HIT 1/2* (News Rating Point) 28.02.2014
इस सप्ताह उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष निर्मल खत्री राज्य सरकार और केंद्र सरकार के खिलाफ अपने बयानों और इटावा में पदयात्रा के चलते चर्चा में आये. लेकिन एक चर्चा वह भी बनी रही, जो पिछले सप्ताह दो कांग्रेसी प्रदेश कार्यालय में आपस में भिड गए थे. इसके अलावा सदस्यता अभियान की निराशाजनक स्थिति भी खबर बनी. 22 फरवरी को दैनिक जागरण सहित कई अखबारों ने झगडे की खबर का फालोअप किया- अशोक, जमुना के नेहरू भवन में प्रवेश पर रोक- बुधवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय नेहरू भवन में सामान्य बहस के दौरान कांग्रेसियों के झगड़ने की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है. जांच पूरी होने तक झगड़ने के आरोपी अशोक सिंह और जमुना शुक्ला का नेहरू भवन में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है.
इस सप्ताह उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष निर्मल खत्री राज्य सरकार और केंद्र सरकार के खिलाफ अपने बयानों और इटावा में पदयात्रा के चलते चर्चा में आये. लेकिन एक चर्चा वह भी बनी रही, जो पिछले सप्ताह दो कांग्रेसी प्रदेश कार्यालय में आपस में भिड गए थे. इसके अलावा सदस्यता अभियान की निराशाजनक स्थिति भी खबर बनी. 22 फरवरी को दैनिक जागरण सहित कई अखबारों ने झगडे की खबर का फालोअप किया- अशोक, जमुना के नेहरू भवन में प्रवेश पर रोक- बुधवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय नेहरू भवन में सामान्य बहस के दौरान कांग्रेसियों के झगड़ने की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है. जांच पूरी होने तक झगड़ने के आरोपी अशोक सिंह और जमुना शुक्ला का नेहरू भवन में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है.
अमर उजाला की 23 फरवरी को खबर थी- स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की पुण्यतिथि पर रविवार को कांग्रेसियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. कांग्रेस मुख्यालय पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में प्रदेश अध्यक्ष डॉ. निर्मल खत्री ने कहा कि अबुल कलाम आजाद एक कुशल राजनीतिक, धार्मिकज्ञाता होने के साथ ही वे एक मूर्धन्य पत्रकार भी थे. फिर उत्तर प्रदेश सरकार के बजट पर पर उनकी प्रतिक्रिया को रीजनल चैनलों और अखबारों ने जगह दी. हिन्दुस्तान ने हेडिंग लगायी- असंतुलित बजट- डॉ खत्री. दैनिक जागरण ने लिखा- बजट जन विरोधी, किसान विरोधी और निराशाजनक है. यह पूरी तरह असंतुलित है. सरकार ने इस वर्ष को किसान वर्ष घोषित किया है लेकिन किसानों को किसी प्रकार का आर्थिक लाभ पहुंचाने की किसी योजना का जिक्र बजट में नहीं है. किसान को धान, गेहूं व गन्ने का लाभकारी मूल्य नहीं मिल रहा है. टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने लिखा- This is an anti-people and anti-farmer bugget. इटावा में पदयात्रा की खबरें भी छपीं- अमर उजाला ने लिखा उत्तर प्रदेश तथा केंद्र सरकार की नीतियों को दमनकारी बताते हुए बुधवार को कांग्रेस ने इटावा में पदयात्रा निकाली तथा कचहरी परिसर में सभा की। पदयात्रा करीब पांच किलोमीटर की रही. इसकी शुरुआत टिक्सी मंदिर स्थित महाकवि देव के स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित कर हुई. पदयात्रा का नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री ने किया.
दैनिक जागरण ने लिखा- कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डा. निर्मल खत्री ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश केंद्र सरकार की किसान विरोधी और पूंजीपति परस्त नीतियों का नतीजा बताया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने थ्री एम मोदी, मुलायम और मायावती की जनविरोधी, किसान विरोधी नीतियों के विरुद्ध संघर्ष करने का निर्णय लिया है. इसकी शुरुआत आज इटावा से हो रही है. इसके बाद पूरे प्रदेश में चक्का जाम व रेल रोको आंदोलन किया जाएगा.रेल बजट पर भी निर्मल खत्री को जगह मिली. प्रांतीय चैनलों ने रेल बजट पर निर्मल खत्री का बयान चलाया- कांग्रेस ने रेल बजट को निराशाजनक बताते हुए इसे पूंजीपतियों का बजट बताया है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री ने कहा कि रेल बजट में आम लोगों के लिए कोई नई शुरुआत नहीं की गई है. अमर उजाला- प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. निर्मल खत्री ने कहा कि मोदी सरकार रेलवे को पूरी तरह पूंजीपतियों और कॉर्पोरेट घरानों को सौंपने के लिए प्रयासरत है। चुनाव के दौरान खुद को आम आदमी का मसीहा बताने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का झूठ रेल बजट में उजागर हुआ है। पूरे देश में एक भी नई रेलगाड़ी तथा नए क्षेत्रों को जोड़ने का प्रावधान न किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। नवभारत टाइम्स- रेल बजट में प्रदेश को छला गया। आम जनता के लिए कोई सुविधा नहीं है। सारा जोर उच्च वर्ग विशेष पर दिया गया है। बजट से आम जनता को उम्मीद थीं जिन पर पानी फिर गया है। डीजल और पेट्रोल के दामों में कमी के बाद भी रेल किराये में कमी नहीं की गई. 28 फरवरी को दैनिक जागरण में राज बहादुर सिंह ने खबर लिखी- जैसी आशंका थी वैसा ही हुआ. एक के बाद एक चुनावी पराजय ङोल रही कांग्रेस का सदस्यता अभियान अंतिम पड़ाव पर आ पहुंचा है, लेकिन जो तस्वीर उभरी है वह बेहद निराशाजनक है. सदस्यता फार्म जमा करने की आखिरी तारीख 28 फरवरी है, लेकिन 27 फरवरी तक गए फार्म में से केवल पांच प्रतिशत ही जमा हुए हैं. पिछली बार की सदस्यता अभियान से तुलना करने पर तो परिदृश्य पूरी तरह निराशा के भंवर में डूबा नजर आता है.