HIT *** (News Rating Point) 16.05.2015
इस सप्ताह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी चीन यात्रा के चलते सबसे ज़्यादा चर्चा का विषय और विपक्ष की आलोचना का शिकार हुए. तीन दिवसीय चीन दौरे पर शियान पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भव्य स्वागत हुआ. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने प्रोटोकॉल तोड़ कर मोदी का स्वागत किया. दोनों के बीच सीमा विवाद व व्यापार घाटा समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई. दोनों देशों के बीच भरोसा मजबूत करने और सीमा पर शांति बनाए रखने पर प्रतिबद्धता जताई गई. सांस्कृतिक जमीन पर विवादित मुद्दों को सुलझाने में चीनी की मिठास घोलने का माहौल बनाने की कोशिश हुई. मोदी ने यह यात्रा बीजिंग के बजाय चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के गृहनगर शियान से शुरू कर द्विपक्षीय संबंधों की मजबूत नींव रखी. चीन यात्रा के दूसरे दिन बीजिंग में दोनों देशों के बीच 63 हजार करोड़ रुपए निवेश के 24 करार हुए. इसके साथ ही 22 बिलियन डॉलर का चाइनीज़ कंपनियों से करार भी हुआ.
चीन जाने से पहले रविवार को दैनिक जागरण ने नरेन्द्र मोदी का इंटरव्यू छापा- दिल्ली में मोदी सरकार का एक साल पूरा होने से पहले ही विपक्ष हमलावर है. केंद्र सरकार को उसके वादों की कसौटी पर परखने के साथ-साथ उसके खिलाफ विपक्ष की मोर्चेबंदी भी मजबूत करने की कोशिश हो रही है. संसद में भी सरकार के खिलाफ विपक्ष के आक्रामक तेवर दिखे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जरा भी विचलित या दबाव में नहीं हैं. बतौर प्रधानमंत्री लगभग एक साल दिल्ली में बिताने के बाद वह अगले पांच-सात सालों में देश की अलग तस्वीर को लेकर आश्वस्त हैं. वह विपक्ष खासतौर से कांग्रेस की छटपटाहट के पीछे सरकार की कर्मठता और लोकप्रियता को ही वजह मानते हैं. सदन में विपक्ष के आक्रमक रुख पर भी उन्होंने साफ कहा कि शालीनता कमजोरी नहीं है. हम ईंट का जवाब पत्थर से नहीं देना चाहते. अखबारों ने लिखा कि पीएम मोदी ने नक्सली गतिविधियों से सबसे ज्यादा प्रभावित बस्तर क्षेत्र के लिए 24 हजार करोड़ रुपये की योजनाओं की शुरुआत की. इसमें एक स्टील प्लांट, रेलवे लाइन शामिल है.
चीन यात्रा से पहले चीनी मीडिया ने उन पर करारा हमला बोला. एक सरकारी समाचार पत्र ने मोदी पर सीमा विवाद और सुरक्षा मसलों को लेकर ‘ओछी चालें चलने’ का आरोप मढ़ा है. समाचार पत्र के मुताबिक मोदी अपनी घरेलू छवि चमकाने के लिए इस तरह की ‘ट्रिक्स’ आजमा रहे हैं. साथ ही लेख में मोदी को नसीहत दी गई है कि वे भविष्य में कभी विवादित सीमा क्षेत्र (अरुणाचल प्रदेश) का दौरा न करें. लेख में यह भी कहा गया है कि भारत सरकार दलाई लामा को समर्थन देना पूरी तरह से बंद करे और तिब्बत मसले को भारत-चीन संबंधों की बाधा बनाना बंद करे. ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित शंघाई एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के एक शोधकर्ता हू ङिायोंग के लेख में कहा गया कि प्रधानमंत्री बनने के बाद से मोदी जापान, अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ भारत के संबंध मजबूत कर रहे हैं, ताकि भारत में खराब आधारभूत संरचनाओं की स्थिति से निबटा जा सके और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिले. लेकिन पिछले साल उनके कूटनीतिक कदमों से साबित हुआ है कि वे कल्पनाशील होने बजाय उपयोगितावादी (प्रैग्मेटिस्ट) हैं. उनकी इस यात्रा से पहले चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के समाचार पत्र में यह तीखा लेख प्रकाशित हुआ. लेकिन बाद में चीनी मीडिया ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तुलना पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन से की है. कम्युनिस्ट पार्टी के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि मोदी में रिचर्ड निक्सन जैसा राजनेता की खूबियां हैं.
इसके अलावा यात्रा से पहले प्रधानमंत्री ने भाजपा सांसदों से मीडिया की आलोचनाओं से बेपरवाह होकर अपने अपने संसदीय क्षेत्रों में सरकार की उपलब्धियों का प्रचार करने का निर्देश दिया है. बुधवार को कैबिनेट की बैठक में नमामि गंगे की कार्ययोजना को मंजूरी दे दी गई. गंगा की स्वच्छता के लिए अगले पांच साल में 20 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.
(अखबारों, चैनलों और अन्य स्रोतों के आधार पर)