कर्नाटक चुनाव में मोदी की न्यूज रेटिंग डाउन, राहुल गांधी का न्यूज ग्राफ सातवें आसमान पर

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एनआरपी डेस्क
बेंगलुरु। कर्नाटक में कांग्रेस को शानदार जीत मिली है. 36 वर्षो में पहली बार कांग्रेस को कर्नाटक में इतनी बड़ी जीत मिली है. इसी के साथ राहुल गांधी का न्यूज ग्राफ चढ़कर आकाश छूने लगा, जबकि कर्नाटक चुनाव प्रचार का नेतृत्व करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू कर्नाटक के चुनाव में फ्लॉप रहा।
कांग्रेस ने 136 सीटों पर जीत दर्ज की है, वहीं बीजेपी को 65 सीटें मिली हैं. जेडीएस को 19 सीटें और निर्दलियों को 4 सीटें मिली हैं. दरअसल, 10 मई को राज्य की 224 सीटों पर 73.19 प्रतिशत मतदान हुआ था. पिछले 38 साल के दौरान राज्य में सत्ता बदलने का इतिहास रहा है, जो इस बार भी जारी है. 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 104, कांग्रेस को 78 और जनता दल सेक्युलर को 37 सीटों पर जीत मिली थी.
राज्य में कांग्रेस की बढ़त की खबरें आते ही राहुल गांधी कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे और मीडिया को संबोधित करते हुए कर्नाटक की जनता का आभार व्यक्त किया और नेताओं-कार्यकर्ताओं को बधाई दी। कर्नाटक में कांग्रेस की बंपर जीत के बाद पार्टी नेता राहुल गांधी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि इन चुनावों में हमें जीत दिलाने के लिए कर्नाटक की जनता को शुक्रिया। कर्नाटक में नफरत का बाजार बंद हुआ है।
राहुल ने आगे कहा कि कर्नाटक में नफरत का बाजार बंद हुआ और अब मोहब्बत की दुकान खुल गई है। कर्नाटक की जनता से हमने पांच वादे किए थे, हम इन वादों को पहले दिन पहली कैबिनेट में पूरा करेंगे। राहुल गांधी पत्रकारों से बात करते हुए बार-बार एक ही बात पर जोर दे रहे थे कि वह अपने पांच वायदों को सबसे पहले पूरे करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी कर्नाटक में गरीबों के साथ खड़ी हुई है। हमने प्यार से ये लड़ाई लड़ी है। कर्नाटक ने दिखाया कि इस देश को मोहब्बत अच्छी लगती है।
कर्नाटक में इस बार जिस तरह से धार्मिक ध्रुवीकरण का दांव खुलकर खेला गया, ऐसे में सभी की नजर राज्य की मुस्लिम बहुल सीटों के चुनावी नतीजों पर थी. यहां कांग्रेस के मुस्लिम उम्मीदवारों की बंपर जीत हुई है. दरअसल, कर्नाटक में मुसमलानों की आबादी करीब 13 फीसदी से ज्यादा है. राज्य में लगभग 20 से 23 विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम वोट काफ़ी महत्वपूर्ण हैं. मुस्लिम समुदाय से पिछली बार केवल 7 विधायक चुनाव जीत कर आए थे और वो सभी कांग्रेस पार्टी से थे. कांग्रेस और जेडीएस दोनों पार्टियों ने मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारा है, लेकिन मुस्लिम बनाम मुस्लिम की लड़ाई नहीं बन सकी.

 

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