HIT ** (News Rating Point) 21.03.2015
भूमि अधिग्रहण बिल का विरोध, सोनिया के नेतृत्व में विपक्ष के मार्च में न शामिल होना, अपनी किताब के मूल्य, युवाओं को बसपा की और आकर्षित करने की रणनीति और कभी मायावती के ख़ास रहे नेता जुगुल किशोर और दद्दू प्रसाद के विरोध की वजहों से मायावती चर्चा में बनी रही.
Bahujan Samaj Party chief Mayawati on Sunday chose her mentor Kanshiram’s 81st birth anniversary the as occasion to attack PM Narendra Modi saying that the NDA government was trying to negate the constitutional safeguards provided to the people of lower caste. Claiming herself to be the sole successor of Kanshiram’s legacy , Mayawati said the Modi government was only diminishing her mentor’s ideals that sought to establish equality in the society. BSP chief, who paid homage at the Bahujan Prerna Kendra in Delhi where the last remains of Kanshiram are kept, slammed the ruling dispensation for not declaring birth and death anniversaries of Kanshiram as national holiday saying that it only projected the casteist approach of the Central government. Mayawati pointed out how the NDA government was following the agenda of making the reservation policy ineffective in what further sharpened the divisions within the society .
-The Times of India
बसपा की ओर से मायावती के जीवन, उनके कार्यों और राजनीतिक कार्यक्रमों पर लिखी गई किताब को लेकर पार्टी में काफी हलचल है. दरअसल राष्ट्रीय इकाई की ओर से प्रकाशित इस पुस्तक पर कोई मूल्य नहीं लिखा है, लेकिन चर्चा है कि इसके नाम पर पार्टी के खाली हो चुके कोष को भरने की योजना बनाई गई है. बताया जा रहा है कि जिन प्रमुख लोगों को यह किताब दी जाएगी, उन्हें पार्टी कोष में जमा होने वाली राशि भी बता दी गई है. चर्चा है कि इस किताब के बदले पदाधिकारियों को पार्टी कोष में एक लाख की राशि जमा करानी है.सूत्रों से पता चला है कि रविवार देर शाम लखनऊ में हुई प्रांतीय इकाई की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर और प्रदेश महामंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने सभी जोनल कोऑर्डिनेटर्स को बहनजी की किताब के बारे में बता दिया. कहा गया कि यह किताब जल्द ही जिला मुख्यालयों में भेज दी जाएगी.
–अमर उजाला
बीएसपी प्रमुख मायावती ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि संसद के मौजूदा सत्र में ही नए भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक को वापस लिया जाए. मायावती ने मांग की है कि इसके स्थान पर साल 2013 का सर्व स्वीकार्य भूमि अधिग्रहण कानून को लागू किया जाए. संशोधित विधेयक से बड़े-बड़े पूंजीपतियों, धन्नासेठों और कॉरपोरेट जगत को ही फायदा मिलेगा न कि किसानों को. पूर्व सीएम मायावती ने एक बयान जारी कर कहा कि केन्द्र सरकार ने देश के करोड़ों किसानों के हितों की अनदेखी कर के यह विधेयक पास किया है.
– नवभारत टाइम्स
The BSP, BJD and the AIADMK abstained, with BSP chief Mayawati saying she could not be seen allying with the SP though she supported the cause.
– Chandigarh Tribune
This will be the nemesis of the Modi government.” The AIADMK, Biju Janata Dal and the Bahujan Samaj Party did not join the march. Mayawati said she did not want any confusion about any alliance with the Congress but she would vote against the land bill.
– Calcutta Telegraph
BSP member Mayawati said security officials conduct such routine inquiries to ensure security of public figures but the way this was conducted in absence of Mr Gandhi, “creates a sense of doubt”.
– Day & Night News
Bahujan Samaj Party (BSP) chief Mayawati on Tuesday refused to ally with the Congress-led all-party protest against the Bharatiya Janata Party led NDA government’s land acquisition bill saying it would lead to “political backlash” for the party in Uttar Pradesh. Mayawati said BSP was not against the agenda of protest but joining the group headed by Congress president Sonia Gandhi, was not in the interest of the party.
-The Times of India
अपने राजनीतिक कैरियर का सबसे बुरा वक़्त देख रही बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने उत्तर प्रदेश में फिर सत्ता हासिल करने के लिए युवाओं पर नज़रें टिकाई हैं. मायावती ने आदेश दिया है कि पार्टी में हर स्तर पर समितियों में 35 साल तक की उम्र के कम से कम 50 फ़ीसदी सदस्य होने चाहिए. इसके लिए नए सिरे से भर्ती की जानी चाहिए. यह पहला मौका है जब बसपा में युवाओं को महत्व दिया जा रहा है.
– बीबीसी हिंदी
मायावती एक बार फिर से प्रदेश में सत्ता हासिल करने के लिए रणनीति बनाने में जुट गई है। इसके लिए उनकी नजर अब युवाओं पर है।
– लोकतेज
काफी समय तक देश के सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश में एकछत्र राज करने वाली बसपा सुप्रीमों मायावती का समय इन दिनों बुरे दौर से गुजर रहा है। मायावती एक बार फिर से प्रदेश में सत्ता हासिल करने के लिए रणनीति बनाने में जुट गई है।
– दैनिक जागरण
राज्यसभा सांसद जुगुल किशोर ने कांशीराम के जन्मदिन पर बसपा सुप्रीमो मायावती पर निशाना साधा और कहा कि वह तो कांशीराम को भी नेता नहीं मानती हैं।
– दैनिक जागरण
बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम की 81वीं जयंती के मौके पर उनके पुराने अनुयायियों ने मायावती और बीएसपी के खिलाफ मुहिम छेड़ने का ऐलान किया है। इस कड़ी में सामाजिक परिवर्तन मंच का गठन कर पूरे देश भर में कांशीराम की विचारधारा को मानने वाले लोगों को एक प्लेटफॉर्म पर लाने की तैयारी है। कांशीराम के पुराने अनुयायी रहे पूर्व मंत्री दद्दू प्रसाद को मंच का संयोजक बनाया गया है
– नवभारत टाइम्स
बसपा सुप्रीमो मायावती ने रविवार को मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह दलितों और समाज के कमजोर वर्ग के लोगों के अधिकारों को कम करने की कोशिश कर रही है। बसपा संस्थापक कांशी राम की 81 वीं जयंती पर यहां आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही सामाजिक समानता, सामाजिक न्याय और सामाजिक सुरक्षा का माहौल प्रभावित हो रहा है।
– राजस्थान पत्रिका