जी पाए. पता चला कि शिकायतकर्ता ही आरोपित हैं. एसओ समेत सात पुलिसकर्मियों ने लापरवाही बरती है. जब एसओ अशोक यादव को जांच में फंसने की आशंका हुई तो उन्होंने आरोपित दीपक की तहरीर पर पारा थाने में संतोष सिंह के खिलाफ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज कर लिया. दीपक का आरोप है कि संतोष सिंह ने केस रफा-दफा करने के लिए उनसे एक लाख रुपये मांगे. इसमें से 40 हजार रुपये लिए और सादे कागज पर दस्तखत भी करवाए. एसएसपी का कहना है कि इसकी जांच सीओ आलमबाग को सौंपी गई है. पीड़िता का कहना है कि तत्कालीन एसओ पारा ने लूट के मामले में जेल भेजते समय कई बार धमकाया और कहा था मुझे सिर्फ पुलिस वाला मत समझना. मेरी इस वर्दी के पीछे एक नेता भी है, जो नजर नहीं आता है. दरअसल तत्कालीन एसओ पारा खुद को सत्ता पक्ष का करीबी ही मानते हैं

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