एनआरपी डेस्क।
लखनऊ। पार्टी से न कोई पदाधिकारी-नेता और काडर से न कोई नाते-रिश्तेदार या समधी बड़ा है। मायावती ने अपने सबसे विश्वासपात्र सिपहसालार रहे समधी अशोक सिद्धार्थ के पर कतर कर कुछ ऐसा ही संदेश दिया है। उन्होंने गर्दिश के दिनों में पहुंच चुकी या यूं कहें-चाहे हरियाणा का विधानसभा चुनाव हो या दिल्ली के हाल में संपन्न हुए चुनाव में जीरो का स्वाद चख रही बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए भीबड़ा संदेश दिया है। संदेश साफ है कि पार्टी सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं करेगी। कड़े फैसले लेने में हिचक नहींः अपने दम पर राजनीति करने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती कड़े फैसले के लिए जानी जाती रहीं हैं।
लोकसभा चुनाव में विफलता के बाद भतीजे आकाश आनंद को अपरिपक्व बताकर सभी पदों से हटाना हो या फिर कॉडर के पुराने नेता राम अंचल राजभर और लालजी वर्मा को एक झटके से पार्टी से निकालना किसी से छिपा नहीं है। बेटी की शादी आकाश आनंद से करने के बाद अशोक सिद्धार्थ का कद पार्टी में जितनी तेजी से बढ़ा था, उतनी तेजी से पार्टी में गुटबाजी भी बढ़ी। दिल्ली में हाल ही में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इन मुद्दों पर चर्चा भी हुई थी।