HIT **** (News Rating Point) 05.12.2015
राज्यसभा में बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती संविधान पर चर्चा के दूसरे दिन आरक्षण के मुद्दे पर बड़ा बयान देने के चलते चर्चा में रहीं. मायावती ने अगड़ी जातियों के गरीबों के लिए आरक्षण की बात की. मायावती ने राज्यसभा में उन्होंने सवाल उठाया कि अगड़ी जाति के लिए आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की घोषणा पीएम मोदी ने क्यों नहीं की. प्रधानमंत्री 27 नवंबर के अपने भाषण में ये घोषणा करते तो ये अंबेडकर के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होती. मायावती ने गरीब सवर्णों के आरक्षण की बात कर राजनीति दलों की धड़कनें बढ़ा दी हैं. मायावती के इस बयान को मिशन 2017 की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है. अगर मायावती इस मुद्दे को सवर्णों के बीच भुनाने में कामयाब हुईं तो आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्ण बीएसपी के साथ खड़े हो सकते हैं और अन्य दलों के सभी समीकरण धराशायी हो सकते हैं. बिहार विधानसभा चुनाव में आरक्षण पर संशय के मुद्दे ने ही भारतीय जनता पार्टी के मंसूबों पर पानी फेर दिया था और वहां महागठबंधन की शानदार जीत हुई. बीएसपी आरक्षण की धार का असर बिहार चुनाव में देख चुकी है, इसीलिए अब मायावती ने संसद में कमजोर सवर्णो को आरक्षण देने के मुद्दे को हवा दे दी है. अख़बारों ने लिखा कि मायावती ने यह मुद्दा बड़ा ही सोच-समझकर उठाया है. यूपी में कमजोर सवर्णों को आरक्षण देने की मांग को लेकर पार्टी के नेता और कार्यकर्ता सड़कों पर उतरने को तैयार हैं. यह मुद्दा बीएसपी के लिए ‘गेम चेंजर’ साबित हो सकता है.(अखबारों, चैनलों और अन्य स्रोतों के आधार पर)
राज्यसभा में बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती संविधान पर चर्चा के दूसरे दिन आरक्षण के मुद्दे पर बड़ा बयान देने के चलते चर्चा में रहीं. मायावती ने अगड़ी जातियों के गरीबों के लिए आरक्षण की बात की. मायावती ने राज्यसभा में उन्होंने सवाल उठाया कि अगड़ी जाति के लिए आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की घोषणा पीएम मोदी ने क्यों नहीं की. प्रधानमंत्री 27 नवंबर के अपने भाषण में ये घोषणा करते तो ये अंबेडकर के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होती. मायावती ने गरीब सवर्णों के आरक्षण की बात कर राजनीति दलों की धड़कनें बढ़ा दी हैं. मायावती के इस बयान को मिशन 2017 की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है. अगर मायावती इस मुद्दे को सवर्णों के बीच भुनाने में कामयाब हुईं तो आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्ण बीएसपी के साथ खड़े हो सकते हैं और अन्य दलों के सभी समीकरण धराशायी हो सकते हैं. बिहार विधानसभा चुनाव में आरक्षण पर संशय के मुद्दे ने ही भारतीय जनता पार्टी के मंसूबों पर पानी फेर दिया था और वहां महागठबंधन की शानदार जीत हुई. बीएसपी आरक्षण की धार का असर बिहार चुनाव में देख चुकी है, इसीलिए अब मायावती ने संसद में कमजोर सवर्णो को आरक्षण देने के मुद्दे को हवा दे दी है. अख़बारों ने लिखा कि मायावती ने यह मुद्दा बड़ा ही सोच-समझकर उठाया है. यूपी में कमजोर सवर्णों को आरक्षण देने की मांग को लेकर पार्टी के नेता और कार्यकर्ता सड़कों पर उतरने को तैयार हैं. यह मुद्दा बीएसपी के लिए ‘गेम चेंजर’ साबित हो सकता है.(अखबारों, चैनलों और अन्य स्रोतों के आधार पर)